छत्तीसगढ़

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Ayesha Ahmed Khan
लकड़ा के फूलों की चटनी की सामग्री , लहसुन एवं हरी मिर्च।       भारत के हर राज्य की अपनी अलग अलग पहचान है। हर राज्य का खान पान एक होते हुए भी अलग हो जाता है, कयूं कि अगर हम विभिन्न खानों की सामग्री देखेंगे तो बहोत कुछ मिलती जुलती है,पर नाम बदल जाते हैं और पाक विधि भी बदल जाती है,…
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Ayesha Ahmed Khan
  छत्तीसगढ़ का स्मरण करते ही मानस पटल पर अनेक चित्र उभर जाते है। कितने राज वंश जिन्होंने यहाँ राज्य किया - नंद, मौर्य, वकाटक, नल, पांडु  शरभपुरीय, सोम, कलचुरी, नाग, गोंड तथा मराठा, अपनी छाप और खान पान छोड़े और मर खप गये। छत्तीसगढ़ अपनी खनिज संपदा एवं वन संपदा के साथ-साथ खन पान के लिये भी…
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विजय सिंह दमाली
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डॉ. भरत पटेल
    छत्तीसगढ़ की संपन्न लोक संस्कृति में अनेक लोकनृत्य प्रचलित हैं। इन्हीं प्रचलित लोकनृत्यों में से एक है ‘करमा’ लोकनृत्य। छत्तीसगढ़ के बिलासुपर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर तथा कोरिया, कवर्धा जैसे जिले में निवास करने वाली जनजातियों द्वारा करमा नृत्य किया जाता है।…
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सोनऊराम निर्मलकर
                        देवार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में रहने वाली एक यायावर जाति है। इनकी उत्पत्ति एवं इतिहास के बारे में कुछ ठीक-ठाक ज्ञात नहीं है पर ये एक ग़रीब परन्तु कलाप्रेमी जाति के रूप में जाने जाते रहे हैं। ये मुख्यतः लोक गाथाओं का…
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विजय सिंह दमाली
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करमा पर्व, मध्यवर्ती भारत की जनजातियों द्वारा मनाया जाने वाला सर्वाधिक प्रिय लोकपर्व है। यह पर्व भाद्रपद षुक्ल पक्ष की एकादषी को मनाया जाता है। वर्तमान समय में ,इस अवसर पर कथावाचन एवं नृत्य-गीतों का आयोजन होता है। इस पर्व के अवसर पर किया जाने वाला  नृत्य, करमा नृत्य एवं गीत करमा गीत…
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स्वर्गिय ज्वालाराम देवर, छत्तीसगढ़ २०१८       देवार , छत्तीसगढ़ की एक घुमंतू जाति है जो वहां की जनप्रिय लोक कथाओं एवं लोकगीतों का गायन कर अपनी आजीविका कमाते रहे हैं।  यह जाति अब छत्तीसगढ़ के विभिन्न नगरों के तालाबों, नदियों या खुले मैदानों में अपने डेरे तानकर रहने लगी है।…
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