लोक खेल: खीलामार

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Published on: 01 August 2018

चन्द्रशेखर चकोर

लोक खेल उन्नायक, शोधकर्ता एवं लेखक, रायपुर, छत्तीसगढ़

खीलामार सामग्री प्रधान लोक खेल है जिसे लोहामार या गड़उल के नाम से भी जाना जाता है। बाह्य पृष्ठभूमि से संबंधित इस खेल का प्रचलन केवल वर्षा ऋतु में है। इसके लिए लगभग एक फुट लम्बी छड़ की आवश्यकता होती है। ज़मीन का गीला होना गड़उल खेल के लिए अनिवार्य होता है। मूलतः खीलामार का खेल सामग्री प्रधान है। गांवों में इस खेल के लिए तालाब के पार को श्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में मिट्टी होती है। पहले गीली ज़मीन पर लकीर खिंच कर गोला बनाया जाता है। इस गोले के अंदर ही प्रत्येक खिलाडी को खिला मारना होता है। यदि खिलाड़ी द्वारा फेंका गया खिला इस गोले के अंदर जमीन में गड़ गया तब ठीक है ,यदि नहीं गड़ा तब वह खिलाड़ी आउट हो  जाता है। 

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.