छत्तीसगढ़ के पारम्परिक लोक खेल/ Traditional Games from Chhattisgarh

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चन्द्रशेखर चकोर

लोक खेल उन्नायक, शोधकर्ता एवं लेखक, रायपुर, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति अत्यंत आकर्षक है। पारम्परिक लोक खेल इसकी  विशिष्ट विधाओं में से एक है । पारम्परिक लोक खेल वह खेल हैं  जिनकी परम्परा हज़ारों वर्ष पुरानी होती है, यह खिलाड़ियों के मनोरंजन हेतु खेलते-खेलते एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होते रहे हैं। जिनके लिए न खिलाड़ी शब्द अनिवार्य होता है और न ही प्रशिक्षण। इन्हें हम जन-जन का खेल या ग्रामीण खेल भी कहते हैं। जन साधारण द्वारा सहज रूप से खेले जाने के कारण इनमें सामग्री तथा खिलाड़ियों की संख्या सुनियोजित न होकर त्वरित उपलब्धि के आधार पर तय होती है। लोक खेलों में स्वस्थ मनोरंजन की अनुभूति खिलाड़ियों का लक्ष्य होती है किसी प्रकार का पुरस्कार या उपलब्धि नहीं।

 

पारम्परिक लोक खेलों में सामग्री को विशेष महत्व नहीं दिया गया है। जिन लोक खेलों में सामग्री का प्रचलन मिलता है वह भी सरलता से उपलब्ध हो जाने वाली सामग्री पर ही केन्द्रित होते  हैं ।

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.