देवार

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सोनऊराम निर्मलकर
                        देवार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में रहने वाली एक यायावर जाति है। इनकी उत्पत्ति एवं इतिहास के बारे में कुछ ठीक-ठाक ज्ञात नहीं है पर ये एक ग़रीब परन्तु कलाप्रेमी जाति के रूप में जाने जाते रहे हैं। ये मुख्यतः लोक गाथाओं का गायन करके एवं भीख माँगकर, एक जगह से दूसरी जगह घूमते हुए…
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स्वर्गिय ज्वालाराम देवर, छत्तीसगढ़ २०१८       देवार , छत्तीसगढ़ की एक घुमंतू जाति है जो वहां की जनप्रिय लोक कथाओं एवं लोकगीतों का गायन कर अपनी आजीविका कमाते रहे हैं।  यह जाति अब छत्तीसगढ़ के विभिन्न नगरों के तालाबों, नदियों या खुले मैदानों में अपने डेरे तानकर रहने लगी है। देवार अपना संबंध छत्तीसगढ़…
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डॉ. राम कुमार बेहार
     दसमत मंदिर, ओढ़ार गांव, दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़     लोक संस्कृति व लोक साहित्य लोक अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण साधन होते हैं। छत्तीसगढ़ प्राँत, मुख्यतः अदिवासी व ग्रामीण पृष्ठभूमि वाला है ये दोनों तत्व लोक संस्कृति के संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण तत्व माने गए हैं। छत्तीसगढ़ प्राँत में अनेक जनजातियाँ हैं…
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    देवार लोक गाथाओं पर पी.एच.डी. करने वाले श्री सोनऊ राम निर्मलकर से मुश्ताक ख़ान और राकेश तिवारी की बातचीत     मुश्ताक ख़ान (मु.ख़ा.)- आप अपने बारे में कुछ बताएँ। सोनऊ राम (सो.रा.)- सन् 1990 में उत्तर मध्यक्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहाबाद द्वारा आयोजित श्रृँखलाबद्ध कार्यक्रम में नारी कथा गायन को…
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  यहाँ रेखा देवार करमा त्यौहार के परिचय के बाद  ‘करम डार’ गीत प्रस्तुत कर रही हैं | यह विवरण पहले छत्तीसगढ़ी में तदुपरांत हिंदी में दिया गया है।    गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वर: ...2 गुरूर साक्षत परब्रम्ह तस्मै श्री गुरूवे नम:     Chhattisgarhi (Hereafter, C): रेखा देवार-  ये हमर…
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    राकेश तिवारी- नमस्कार आज हमारे बीच देवार घुमंतू जाति के बहुत ही प्रसिद्ध कलाकार, जो छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं अपितु पूरे देश में अपना प्रदर्शन नृत्य का, गीत का कर चुकी हैं ऐसे होनहार कलाकार हमारे बीच है रेखा देवार जी। नमस्कार रेखा जी। रेखा देवार-  नमस्कार।     Chhattisgarhi (Hereafter, C)- राकेश…
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