लोक कथाओं की गत्यात्मकता- छत्तीसगढ़ की दसमत कैन/Mobility in oral epics

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Published on: 14 December 2018

B. D. Sahu

B. D Sahu is a writer, poet and folklorist based in Raipur, Chhattisgarh. He is currently Secretary, Chhattisgarh OBC Commission.

 

 

लोककथाएँ लोक की सांस्कृतिक यात्रा की साक्षी होती हैं अतः इसमें आधुनिकता का समावेश भी होता है। सामाजिक-राजनीतिक बदलावों के कारण उत्पन्न परिस्थियाँ लोक में सहज स्वीकार्य होकर लोक साहित्य में अभिव्यक्त होने लगती हैं। इस प्रकार लोककथाएँ, लोक-जीवन के सर्वाधिक निकट होती हैं। लोक का ज्ञान अनुभव आधारित और व्यावहारिक होता है। यह वर्तमान और आधुनिकता का तिरस्कार नहीं करता अपितु उसे स्वीकार करता है। लोककथाओं (और लोकसाहित्य) में वर्तमान और आधुनिकता का समावेश होने के कारण ही यह गतिमान होता है। लोककथाएँ अपने इसी गत्यात्मकता के कारण विभिन्न लोक संस्कृतियों-सभ्यताओं की अनंत यात्रा करते हुए, विश्ववव्यापी बन जाती हैं। यही कारण है कि बहुत सारी लोककथाएँ अपने परिवर्तित बाह्य कलेवर के साथ परंतु मूलभाव को अक्षुण्ण रखते हुए विश्व के विभिन्न देशों में पाई जाती हैं। 

 

 

विश्वप्रसिद्ध अंग्रेजी नाटककार शेक्सपियर के प्रसिद्ध ऐतिहाससिक दुखांत नाटक, ’किंग लियर’ में किंग लियर अपनी तीनों पुत्रियों से बारी-बारी से एक सवाल करते हैं कि वे अपने पिता से कितना प्यार करती हैं? दोनों बड़ी, विवाहित पुत्रियाँ- गोनेरिल तथा रीगन, लालचवश, पिता को प्रसन्न करने के लिए, बढ़ा-चढ़ाकर कहती हैं कि वे दुनिया में सबसे अधिक उन्हें ही प्यार करती हैं। किंग लियर उनके जवाब से अत्यंत प्रसन्न होता है। परंतु छोटी, अविवाहित पुत्री कारडीलिया कहती है कि वह पिता से उतना ही प्यार करती है जितना कि उन्हें करना चाहिए। किंग लियर छोटी पुत्री के इस जवाब से रुष्ट हो जाता है और उसे अपनी संपत्ति से वंचित कर देता है। राजा के दुर्दिन आने पर दोनों बड़ी बेटियाँ उनका तिरस्कार करती हैं परंतु छोटी बेटी उनका सहारा बनती है।

 

छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह की एक लोककथा प्रचलित है- एक राजा थां। उनकी तीन बेटियाँ थी। जब बेटियों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो राजा को उनकी शादियों की चिंता होने लगी। राजा ने बेटियों के ज्ञान को जांचना चाहा। उन्होंने बेटियों को अपने पास बुलाकर बारी-बारी से उनसे प्रश्न किया कि वे  किसकी  किस्मत का खाती हैं। दोनों बड़ी पुत्रियाँ कहती हैं कि वे पिता के किस्मत का खाती हैं परंतु छोटी पुत्री कहती है कि वह तो अपने किस्मत का खाती है। राजा बड़ी पुत्रियों के जवाब से प्रसन्न होकर उनकी शादियाँ राजकुमारों से करते है परंतु छोटी पुत्री के जवाब से वे अप्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें मजा चखाने के लिए उनकी शादी किसी मरणासन्न रोगी से कर देता है। कालांतर में राजा और दोनों बड़ी बेटियों का राज छिन जाता है और उन्हें दुर्दिनों का सामना करना पड़ता है। परंतु छोटी बेटी अब किसी राज्य की महारानी है और अपने पिता का सहारा बनती है। 

 

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh