आभूषण श्रृंगार

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Published on: 23 August 2018

मानव में अपने शरीर को सजाने, संवारने की नैसर्गिक प्रवृति होती है। अनादिकाल से ही वह अनेक प्रकार के उपादानों से स्वयं को आकर्षक बनाने के प्रयास करता रहा है। स्त्रियों में तो यह प्रवृति और भी तीव्रतर होती है, वे न केवल स्वयंको अधिक सुन्दर देखना चाहती हैं बल्कि अन्यों से अलग भी दिखने की अभिलाषा रखती हैं। प्रत्येक परिवेश में फिर चाहे वह वन्यांचल हो, ग्रामीण अंचल हो अथवा शहरी वातावरण, वे सौंदर्यवर्धक अलंकरणों एवं उपादानों का संधान कर ही लेती हैं।

 

स्त्रियों के रूप श्रृंगार तथा उनकी सुन्दर छटा में आभूषणों के योगदान का बखान अतिश्योक्ति की सीमा तक किया गया है और छत्तीसगढ़ भी इसका अपवाद नहीं है। यहाँ साधारण स्त्रियों ही नहीं आराध्य देवियां भी आभूषणों की लालसा रखती हैं और उनकी मांग करतीं हैं।

 

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.