बस्तर के मृणशिल्प/ From sacred grove to museums: Terracotta sculpture from Bastar

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Published on: 09 August 2018

बस्तर, छत्तीसगढ के कुम्हार अपने आप को राणा, नाग, चक्रधारी और पाँड़े कहते हैं। कुम्हार यहाँ के ग्रामीण जीवन और सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण अंग हैं। पहले कुम्हार केवल स्थानीय लोगों के लिए उनकी आवश्यकता की वस्तुएं बनाते थे। अब यह  कुम्हार शहरी बाजार के लिए भी काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के लिए बनाया जाने वाला काम उपयोगी, अनुष्ठानिक है और उसमे की जानेवाली सजावट अपेक्षकृत कम होती है, जबकि शहरी बाजार के लिए बनाया जाने वाला काम साफ़-सुथरा, चिकना, पालिशदार और अलंकृत होता है। 

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.