प्रगति कुलकर्णी (Pragati Kulkarni)
गोटुल शब्द मैंने पहली बार सुना तब में छत्तीसगढ़ में एक संस्था के साथ काम कर रहा था | गोटुल के बारे में लोगों के अलग अलग विचार थे, कुछ बुरे कुछ अच्छे | मैंने कभी गोटुल देखा नहीं था, पर आदिवासीयों के साथ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता, शहरों में रहने वाले गोंड समुदाय के लोग, लेखक या पत्रकार…
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हर्षित चार्ल्स (Harshit Charles)
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हर्षित चार्ल्स (Harshit Charles)
घोटुल एक तरह का सामुदायिक स्थान है जो मुरिया एवं माडिया गोंड समुदाय के लगभग सभी गाँव में होता है| यह मुरिया एवं माडिया गोंड आदिवासियों के लिए एक शिक्षा, निर्णय, संचार, संस्कृति और धर्म से जुड़ा स्थान है| सालों पहले बस्तर के मुरिया एवं माड़िया समुदाय ने अपने पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाने और गाँव में…
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अमीन चार्ल्स (Ameen Charles)
कान्हा मैकल के आदिवासी जनजातियों की भोजन विविधता को जानने के लिए माह दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 में इस अध्ययन के अंर्तगत चार व्यक्तियों के साथ साक्षात्कार किये गये। साक्षात्कार में विषय से संबंधित प्रश्न पूछे गये। साक्षात्कार किये गये व्यक्तियों का विवरण निम्नलिखित हैं-
श्रीमती रामकली सैयाम…
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अमीन चार्ल्स (Ameen Charles)
कान्हा मैकल पर्वत श्रृँखला मुख्यतः सतपुड़ा पर्वत श्रृँखला का एक हिस्सा है| मध्य प्रदेश के मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, जबलपुर और सिवनी जिले मुख्य रूप से इसके हिस्से हैं, इस श्रृँखला का कुछ हिस्सा कवर्धा जिले में आता है जो अब छत्तीसगढ़ राज्य में है, कवर्धा जिले का वो हिस्सा जो डिंडोरी और मंडला…
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अमीन चार्ल्स (Ameen Charles)
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अमीन चार्ल्स (Ameen Charles)
यह अध्ययन सहपीडिया-युनेस्को शिक्षावृत्ति के अंतर्गत किया गया जो कि मध्य प्रदेश के कान्हा और मैकल के क्षेत्र में निवासरत आदिवासी जनजातियों की भोजन की उपलब्धता और उनकी भोजन संबंधी परम्पराओं के भविष्य पर केन्द्रित है| यह अध्ययन बालाघाट, मंडला व डिंडोरी जिले के उन आदिवासी क्षेत्रों में जाकर किया गया…
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सरोज केरकेट्टा (Saroj Kerketta)
झारखंड सांस्कृतिक विविधताओं का प्रदेश है। साल वनों के इस मनोरम प्रदेश में 32 आदिवासी समुदाय रहते हैं। इसके अलावा यहाँ एक अच्छी-खासी सँख्या मूलवासी गैर-आदिवासियों की भी है जिन्हें यहाँ ‘सदान’ कहा जाता है। ये दोनों समूह मिलकर झारखंड की संस्कृति, कला परंपरा और कारीगरी की बहुरँगी दुनिया का निर्माण करते…
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सरोज केरकेट्टा (Saroj Kerketta)
मूलतः पहले लोग कपड़े नहीं पहनते थे, क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि बुनाई कैसे की जाती है। दुनिया की पहली बुनकर हैम्ब्रुमाई नाम की एक लड़की थी, जिसे सृष्टिकर्ता मताई ने यह कला सिखाई थी। नदी किनारे बैठकर उसने लहरों और तरंगों को देखा और उसका अनुकरण अपने डिजाइनों में किया। वह जंगल में गई और पेड़ों की…
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सरोज केरकेट्टा (Saroj Kerketta)
‘वह छोटानागपुर में रांची नाम के किसी शहर से आया था।...सातवीं क्लास तक पढ़ा भी था। घर में उसके कपड़े बुनने का काम होता था।... खुद सूतों की रंगाई कर लेता था। तानी करने में जितने फुर्तीले उसके हाथ थे, घर में किसी का नहीं था। करघा चलाने की तो बात अलग, नये-नये डिजाइन बनाने में उसका सानी नहीं था। अच्छा…
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