बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव

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आशीष सिंह

पत्रकार, लेखक एवं संपादक।
छत्तीसगढ़ के इतिहास, साहित्य एवं संस्कृति में रूचि।

बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव दृढ़ता और संकल्प के प्रतीक थे। छत्तीसगढ़ के इतिहास की प्रमुख घटना कंडेल नहर सत्याग्रह के वह सूत्रधार थे। छोटेलाल श्रीवास्तव का जन्म 28 फरवरी 1889 को कंडेल के एक संपन्न परिवार में हुआ था। पं. सुंदरलाल शर्मा और पं. नारायणराव मेघावाले के संपर्क में आकर उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया। वर्ष 1915 में उन्होंने श्रीवास्तव पुस्तकालय की स्थापना की। यहां राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं मंगवाई जाती थी। आगे चल कर धमतरी का उनका घर स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र बन गया। वह वर्ष 1918 में धमतरी तहसील राजनीतिक परिषद के प्रमुख आयोजकों में से थे। छोटेलाल श्रीवास्तव को सर्वाधिक ख्याति कंडेल नहर सत्याग्रह से मिली। अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के खिलाफ उन्होंने किसानों को संगठित किया। अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ संगठित जनशक्ति का यह पहला अभूतपूर्व प्रदर्शन था। वर्ष 1921 में स्वदेशी प्रचार के लिए उन्होंने खादी उत्पादन केंद्र की स्थापना की। वर्ष 1922 में श्यामलाल सोम के नेतृत्व में सिहावा में जंगल सत्याग्रह हुआ। बाबू साहब ने उस सत्याग्रह में भरपूर सहयोग दिया। जब वर्ष 1930 में रुद्री के नजदीक नवागांव में जंगल सत्याग्रह का निर्णय लिया गया, तब बाबू साहब की उसमें सक्रिय भूमिका रही। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल में उन्हें कड़ी यातना दी गई। वर्ष 1933 में गांधीजी ने पुनः छत्तीसगढ़ का दौरा किया। वह धमतरी गए। वहां उन्होंने छोटेलाल बाबू के नेतृत्व की प्रशंसा की। वर्ष 1937 में श्रीवास्तवजी धमतरी नगर पालिका निगम के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी बाबू साहब की सक्रिय भूमिका थी। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के महान तीर्थ कंडेल में 18 जुलाई 1976 को उनका देहावसान हो गया। 

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.