Claywork
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The soil of Sarguja is rich, loamy and varied. Deep black, ochre and white their colour and texture lends itself to possibilities of being moulded by hand. The Rajwars traditionally landowning farmer communities, have long held a special affinity with this clay, beyond the needs of occupation or…
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सामान्यतः यही माना जाता है कि लोक कलाओं में कलाकार कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लेते, वे अपने परिवार के साथ काम करते-करते स्वतः ही उसे आत्मसात कर लेते हैं। लोक कला एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को सहज ही हस्तांतरित होती चलती है। वर्तमान पीढ़ी पारम्परिक कला को समकालीन स्वरुप में ढालकर उसका समकालीन औचित्य…
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सन १९८२ में भोपाल में भारत भवन की स्थापना के उपरांत तत्कालीन मध्यप्रदेश के जो लोक कलाकार प्रकाश में आए, इनमें सुंदरी बाई रजवार भी थीं। सरगुजा के रजवार समुदाय में अपनी झोपड़ियों की कच्ची मिट्टी से बनी दीवारों पर भित्तिचित्र बनाने की परंपरा तो थी परन्तु सन १९८३ में सोना बाई रजवार को मिली प्रसिद्धी ने…
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में रहने वाले रजवार समुदाय द्वारा की जाने वाली भित्ति अलंकरण कला को आज जो लोकप्रियता हासिल हुई है उसमे पण्डितराम रजवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विलक्षण प्रतिभा के धनी और एक सफल कलाकार पण्डितराम रजवार सरगुजा, छत्तीसगढ़ के रजवार भित्ति अलंकरण एवं भित्ति चित्रण…
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The soil of Sarguja is rich, loamy and varied. Deep black, ochre and white, their colour and texture lends itself to possibilities of being moulded by hand. The Rajwars, traditionally landowning farmer communities, have long held a special affinity with this clay, beyond the needs…
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कहते हैं किसी कलाकार द्वारा बनाई कलाकृतियां उसके व्यक्तित्व का आइना होती हैं। अतः उसके द्वारा सृजित कला संसार को, उस कलाकार के जीवन को जाने बिना समझना दुष्कर है। यह परिस्थितियां ही होती हैं जो कलाकार की सोच और उसकी संवेदनाओं को जागतीं हैं, उन्हें उद्वेलित करतीं हैं और उन्हें व्यक्त करने…
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सन १९८३ में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भरतभावन की स्थापना के साथ ही कुछ विलक्षण एवं अद्भुद प्रतिभा के धनी कलाकारों की खोज हुई जिन्होंने भारत में ही नहीं विश्व भर में अपनी कला की छाप छोड़ी। इनमें सरगुजा जिले की सोनाबाई रजवार भी एक थीं। मैं इस बात से अपने आप को गौरान्वित अनुभव करता हूँ कि…
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The soil of Sarguja is rich, loamy and varied. Deep black, ochre and white, their colour and texture lends itself to possibilities of being moulded by hand. Terracotta crafts have been practiced by potter (kumhar) communities from this region as a profession. But the Rajwars,…
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