छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में आभूषण Article
लोकगीत
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छत्तीसगढ़ की संपन्न लोक संस्कृति में अनेक लोकनृत्य प्रचलित हैं। इन्हीं प्रचलित लोकनृत्यों में से एक है ‘करमा’ लोकनृत्य। छत्तीसगढ़ के बिलासुपर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर तथा कोरिया, कवर्धा जैसे जिले में निवास करने वाली जनजातियों द्वारा करमा नृत्य किया जाता है।…
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दसमत मंदिर, ओढ़ार गांव, दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़
लोक संस्कृति व लोक साहित्य लोक अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण साधन होते हैं। छत्तीसगढ़ प्राँत, मुख्यतः अदिवासी व ग्रामीण पृष्ठभूमि वाला है ये दोनों तत्व लोक संस्कृति के संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण तत्व माने गए हैं। छत्तीसगढ़…
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राकेश तिवारी- नमस्कार आज हमारे बीच देवार घुमंतू जाति के बहुत ही प्रसिद्ध कलाकार, जो छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं अपितु पूरे देश में अपना प्रदर्शन नृत्य का, गीत का कर चुकी हैं ऐसे होनहार कलाकार हमारे बीच है रेखा देवार जी। नमस्कार रेखा जी।
रेखा देवार- नमस्कार।
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in Interview
लोककथाएँ लोक की सांस्कृतिक यात्रा की साक्षी होती हैं अतः इसमें आधुनिकता का समावेश भी होता है। सामाजिक-राजनीतिक बदलावों के कारण उत्पन्न परिस्थियाँ लोक में सहज स्वीकार्य होकर लोक साहित्य में अभिव्यक्त होने लगती हैं। इस प्रकार लोककथाएँ, लोक-जीवन के सर्वाधिक निकट होती हैं। लोक का ज्ञान…
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Rekha Devar
This module is part of series of modules on performing genres from Chhattisgarh. They seek to reflect the richness of oral epics and folklore traditions from this region, and the modes in which they are performed and recited. The focus is the documentation of the entire epic…
in Module
Harihar Vaishnav, folklorist, Chhattisgarh in conversation with Mushtak Khan on his life contribution to the field of oral traditions of Bastar.
in Video
मानव में अपने शरीर को सजाने, संवारने की नैसर्गिक प्रवृति होती है। अनादिकाल से ही वह अनेक प्रकार के उपादानों से स्वयं को आकर्षक बनाने के प्रयास करता रहा है। स्त्रियों में तो यह प्रवृति और भी तीव्रतर होती है, वे न केवल स्वयं को अधिक सुन्दर देखना चाहती हैं बल्कि अन्यों से अलग भी दिखने की अभिलाषा रखती…
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