रेखा देवार द्वारा दसमत कैना प्रस्तुत /Dasmat Kaina Performance by Rekha Devar
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रेखा देवार द्वारा दसमत कैना प्रस्तुत /Dasmat Kaina Performance by Rekha Devar

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Published on: 13 December 2018
Dasmat Kaina, Chhattisgarh, 2018

 

 

दसमत कैना कथा - रेखा देवार की प्रस्तुति

 

(Chhattisgarhi, Hereafter C)- रेखा देवार- राजा भोज रिहिसे। ओकर सात झन बेटी रहिसे त सब झन ल पुछथे- बेटी हो काकर करम म खाथव, काकर करम म पिथव, काकर करम के लेथव नाव। त दसमत कइना ह कथे- ददा मैं अपन करम म खाथवं, अपन करम म पिथवं, अपन करम के लेथवं नाव।

(Hindi, Hereafter H)- रेखा देवार- राजा भोज थे, उनकी सात बेटियां थी सभी से वे पूछते है कि बेटी किसके कर्म का खाते हो, किसके कर्म का पीते हो, किसके कर्म का लेते हो नाम। तब दसमत कइना (सुंदर युवती) कहती है पिता जी मैं अपने कर्म का खाती हूं, अपने कर्म का पीती हूं, अपने कर्म का लेती हूं नाम।

 

 

C- त राजा भोज कथे- मैं तोर करम ल देखिहवं। त दू झन ओड़िया जेकर रहे बर घर नइ राहय, खाय बर एको ठी दाना नइ राहय पहिरे बर एको ठी कपड़ा नइ राहय तेन ल दसमत कइना ल दे देथे। दसमत कइना कथे ददा- आज मैं तोर इही भोज नगर म सोन के कुकरा बसाहवं तभे दसमत कइना कहाहवं।

H- राजा भोज कहते है- मैं तुम्हारे कर्म को देखूंगा। दो ओड़िया व्यक्ति जिनके पास रहने को घर नहीं, खाने को दाना नहीं, पहनने के लिये एक कपड़ा नहीं था उसे दसमत को दे देता है। दसमत कहती है पिता जी- मैं आपके इसी भोज नगर में सोने के मुर्गे से बांग दिलाउंगी  तभी मैं दसमत कहाऊंगी।

 

 

C- उही कथा ल मैं आज सुनावथवं। अउ पढ़े लिखे नइ हवं गलती होही तव माफी देहव।

H- उसी कथा को मैं आज सुना रही हूं। पढ़ी-लिखी तो नहीं हूं, गलती पर क्षमा करें।

 

 

C- गुरूर ब्रम्हा गुरूर बिसनु गुरूर देवो महेसवर:

H- गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वर:

 

 

C- गुरूर ब्रम्हा गुरूर बिसनु गुरूर देवो महेसवर: -2

H- गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वर:

 

 

C- गुरूर साक्षत परब्रम्ह तसमै श्री गुरूवे नम:

H- गुरूर साक्षत परब्रम्ह तस्मै श्री गुरूवे नम:

 

 

C- गइसे रामायण राम बिना, अर्जुन के बखानेव बान

H- गाइये रामायण राम बिना, अर्जुन का गुणगान बाण

 

 

C- अर्जुन के बखानेव बान

H- अर्जुन का गुणगान बाण

 

 

C- पोथी हरन भई तोर सहदेव बिन, राजा करन बिना दान

H- पोथी हरण भई तुम्हारा सहदेव बिन, राजा कर्ण बिना दान

 

 

C- अजी राजा करन बिना दान...

H- आहा राजा कर्ण बिना दान...

 

 

C- (कोरस)- राजा करन बिना दान...आहा राजा करन बिना दान।

H- (कोरस)- आहा राजा कर्ण बिना दान...आहा राजा कर्ण बिना दान।

 

 

C- दसो जनम के दसमत कइना, तै मिरगा मोहनी के जाल

H- दसो जन्म की दसमत कन्या, तुम मृग मोहिनी की जाल

 

 

C- आहा तै मिरगा मोहनी के जाल...

H- आहा तुम मृग मोहिनी की जाल

 

 

C- अपन करम तगादिरे के कारण, पाये हे ओड़िया भतार

H- अपने करम और भाग्य के कारण, ओड़िया जाति में विवाह होकर आई है अर्थात ओडिया स्वजतीय बनी है

 

 

C- आहा पाये ओड़िया भतार...

H- आहा पायी है ​उड़िया जाति...

 

 

C- (कोरस)- पाये हे ओड़िया भतार...आहा पाये हे ओड़िया भतार।

H- (कोरस)- पायी है ​उड़िया जाति...आहा पायी है ​उड़िया जाति...

 

 

C- करम के लिखा ल कोन टारय बाई, मेटान वाला गवार

H- कर्म का लिखा कौन टाल सकता है, मिटाने वाला गंवार

 

 

C- आहा मेटने वाले गवार...

H- आहा मिटाने वाला गंवार...

 

 

C- ब्रम्हा के लिखे छट्टी के बांचे, समे म उतरे ल पार

H- ब्रम्हा का लिखा छ्ट्टी (छ: दिन में जन्मोत्सव की परंपरा) में बताये भाग्य से ही समय पर पार उतरता है

 

 

C- आहा समे म उतरे ल पर...

H- आहा समय में पार उतरता है  ...

 

 

C- (कोरस)- समे म उतरे ल पर...आहा समे म उतरे ल पर।

H- (कोरस)- आहा समय में पार उतरता है  ... आहा समय में पार उतरता है  ...

 

 

C- राजा भोज बाम्हन के कई बेटी, कुल बम्हनीन के जात

H- राजा भोज की बेटी है और एक ब्राह्मण जात-कुल की है ,

 

 

C- आहा कुल बम्हनीन के जात..

H- आहा एक ब्राह्मण जात-कुल की है ,

 

 

C- अपन करम तगदिरे कई कारण, पाये हे ओड़िया भतार

H- अपने करम और भाग्य के कारण, ओड़िया जाति में विवाह होकर आई है अर्थात ओडिया स्वजतीय बनी है

 

 

C- आहा पाये हे ओड़या भतार..

H- आहा ओडिया स्वजतीय बनी है

 

 

C- (कोरस)- पाये ओड़िया हे भतार...आहा पाये हे ओड़िया भतार

H- (कोरस)- आहा ओडिया पति पाई है, ओडिया पति पाई है

 

 

C- सुदन बिहइया लागे कइना के, लच्छन देवरा तोर

H- सुदन बिहइया कन्या का पति लगता है, लच्छन तुम्हारा देवर

 

 

C- आहा लच्छन देवरा तोर...

H- आहा लच्छन तुम्हारा देवर...

 

 

C- दसे बरस लच्छन देवरा के, सोरा के लागे भतार

H- लच्छन देवर दस वर्ष का है, और पति सोलह साल का 

 

 

C- आहा सोरा के लागे भतार...                                                     

H- आहा पति सोलह साल का...            

 

                                              

C- बारा बरस ओड़नीन के कई उमर, दाई सब ओड़िया तबेदार

H- बारह वर्ष ओड़नीन की उम्रर कई मां और सब ओड़िया सेवक हैं 

 

 

 

C- दसो जनम के दसमत कइना, तै मिरगा मोहनी के जाल

H- दसो जन्म से दसमत कइना , तुम मृग मोहिनी की जाल हो

 

 

C- आहा तै मिरगा मोहनी के जाल...

H- आहा तुम मृग मोहिनी की जाल हो

 

 

C- अपन करम तगा दिरे के कारण, पाये हे ओड़िया भतार

H- अपने करम और भाग्य के कारण ओडिया पति पायी है, ओड़िया पति पायी है

 

 

C- आहा पाये ओड़िया भतार...

H- ओड़िया पति पायी है...

 

 

C- (कोरस)- पाये हे ओड़िया भतार...आहा पाये हे ओड़िया भतार।

H- (कोरस)- आहा ​ओड़िया पति पायी है... आहा ​ओड़िया पति पायी है ...

 

 

C- करम के लिखा ल कोन टारय बाई, मेटान वाला गवार

H- भाग्य का लिखा कोई नहीं टाल सकता और टालने वाला गंवार है

 

 

C- आहा मेटने वाले गवार...

H- आहा मिटाने वाला गंवार...

 

 

C- ब्रम्हा के लिखे छट्टी के बांचे, समे म उतरे ल पार

H- ब्रम्हा का लिखा का छ्ट्टी (छ: दिन में जन्मोत्सव की परंपरा) में बताये भाग्य से ही समय पार उतरता है

 

 

C- आहा समे म उतरे ल पर...

H- आहा समय में पार उतरता है ...

 

 

C- (कोरस)- समे म उतरे ल पर...आहा समे म उतरे ल पर।

H- (कोरस)- आहा समय में पार उतरता है... आहा समय में पार उतरता है...

 

 

C- राजा भोज बाम्हन के कई बेटी, कुल बम्हनीन के जात

H- राजा भोज ब्राम्हण की बेटी है और ब्राह्मण जात कुल की है

 

 

C- आहा कुल बम्हनीन के जात..

H- आहा ब्राह्मण जात कुल की है ...

 

 

C- अपन करम तगदिरे कई कारण, पाये हे ओड़िया भतार

H- अपने भाग्य तकदीर के कारण ही ओडिया पति पायी है

 

 

C- आहा पाये हे ओड़या भतार..

H- आहा ओडिया पति पायी है...

 

 

C- (कोरस)- पाये ओड़िया हे भतार...आहा पाये हे ओड़िया भतार

H- (कोरस)- ओडिया पति पायी है... आहा ओडिया पति पायी है

 

 

C- सुदन बिहइया लागे कइना के, लच्छन देवरा तोर

H- सुदन व्याहता कन्या का पति है और, लच्छन देवर है तुम्हारा

 

 

C- आहा लच्छन देवरा तोर...

H- आहा लच्छन देवर है तुम्हारा...

 

 

C- दसे बरस लच्छन देवरा के, सोरा के लागे भतार

H- दस वर्ष लच्छन देवर दस वर्ष का है और सोलह साल का पति

 

 

C- आहा सोरा के लागे भतार...

H- आहा सोला साल का पति ...

 

 

C- बारा बरस ओड़नीन के कई उमर, दाई सब ओड़िया तबेदार                          

H- बारह वर्ष ओड़नीन की उम्र है, मां और सब ओड़िया उसके सेवक हैं 

 

 

C- रागी - रेखा मैं ये नइ समझेव नोनी के ये का चीज के कथा ए।

H- रागी - रेखा मैं ये नहीं समझ पाया बेटी कि ये किस चीज की कथा है।

 

 

C- रेखा देवार - एहा दसमत ओड़नीन के कथा ये।

H- रेखा देवार - ये दसमत ओड़नीन की कथा है।

 

 

C- रेखा देवार - राजा भोज के सात झन बेटी। अउ सबले छोटी बेटी के काय नाव रिहिसे ।

H- रेखा देवार - राजा भोज की सात बेटियाँ थी और सबसे छोटी बेटी का क्या नाम था ।

 

 

C- रागी - काय नाव रिहिसे।

H- रागी - क्या नाम था।

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइना।

H- रेखा देवार - दसमत कइना।

 

 

C- रागी - अच्छा।

H- रागी - अच्छा।

 

 

 C- रेखा देवार - एक दिन राजा के मन विचार अइस।

H- रेखा देवार - एक दिन राजा के मन में एक विचार आया।

 

 

C- रागी - अच्छा।

रेखा देवार - अपन सातो बेटी ल कथे। मंत्री ल कथे जा बला के ला मैं उंकर से एक ठो बिचार ल पूछिहवं। दरबार म बइठार लेथे। अउ सब ल कथे बेटी हो, एक ठो बात आज मैं तुहर ले पुछत हवं।

H- रेखा देवार - अपने सातों बेटियों को बुलवाते हैं। मंत्री से कहते है जावो बुलाकर लाओ मुझे उनसे एक बात पूछना है। राजा दरबार में बैठाकर अपनी सभी बेटियों से कहते है कि मैं तुम लोगों से एक बात पूछना चाहता हूं।

 

 

C- रागी – अच्छा, का बात?

H- रागी— अच्छा, क्या बात?

 

 

C- रेखा देवार - राजा भोज कथे त सबे झन सातों बेटी मन कथे हां हां पूछ न ददा का बात हे। बेटी काकर करम के खाथव, काकर करम म पिथव अउ काकर करम म लेथव नावं। त छेवो झन बेटी ओला जवाब देवथे।

H- रेखा देवार- तो सभी सातों बेटियां कहती है हां हां पूछिये पिताजी। बेटी किसके भाग्य का खाते हो, किसके भाग्य का पीते हो और किसके भाग्य का नाम ल्रती हो । तो छ: बेटियां उनको जवाब देते है।

 

 

C- रागी- हां का कथे।

H- रागी- हां क्या कहते है।

 

 

C- रेखा देवार - ददा- तोरे करम म खाथन, तोरे करम म पिथन, तोरे करम के लेथन नाम। अउ दसमत कइना चुपे चुप बइठे राहय।

H- रेखा देवार - पिता जी आपके ही भाग्य का खाते है, आपके ही भाग्य का पीते है, आपके ही भाग्य का नाम लेते हैं । और दसमत कइना (कन्या) चुप बैठी रही।

 

 

C- रागी- कठवाय राहय कइदे।

H- रागी- बुत बनी बैठी रही।

 

 

C- रेखा देवार - कठवाय राहय । त राजा भोज कथे बेटी तै तो मोर सबले छोटे बेटी अस तै कइसे चुपे-चुप बइठे हस। तहू बता का बात हे, तोरो मन का विचार हे। त कथे ददा मैं ह कहू तोला गुस्सा आही। त कथे- नहीं नहीं बता, काबर गुस्सा आही तोर मन म काहे तेला बता। दसमत कइना कथे- ददा मैं अपन करम म खाथवं अपन करम के पिथवं, अपन करम के लेथवं नाम। अतका म राजा गुस्सा जथे। तोर करम ल मैं देखिहवं।

H- रेखा देवार - बुत बनी बैठी रही। तब राजा भोज उनसे कहते है कि तुम तो मेरी सबसे छोटी बेटी हो कैसे चुपचाप बैठी हो। तुम भी अपने मन की बात बताओ, क्या बात है। दसमत कहती है पिताजी मैं बोलूंगी तो आपको गुस्सा आयेगा। कहते है नहीं क्यों गुस्सा आयेगा तुम अपने मन की बात बताओ। तब दसमत कहती है- पिताजी मैं अपने भाग्य का खाती हूं अपने भाग्य का पीती हूं और अपने की भाग्य का नाम लेती हूं। इतने में राजा को गुस्सा आ जाता है। अब मैं तुम्हारे भाग्य को देखूंगा । )

 

 

C- रागी - अच्छा।

रेखा देवार- का देखिहवं। जेकर घर एको ठी खाय बर दाना झन राहय, रहे खपरा झन राहय पहिये बर कपड़ा झन राहय तेन दूहू। मंत्री मन ल भेजथे जा कहिस- जे मेर कइबे त कहू त जेकर कना सूते बसे बर कपड़ ओनहा नइ रही तेन ल तुमन खोज के लानिवं ओही ल देहू येला।

H- रेखा देवार- भाग्य को देखूंगा मैं । जिसके घर खाने का एक दाना नहीं, रहने को घर नहीं, पहनने को पकड़ा नहीं उसे दूंगा, तुम्हे। मंत्री को भेजते हुये कहते है कि जहां से भी तुम्हे ऐसा आदमी दिखे जिसके पास रहने को घर नहीं, खाने को रोटी नहीं और पहनने को वस्त्र नहीं ऐसे व्यक्ति तलाश कर लाओ, उसे ही इसको दूंगा।

 

 

C- रागी - रेखा ऐ बता ओ ओकर टूरी ह, छोटे टूरी ह एकदम कारी करपोंगी रिहिसे का।

H- रागी - रेखा ये बताओं तो उनकी लड़की, छोटी लड़की एकदम काली कलूटी थी क्या।

 

 

C- रेखा देवार - ये एकदम खीक रहिसे कहिथस गा।

H- रेखा देवार - क्या.. क्या..। एकदम बदसूरत थी कह रहे हो जी।

 

 

C- रागी - एकदम खीक अंग त तो ओला जेकर घर खाय बर दाना नहीं, मुंदरी न माला नहीं तेकर संग बिहा करहा कहिथे।

H- रागी - एकदम बदसूरत तभी तो जिनके घर खाने को दाना नहीं, न माला न अंगुठी उनके साथ विवाह कराऊंगा कहते है।

 

 

C- रेखा देवार -  अइसन बात नइये, ओ कतका सुंदर रहिसे-

H- रेखा देवार -  ऐसी बात नहीं, वो तो इतनी सुंदर थी की-

 

 

C- चिरई म सुंदर वो पतरेंलिया, साप सुंदर मनिहार

H- पक्षियों में सुंदर वो पतरेलिया(पक्षी) जैसी, सर्प में मनिहार सांप जैसे सुन्दर थी

 

 

C- नारी म सुंदर दसमत कइना जग ल मोहय झन चार हरि।

H- नारी में सुंदर दसमत कइना, चारो जग को मोहने वाली थी, ​हरि।

 

 

C- किया कुंदरवा कुंदे तोला सोन साम ढारे सोना

H- काया गढ़ने वाले ने उसे  सोने में ढाला है

 

 

C- मुरिद नारायण गढ़े ओला, पंजा देवय भगवान जी।

H- मुरिद नारायण ने उसे गढ़ा है उनको,  भगवान ने पंजा दिया है ,जी

 

 

C- रागी - भगवान जी।

रेखा देवार -  अतका सुघ्घर रहिसे ओहा। जात हे मंत्री मन ओड़िया मन मेर जाथे किथे चल तोला राजा साहब बलावथे। ओड़िया मन बिचारा मन निगोटी पहिली पहिनत रिहिसे अब पान पतइया ल पहिरे राहय। किथे हमर से का गलती होगे काबर राजा साहेब बलाथे।

H- रेखा देवार – वह इतनी सुंदर थी।  मंत्री ओड़िया लोगों के पास पहुंचते हैं  और कहते है, चलो राजा साहब बुलाये है। ओड़िया बेचारे लंगोटी पहने रहते है, पत्तों से तन ढकने वाले लोग डर कर कहते है, हमसे क्या गुनाह हुआ है, क्यो राजा साहब बुलाये है।

 

 

C- रागी -  डर्रा नहीं गे वो।

H- रागी -  डर गये न।

 

 

 C- रेखा देवार -  त काबर नहीं, कहिस चल-चल कहिस। बिचारा मन डर के मारे थरथिर-थरथिर कांपत अइस। राजा कइथे बइठा-बइठा। बइठार लेथे अउ नरियर ल धर लेथे एक ठो धोती ल अउ दसमत कइना के हाथ ल धर लेथे आज ले बेटी ल मैं तोला दे देव। दसमत कइना ओही मेर कथे ददा- मैं तोर ये भोज नगर म सोन के ककुरा बसाहवं तभे तो मैं दसमत कइना कहाहवं।

H- रेखा देवार – तो क्यों,  कुछ भी  नहीं, चलो तुम। बेचारे डर से कांपते हुये पहुंचे। राजा कहते है बैठो-बैठो। बिठा कर एक नारियल, एक धोती लेकर अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर कहते है, आज से अपनी बेटी तुम्हे दे रहा हूं। दसमत वही पर कहती है पिताजी- मैं आपके इस भोज नगर में सोने के  मुर्गे से बांग दिवाऊंगी  बसाऊंगी तभी तो मैं दसमत कहाऊंगी।

 

 

C- रागी -  वाह।

रेखा देवार -  अउ तै खीक रहिसे कहिथस।

H- रेखा देवार -  और आप बदसूरत थी बोल रहे हो ।

 

 

C- नरगी दाड़ी ओ तोर बइहा ह बिराजे हावय, केरा कदल दूनो

H- नरगी वृक्ष के ताने से जैसी उसकी बाँहे बनी हों और केले के ताने जैसे दोनो

 

 

C- रागी -  केरा कदल दूनो

H- रागी— केले के तने जैसे दोनो

 

 

C- केरा कदल दूनो जांगे का ओ दाई मोर केरा कदल दूनो जांगे।।

H- केले के तने जैसे दोनो जांघ क्या, ओ मां मेरी. केले के ताने जैसे दोनो जांघ

 

 

C- रागी -  जांगे का ओ दाई... केरा कदल दूनो जांगे...

H- रागी— जांघ क्या ओ मां... केला के ताने जैसे दोनो जांघ...

 

 

C- आमा चानी दूनो गाले ह बिरजे हावय, पाका कुंदरू तोर

H- कटे आम के टुकड़ा जैसे उसके दोनो गाल है, पका कुंदरू तुम्हारा

 

 

C- रागी -  पाका कुंदरू तोर

H- रागी— पका कुंदरू तुम्हारा

 

 

C- पाका कुंदरू तोर ओठे का ओ मोर दाई पाका कुंदरू तोर ओठे।।

H- पके कुंदरू जैसे तुम्हारा होठ, क्या ओ मेरी मां, पके कुंदरू जैसा तुम्हारी होठ।।

 

 

C- रागी - पाका कुंदरू का दाई... मोर दाई पाका कुंदरू तोर ओठे...

H- रागी— पका कुंदरू क्या मां... मेरी मां, पका कुंदरू तुम्हारे होठ

 

 

C- सेवती चाउर तोर दांते हा बिराजे हावय,

H- सेवती चावल जैसे तुम्हारे दांत है,

 

 

C- रागी - जिभिया कमल के तोर

H- रागी— जीभ कमल की तुम्हारी

 

 

C- जिभिया कमल के तोर फूले का ओ दाई मोर जिभिया कमल के फूल।

H- कमल फूल की तुम्हारी जीभ, क्या ओ मां, मेरी जीभ कमल का फूल।

 

 

C- रागी -  जिभिय का ओ दाई... मोर जिभिया कमल के फूल...

H- रागी— जीभ क्या ओ मां ... मेरी जीभ कमल का फूल...

 

 

C- बटवा म तोर दूनो नाके ह बिराजे हावय, कुसुम बरन दूनो

H- बटवा में तुम्हारी दोनो नाक विराजे है, कुसुम की तरह दोनो

 

 

C- रागी - कुसुम बरन दूनो

H- रागी— कुसुम की तरह दोनो

 

 

C- कुसुम बरन दूनो नयना का ओ दाई मोर कुसुम बरन दूनो नयना।।

H- कुसुम की तरह दोनो नयन क्या ओ मां मेरी कुसुम की तरह दोनो नयन।।

 

 

C- रागी -  नयना का ओ दाई... कुसुम बरन दूनो नयना...

H- रागी -  नयन क्या ओ मां... कुसुम की तरह दोनो नयन

 

 

C- सारस अड़वा तोर एड़ी ह बिराजे हावय, दुधिया नरियर

H- सारस के अंडा जैसी तुम्हारी एड़ी है, दुधिया नारियल

 

 

C- रागी -  दुधिया नरियर

H- रागी— दुधिया नारियल

 

 

C- दुधिया नरियर सिरे का ओ दाई मोर दुधिया नरियर।

H- दुधिया नारियल जैसे सिर क्या ओ मां मेरी दुधिया नारियल।

 

 

C- रागी - सिरे का ओ दाई... तोर दुधिया नरियर...

H- रागी— सिर है क्या हो मां... तुम्हारी दुधिया नारियल

 

 

C- रेखा देवार - अतका सुंदर रइथे ओहा। तव ओड़िया ल दे देथे ?

H- रेखा देवार - इतना सुंदर थी वो । तो उसे ओड़िया को दे देते है ?

 

 

C- रागी -  ओहो...।

H- रागी -  ओह...।

 

 

C- रेखा देवार - ओड़िया ह चल देथे अउ जाथे अपन संग म जंगल म रइथे तेन मेर दसमत कइना ल लेग जथे।

H- रेखा देवार - ओड़िया चले जाते है, अपने साथ दसमत को लेकर जंगल, जहां वे लोग रहते है।

 

 

C- रागी - अपन कुटिया मेरा कइदे।

H- रागी - अपनी कुटिया में कहो।

 

 

C- रेखा देवार -  कुरिया मेरा अउ उही पथरा जेन हीरा रइथे हीरा ओमन जानबे नइ करय ओड़िया मन। हीरा रइथे ओ पथरा म। पहिली तो सबले पहिली कतका सुघ्घर नहवाथे खोरवाथे दसमत कइना हा। अच्छा बड़े बड़े मरकी रइथे तेन म अच्छा गरम पानी करके खलखल ले नहवाथे-धोवाथे।

H- रेखा देवार -  कुटिया के पास, वहीं जहां ​वो पत्थर था, जिसमें हीरा होता है, वे ओड़िया लोग जानते ही नहीं हीरा रहता है, उस पत्थर में। सबसे पहले तो बड़ी बड़ी मटकों में पानी गर्म कर उनको अच्छे से स्नान कराती है।

 

 

C- रागी - माटी के हड़िया म कइदे।

रागी - मिट्टी की हांडी में कहो

रेखा देवार -  ओकर बाद कथे तुमन का काम करथव। तब किथे हमन ओ पथर ल फोरे ल जाथन। उहां ले अतका-अतका बड़ मिलथे तेन ल लाके सेठ घर देथन। कथे आज मोला देखाहा। चल देथे ओति ले आथे त दसमत कइना ल देखाथे। देखते दसमत कइना जान लेथे येतो हीरा ये।

H- रेखा देवार -  उसके बाद कहती है, कि तुम अब बताओ कि काम क्या करते हो। तब वे दोनों कहते है हम पत्थर तोड़ने जाते है और वहा से जो छोटा-छोटा निकलता है उसे सेठ को लाकर देते है। दसमत कहती है मुझे आज लाकर दिखना तो। दोनो भाई काम पर चले जाते है और वहां से आते समय एक पत्थर अपने साथ लेकर आते है, दसमत को दिखाने के लिये। देखते ही दसमत जान जाती है कि यह तो हीरा है।

 

 

C- रागी -  हीरा ये येतो।

H- रागी -  हीरा है यह तो।

 

 

C- रेखा देवार -  किथे ओकर बाद सेठ घर चला। चल-चल सेठ घर तुहर संग जाहवं मेहा। जाथे त एक ठन ल गिरा देथे। ताहन दसमत कइना ओकर हाथ ल पकड़ लेथे बनिया के। बनिया के हाथ ल पकड़ लेथे येहा का चीजे आए तेला तै बता। थरथर-थरथर कांपे लगथे।

H- रेखा देवार -   कहती है, कि चलो उस सेठ के घर, मेरे साथ। जाते ही एक हीरे को गिरा देती है। उसके बाद दसमत उस बनिये का हाथ पकड़ लेती है। बनिये का हाथ पकड़ कर कहती है, ये सब क्या है बताओ। बनिया थरथर कांपने लगता है।

 

 

C- रागी - आखिर येमन कब ले देवथे तोला। अउ तै कब ले लेवथस।

H- रागी - आखिर ये लोग कब से दे रहे है तुम्हे और तुम कब से ले रहे हो।

 

 

C- रेखा देवार - कब ले । त जादा नहीं तो तभे ले दस बीस ठो किरगा म भरे रिहिसे होही हीरा ह।

H- रेखा देवार - कब से। लगभग बीस हीरा किरगा (लकड़ी के सेंध) में रखा रहता है।

 

 

C- रागी - ओहो ददा रे।

H- रागी - अरे...बाप रे।

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइना सबे दरवजा ल बंद कर देथे। ओकर बाद सबे ओड़िया मन ल बलाथे। 

H- रेखा देवार -  दसमत सभी दरवाजों को बंद कर देती है और उसके बाद सभी ओड़िया लोगों को बुलाती है।

 

 

C- नव लाख ओड़िया नव लाख बेड़िया, कुहूक दले बेलदार

H- नौ लाख उड़िया नौ लाख ​परिवार के स्त्रीयों का बड़ा भारी दल

 

 

C- आहा कुहूक दले बेलदार

H- आहा कामगारों का बड़ा भारी दल

 

 

C- नव लाख ओड़िया के लगे कछेरी, घमन लगे दरबार

H- नौ लाख ओड़िया लोगों की कचहरी लगी है, और दरबार शोर-शराबे से भर गया है

 

 

C- आहा घमन लागे दरबार

H- आहा दरबार घमकने लगा है

 

 

C- (कोरस)- आहा घमन लागे दरबार, आहा घमन लागे दरबार

H- (कोरस)- दरबार घमकने लगा है दरबार घमकने लगा है

 

 

C- गाल बजावय दसमत कइना सुन लेबे जोड़ी मोर बात

H- गाल बजाती हुई दसमत कइना अपने पति से कहती है सुनो जोड़ी(पति) मेरी बात

 

 

C- आहा सुन ले जोड़ी मोर बात

H- आहा सुनो जोड़ी मेरी बात

 

 

C- धाम-धाम कई डेरा ल देखेव मन नइ लागे हमर

H- कई जगहों में डेरा देख चुकी हूं पर अब मेरा मन इनमे नहीं लगता

 

 

C- आहा नइ दिल लागे हमार

H- आहा मेरा मन नहीं लगता

 

 

C- (कोरस)- आहा नइ दिल लागे हमार, आहा नइ मन लागे हमार

H- (कोरस)- आहा मेरा मन नहीं लगता, आहा मेरा मन नहीं लगता

 

 

C- तीन पइत तिरबेनी ल देखेव, चौथे देखेव जगन्नाथ

H- तीन बार त्रिवेणी को देखी, चौथे जगन्नाथ को देख चुकी हूँ

 

 

C- आहा चौथे देखेव जगन्नाथ

H- आहा चौथे जगन्नाथ को देख चुकी हूँ

 

 

C- कंकर बस्तर मंडला ल देखेव, देखेव जबलपुर राज

H- कांकेर बस्तर मंडला को देखी, और जबलपुर राज भी देख ली हूँ

 

 

C- अहा देखेव जबलपुर राज

H- आहा जबलपुर राज भी देख ली हूँ

 

 

C- (कोरस)- अहा देखेव जबलपुर राज, अहा देखेव जबलपुर राज

H- (कोरस)- आहा जबलपुर राज भी देख ली हूँ

जबलपुर राज भी देख ली हूँ

 

 

C- नून खाये नून गली ल देखेव, माखुर कलिंगा राज

H- नमक खायी, नमक गली को देखी, और तंबाकू वाले कलिंग राज को भी देख चुकी हूँ

 

 

C- अहा माखुर कलिंगा राज

H- आहा तंबाकू वाले कलिंग राज को भी देख चुकी हूँ

 

 

C- धाम-धाम कई डेरा देखेवं, जोड़ी मन नइ लागे हमार

H- कई जगहों में डेरा देख चुकी हूं पर अब मेरा मन इनमे नहीं लगता

 

 

C- धाम-धाम कई डेरा देखेवं, जोड़ी मन नइ लागे हमार

H- कई जगहों में डेरा देख चुकी हूं पर अब मेरा मन इनमे नहीं लगता

 

 

C- एक नजर मोला लेग के देखा दे धवरा नगर के राज

H- अब मुझे एक नजर धौरा नगर का राज लेजाकर दिखा दो

 

 

C- रेखा देवार - अउ कथे नहीं।

H- रेखा देवार - और कहते है न।

 

 

C- रागी - का कथे।

H- रागी - क्या कहते है।

 

 

C- रेखा देवार - अब तिरिया टेक ल धरे हे। तिरिया टेक ल धरे रहिथे तिरिया मनके कतका टेक रहिथे।

H- अब तिरिया (स्त्री) हठ में अड़ी है। नारियों की जिद कितनी होती है, चाहिए तो चाहिए।

 

 

C- रागी - बाल हट नारी हट काबर कहे हे।

H- रागी - बाल हठ, नारी ​हठ क्यों कहा गया है।

 

 

C- रेखा देवार - तिरिया के टेक ल धरे हे कइना। सुदन बिहइया कइथे- कइना तै अकेल्ला म मोला कुछ बोली बोल देते अउ आज ओड़िया मन के लगे सभा ते तेन बीच म तै मोला काबर बोले।

H- रेखा देवार - तिरिया हठ में है कन्या । सुदन बिहइया कहता है-कन्या तुम मुझे अकेले में कुछ भी बोल लेते मगर आज ओड़िया सभा के बीच तुमने मुझे क्यो कहा।

 

 

C- रागी - समाज में तै बोल के मोर निन्दा कर दे।

H- रागी - समाज में बोलकर तुमने मेंरी निंदा करा दी ।

 

 

C- रेखा देवार - अकेल्ला म तै कुछ बोली मोला बोल लेते अउ चार समाज के बीच आज के बाद तै अइसन झन बोलबे दसमत कइना।

H- रेखा देवार - अकेले में चाहे जो भी बोलना मुझे किन्तु समाज में आज के बाद ऐसा दोबारा मत बोलना दमसत।

 

 

C- एक बोली बोले मोला चलती फिरती... दसमत कइना

H- एक बात तुम मुझसे चलते फिरते कहना... दसमत कइना

 

 

C- एक बोली बोले मोला चलती फिरती, दूसर रद्दा म दसमत अउ तीसर बोली बोले सुते दसना म...

H- एक बात तुम मुझसे चलते फिरते कहना, और दूसरी रास्ते में दसमत, और तीसरी बात तुम मुझे बिस्तर में सोये हुए ...

 

 

C- सुते दसना म कइना फेर सुवा काठी पारय सुते दसना म...

H- बिस्तर में सोये हुए कइना पर सुआ अर्थात तोता तो सुन लेगा जो सब सुनते रहता है ...

 

 

C- (कोरस)- सुते दसना म कइना फेर सुवा काठी पारय सुते दसना म...2

H- (कोरस)- बिस्तर में सोये हुए कइना पर सुआ अर्थात तोता तो सुन लेगा जो सब सुनते रहता है

 

 

C- एक बोली बोले मोला चलती फिरती...

H- एक बात तुम मुझसे चलते फिरते कहना...

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइना ।

रागी-  हां।

रेखा देवार - आज के बाद तै सुरता कर ले, अतका झन मोर ओड़िया मन के बीच म तै अइसना बोली झन बोलबे न।

H- रेखा देवार - आज के बाद तुम याद रखना, इतने मेरे ओड़िया लोगों के बीच तुम ऐसी बात मत कहना

 

 

C- एक बोली बोले मोला चलती फिरती, दूसर रद्दा म दसमत, तीसर बोली बोल सुते दसना म...

H- एक बात तुम मुझसे चलते फिरते कहना, और दूसरी रास्ते में दसमत, और तीसरी बात तुम मुझे बिस्तर में सोये हुए ...

 

 

C- सुते दसना म कइना फेर सुवा काठी पारय सुते दसना म...

H- बिस्तर में सोये हुए कइना पर सुआ अर्थात तोता तो सुन लेगा जो सब सुनते रहता है ...

 

 

C- (कोरस)- सुते दसना म कइना फेर सुवा काठी पारय सुते दसना म...

 H- बिस्तर में सोये हुए कइना पर सुआ अर्थात तोता तो सुन लेगा जो सब सुनते रहता है

 

 

C- (कोरस)- सुते दसना म कइना फेर सुवा काठी पारय सुते दसना म...2

H- बिस्तर में सोये हुए कइना पर सुआ अर्थात तोता तो सुन लेगा जो सब सुनते रहता है

 

 

C- रेखा देवार - सुदन बिहइया ओइसने कइथे। इही ल तै मोला एकेल्ला म कई देते त मैं अभिच्चे डेरा ल उसाल देतेव।

H- रेखा देवार - सुदन बिहइया ऐसे बोलते है। इसी को अगर मुझे अकेले में बोली होती तो मैं तुरंत यहां से डेरा उठा लेता।

 

 

C- हंसा के दल मोर पड़की परेवना कुर्री के दल भेंगराज

H- हंस का दल मेरे पड़की परेवाना (तोता कबूतर), कुर्री (एक प्रकार का पक्षि) के दल भृंगराज 

 

 

C- आहा कुर्री के दल भेंगराज

H- कुर्री (एक प्रकार का पक्षि) के दल भृंगराज 

 

 

C- ओड़िया के दब में चलय रे भाई, कंकर पत्थर फुट जाय

H- ओड़िया जब चलते हैं तो उनके दबाव से भाई, कंकड़ पत्थर फूट जाते हैं

 

 

C- आहा कंकर पत्थर फूट जाये

H- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाते हैं

 

 

C- (कोरस)- आहा कंकर पत्थर फूट जाये

H- (कोरस)- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाते हैं

 

 

C- धार नंगर ले उसले डेरा धौरा नंगर बर जाय

H- धार नगर से डेरा उठ कर धौरा नगर को जा रहा है

 

 

C- आहा धौरा नंगर बर जाय...

H- आहा धौरा नगर को जा रहा है ...

 

 

C- आगू के लाज ल पानी रे पावय पाछू के चिखला खाय

H- आगे आगे चलने वाले बरसात के पानी से भीगते हैं और पीछे की और के लोग कीचड में सनते हैं

 

 

C- आहा पाछू के चिखला खाय...

H- आहा पीछे के लोग कीचड़ से सनते हैं ...

 

 

C- (कोरस)- आहा पाछू के चिखला खाय...

H- (कोरस)- पीछे के लोग कीचड़ से सनते हैं...

 

 

C- जेखर पाछू खेरवारी गाये धुर्रा म धुर्रा उड़ाय

H- जिनके पीछे खेरवारी गाय है धूल में धूल उड़ा रही हैं

 

 

C- आहा धुर्रा म धुर्रा उड़ाय...

H- आहा धूल में धूल उड़ा रही हैं ...

 

 

C- नानमून लसगर मरय लदगा के पोई के कोई गम नइ पाय

H- छोटे मोटे जीव दबकर मर रहे हैं पोई (चूजा) का तो किसी को पता ही नही चलता

 

 

C- पोई के कोई गम नइ पाय...

H- पोई (चूजा) का कोई पता ही नही चलता ...

 

 

C- चलती म कोड़य कुआ बावली, बइठे म बंधा के पार

H- चलते चलते में कुआ बावली खोद देतें हैं, और जहाँ डेरा दाल देते हैं वहां बड़ा तालाब खोदते हैं 

 

 

C- आहा बइठे म बंधा के पार...

H- आहा और जहाँ डेरा दाल देते हैं वहां बड़ा तालाब खोदते हैं ...

 

 

C- धार नंगर के चौपट भांठा म डेरा परे नौ लाख

H- धार नगर के चौपट भांठा (समतल धरा) में नौ लाख लोगों ने डेरा डाला है

 

 

C- आहा डेरा परे नौ लाख...

H- आहा नौ लाख लोगों ने डेरा डाला है

 

 

C- (कोरस)- आहा डेरा परे नौ लाख...

H- (कोरस)- आहा नौ लाख लोगों ने डेरा डाला है

 

 

C- कोनो तनाय सरकी बरकी कोनो गुरौंदी चार

H- कोई चटाई वगैरह तान रहा है तो कोई रहने के लिए घरौन्दा चार बना रहा है

 

 

C- आहा कोनो गुरौंदी चार...

H- आहा कोई घरौन्दा बना रहा है ...

 

 

C- दसमत तानय लाल तंबू ल, फेर धरम ध्वजा फहराय...

H- दसमत ने तम्बू बनाया फिर उसमे धर्म ध्वज फहराया ...

 

 

C- रेखा देवार - हंसा के दल पड़की परेवना, कुर्री के दल भेंगराज, ओड़िया के दल जेमा चलय रे भाई कंकर पत्थर फूट जाय...।

H- रेखा देवार — हंसों को दल पड़की परेवना (पक्षि), कुर्री (एक प्रकार का पक्षि) भेंगराज (एक प्रकार का पौधा), ओड़िया दल चले जिससे कंकड़ पत्थर फूट जाये

 

 

C- रागी— ओहो।

रेखा देवार -   आगू के जल पानी रे पाय पाछू के चिखला खाय। जेखर पाछू खेलवारी गाय धुर्रा म धुर्रा उड़ाय। अउ नानूमन लसगर लदगा के मरय, कोई कोई गम नइ पाय।

H- रेखा देवार—आगे आगे चलने वाले बरसात के पानी से भीगते हैं और पीछे की ओर के लोग कीचड में सनते हैं जिनके पीछे खेरवारी गाय है धूल में धूल उड़ा रही हैं और छोटे मोटे जीव दबकर मर रहे हैं पोई (चूजा) का तो किसी को पता ही नही चलता

 

 

C- रागी - गम नइ पाये किदे चिखला मात जाये।

(रागी— कोई नहीं जान पाते। कीचड़ हो जाता है ।)

 रेखा देवार - चिखला मात जाय धुर्रा उड़ जाय। धार नंगर के चौपर भाठा डेरा परे नौ लाख, कोनो तानय सरकी बरकी कोनो गुरौंदी चार, दसमत कइना तानय लाल तंबू ल, धरम ध्वजा फहराय। अउ जाते साठ गठरी के दाम खाय। अउ पहिली रहिसे का।

H- रेखा देवार— कीचड़ हो जाता है, धूल उड़ने लगता है । धार नगर की खुले मैदान पर नौ लाख डेरा, कोई चटाई तान रहे है तो कोई और घरौंदा, दसमत कइना लाल तंबू तान रही है, धर्म ध्वजा फहरा रही है। और पहुचते ही मोल चुकाते । पहले रिवाज था।

 

 

C- रागी - रिवाज कइदे।

H- रागी— रिवाज कहो।

 

 

C- रेखा देवार - हा रिवाज रिहिसे जेन गांव म जातिस न त राजा जोहारे ल जाय। त राजा जोहारे ल जाय बर तैयारी करत राहय।

H- रेखा देवार — हां रिवाज था पहले, जिस गांव में डेरा लगाया जाता था तो वहां के राजा का अभिवादन करने जाते थे। तो राजा का अभिवादन करने की तैयारी हो रही है।

 

 

C- रागी -  अच्छा।

रेखा देवार -   त सिंगार कहां-कहां के करिस।

H- रेखा देवार — तो श्रृंगार कहां कहां से की।

 

 

C- रागी – अच्छा, कोन ह।

H- रागी— अच्छा कौन।

 

 

C-  रेखा देवार -   दसमत कइना ह।

रागी – बता बेटी।

कासे कटोरी म घीव ल निकालय अउ दोनिया म तेल

H- कांसे की कटोरी में घी निकाली और दोने में तेल

 

 

C- अउ दोनिया म तेल

H- और दोने में तेल

 

 

C- हाथिन दंते गली कर ककवा रे कोरथे सिर कई केस

H- हाथी दांत की कंघी से सिर के केश सँवार रही है

 

 

C- आहा कोरथे सिर कई केस...

H- आहा केश सँवार रही है

 

 

C- (कोरस)- आहा कोरथे सिर कई केस... आहा कोरथे सिर कई केस

H- (कोरस)- आहा केश सँवार रही है, आहा केश सँवार रही है

 

 

C- बेनी गथाये ओ तीन मूर के लगे रेसम कई डोर

H- उसने अपनी वेणी बनाई है तीन लड़ की, जो ऐसा लग रहा है मानो रेशम की डोर हो

 

 

C- आहा लगे रेसम कई डोर

H- आहा लगे जैसे रेशम की डोर

 

 

C- चंपा चमेली ल बेनी म खोचय दौना के टोरथे डार

H- चंपा चमेली के फूलों को वेणी में लगायी है दौना (पौधा) की डाल से उसके पत्ते तोड़ रही है

 

 

C- आहा दौना के टोरथे डार...

H- आहा दौना (पौधा) की डाल से पत्ते तोड़ रही है

 

 

C- (कोरस)- आहा दौना के टोरथे डार... आहा दौना के टोरथे डार...

H- (कोरस)- दौना की डाल से पत्ते तोड़ रही है आहा दौना की डाल से पत्ते तोड़ रही है

 

 

C- सरब सोन के झाबक गाथे बेनी चमकथे कनिहा के जोर

H- वेणी में सोने से बनी झाबा गुंथी हुई है जो कमर के उपर चमक रहा है

 

 

C- बेनी चमकथे कनिहा के जोर

H- बेनी चमक रही है कमर तक

 

 

C- सिंग के सिंघोरा लेवय लाली के जोगनी अस चमकथे नाक

H- सींग से बनी सिंदूरदान से सिन्दूर ली है और नाक जुगनू जैसे चमक रहा है

 

 

C- जोगनी अस चमकथे नाक...

H- जुगनू जैसे नाक चमक रहा है ...

 

 

C- (कोरस)- जोगनी अस चमकथे नाक... जोगनी अस चमकथे नाक...

H- (कोरस)- जुगनू जैसे नाक चमक रहा है ...

जुगनू जैसे नाक चमक रहा है ...

 

 

C- भांजे पान बंगला के खावय रंगे बत्तीसों दात

H- बँगला पान खाई हुई है जिससे बत्तीसों दांत रंगे हुए हैं

 

 

C- आहा रंगे बत्तीसों दात

H- आहा बत्तीसों दांत रंगे हुए हैं

 

 

C- सारंगढ़ के रंगे पछेला रे सक्ति के टीकली ये तोर

H- सारंगढ़(शहर) का तुम्हारा रंग पछेला (एक प्रकार का गहना) है और सक्ति (शहर) की तुम्हारी बिंदी है

 

 

C- आहा सक्ति के टिकली ये तोर...

H- आहा सक्ति (शहर) की तुम्हारी बिंदी है

 

 

C- (कोरस)- आहा सक्ति के टिकली ये तोर... आहा सक्ति के टिकली ये तोर...

H- (कोरस)- सक्ति (शहर) की तुम्हारी बिंदी है सक्ति (शहर) की तुम्हारी बिंदी है

 

 

C- चांपा के चूरा आरिंग के बिछवा फूल कास पलारीन के मूंदरी गल्ला के लपकथे हार

H- चांपा (शहर) का तुम्हारा चूड़ा (कलाई पर पहने जाने वाला आभूषण) है, आरंग (शहर) की बिछुआ है, पलारी (शहर) की कांसे की अंगूठी है और गले पर हार लटक रहा है 

 

 

C- आहा गल्ला के लटकथे हार

H- आहा गले पर हार लटक रहा है 

 

 

C- धमधा के चुटका मोहनसिंग पट्टा रे गउरी गाजर मुंदरी तोर

H- धमधा का चुटका(आभूषण)है, मोहनसिंग पटा (आभूषण)है, और गौरी गाजर तुम्हारी अंगूठी है

 

 

C- आहा गउरी गाजर मुंदरी तोर...

H- आहा गौरी गाजर तुम्हारी अंगूठी है

 

 

C- दुरूग के लहंगा दुरूग के चोली गढ़ बादल के छिट

H- तुम्हारा लहंगा दुर्ग(शहर) का है, तुम्हारी चोली भी दुर्ग की है और उन पर गढ़ बादल के छींट हैं

 

 

C- रागी- आहा...दादा रे।

H- रागी— ओह… बाप रे।

 

 

C- रेखा देवार - कहा-कहा करे रिहिस सिंगार जानत हस।

H- रेखा देवार- कहां कहां से की श्रृंगार किया था, जानते हो।

 

 

C- रागी – बता बेटी बताओ।

रेखा देवार - जबलपुर के काजल मंडला के पइरी आय, धमधा के चुटका आरिंग के बिछवा फूल कांस पलारी के मुंदरी गल्ला के लपकथे हार। माने जेन-जेन जघा गे रे रिहिसे तिहा-तिहा के ।

H- रेखा देवार— जबलपुर(शहर) का काजल, मंडला (शहर) की पैरी(आभूषण), धमधा(शहर) की चुटका(आभूषण), आरंग(शहर) की बिछिया (आभूषण), कांसे की, पलारी(शहर) की अंगूठी(आभूषण), गले में हार झूल रहा है। मलतब वह जहां जहां, उन उन स्थानों से थे वे सब।

 

 

C- रागी – गहना जेवर ल पहिरिसे किदे।

H- रागी— गहना जेवर पहनी थी कहो।

 

 

C- रेखा देवार - पहिरिस काबर के ओ राजा जोहारे ल जाये राहय। किथे मैं गहना पहिरे के पहिली मैं तरिया नहाय ल जाहां। त दसमत कइना तरिया नहाय ल जाय रहिथे। त ओ नाउ ह देख डरथे। अउ देखते का ओ मुरछा खाके गिर जथे।

H- रेखा देवार— पहनी है, क्योकि उसे राजा को जोहार(अभिवादन) करने जाना है। कहती है मैं गहना पहनने से पहले तालाब जाउंगी, स्नान करने। दसमत तालाब स्नान करने गई रहती है तो नाई उसे देख लेता है। और देखते ही मूर्छित होकर गिर जाता है।

 

 

C- रागी – त ओकर बाप बांचही वो आतका सुंदर ल देखही त।

H- रागी— तो उसका बाप बचेगा, इतनी सुंदर को देखकर।

 

 

C- रेखा देवार - कतका सुघ्घर रहिसे। दउड़त-दउड़त जाथे राजा ल बताथे। किहिस तोर न सात झन पिली बाई हे तेन ओर एड़ी के ठोकर म नइये।

H- रेखा देवार— कितनी सुंदर थी। दौड़ते दौड़ते जाकर राजा को बताते है। ​कहता है कि आपके सात पिली बाई है वे उसकी एड़ी के ठोकर के बराबर भी नहीं।

 

 

C- रागी – कुछूच काम के नइये ओकर सामने म।

H- रागी— कुछ काम के नहीं है, उसके सामने|

 

 

C- रेखा देवार- त कथे कइसे गोठियाथ रे नाउ तैहा। अतका दिन ले नइ गोठियास। मैं तोला का बताव, बताइच नइ सकव।

H- रेखा देवार— कहता है क्या बात कर रहे हो नाई। इतने दिनों तक तो नहीं बोले। मैं आपको क्या बताऊँ शब्दों बयां नहीं कर सकता।

 

 

C- कतका सुघ्घर हावय का गा मोर राजा, दसमत कइना कतका सुघ्घर हावय

H- कितनी सुंदर है वो जी मेरे राजा, दसमत कइना कितनी सुंदर है

 

 

C- कतका सुघ्घर हावय का गा मोर राजा, दसमत ओड़नीन कतका सुघ्घर हावय

H- कितनी सुंदर है वो जी मेरे राजा, दसमत ओड़नीन कितनी सुंदर है

 

 

C- (कोरस)- कतका सुघ्घर हावय मोर राजा, दसमत ओड़नीन कतका सुघ्घर हावय...२

H- (कोरस)- कितनी सुंदर है वो जी मेरे राजा, दसमत ओड़नन कितनी सुंदर है...२

हो.... आ....

 

 

C- केरा कदल दूनो जांगे ह बिराजे हावय

H- केले के ताने जैसी जिसके दोनों जांघे हैं

 

 

C- ये बिराजे हावय का गा राजा, नरगी डाढ़ी ओकर बइहा दिखय

H- ये जंघा है वो जी राजा, नरगी के ताने जैसी उसकी बांह

 

 

C- ओकर बइहा दिखय का गा राजा, पुराइन पाना ओकर पेटे दिखय

H- उनकी बांह दिखता है क्या जी राजा, कमल के पत्ते जैसे उसका पेट दिखता है।

 

 

C- (कोरस)- ओकर बइहा दिखय का गा राजा, पुराइन पाना ओकर पेटे दिखय

H- (कोरस)— उनकी बांह दिखता है का जी राजा, कमल के पत्ते जैसा उसका पेट दिखता है।

 

 

C- रेखा देवार -  सही रे... कोन ह, राजा ह कहिथे। काला नाउ ल। हां बहुत सुंदर हे बहुत सुंदर हे। ठीक हे ठीक हे मैं संझा आहू। त ओति बर तो दसमत कइना मन पान सुपार नरियर धरके।

H- रेखा देवार— सही रे...। कौन, राजा कहते है। किससे, नाई से। हां बहुत सुंदर है, बहुत सुंदर है। ठीक है- ठीक है, मैं शाम को आऊंगा। तो उधर से दसमत लोग पान सुपारी नारियल लेकर।

 

 

C- रागी – तियारी म हे राजा भेट करे बर।

H- रागी— तैयारी में है, राजा से भेट करने की।

 

 

C- रेखा देवार -  नहा के आथे अउ पान सुपारी नरियर ल धरके, जाथे राजा घर। त राजा ह देखथे त उहू ल चक्कर आ जथे। मुरछित माने काकरों से कुछू नइ गोठिया सके। त दउड़त दउड़त जाके सोन के मचोली ल। बइठे के नइ रहिथे।

H- रेखा देवार— स्नान करके आती है, और पान सुपारी नारियल लेकर राजा के घर जाते हैं। तो राजा देखते ही चकरा जाते है। मूर्छित, मतलब किसी से कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। और दौड़कर जाकर सोने की मचोली (बैठने की छोटी कुर्सी) को। बैठने का।

 

 

C- रागी— हां हां।

रेखा देवार - त हमन तो खटिया पिड़हा म बइठ जाथन काबर के गरीब आदमी देवार जाति के अन त हमन तो कइसन सोन ल देखेच नइअन।

H- रेखा देवार— हम लोग तो खाट और पीढा (लकड़ी का बना हुआ छोटा सा बैठकी) पर बैठ जाते है, क्योकि गरीब आदमी हैं, देवार जाति के हैं। तो हम लोग तो कैसा सोना होता है, देखे ही नहीं है।

 

 

C- रागी— भुइंया म बइठ जथन।

H- रागी— जमीन पर बैठ जाते हैं।

 

 

C- रेखा देवार - भुइंया म, जेने मेर पाथन तेने । त सोन के मचोली ल देथे दसमत कइन ल बइठे बर। ओकर रूप ल देखके।

H- रेखा देवार— जमीन पर, जहा पाये वहीं। तो सोने की मचोली (छोटी कुर्सी) को देते है दसमत को, बैठने के लिये, उनके रूप को देखकर।

 

 

C- रागी— त काबर नइ दिही ओ।

H- रागी— तो क्यो नहीं देगा।

 

 

C- सोने मचोलिया ल बइठे बर देवय, मुख बर बंगला पान

H- सोने की मचोली, बैठने के लिये दिए, और खाने के लिए सम्मान में बंगला पान

 

 

C- आहा मुख बर बंगला पान

H- आहा मुंह के लिए बंगला पान

 

 

C- नैना नैना ल जोहत हे देवता, बदन बदन ल देख

H- आँखों आँखों से निहार रहा है राजा, देवता, और अंग अंग को देख रहा है

 

 

C- आहा तन मन देवय लगा

H- आहा तन मन दिया लगा

 

 

C- (कोरस)- आहा तन मन देवय लगा, आहा तन मन देवय लगा...

H- (कोरस)- आहा तन मन दिया लगा, आहा तन मन दिया लगा

 

 

C- कउन नंगर म जनम ल धरे कउन नंगर पगु सार

H- तुम्हारा जन्म किस नगर में हुआ है और किस नगर में तुम बड़ी हुई 

 

 

C- आहा कउन नंगर पगु सार

H- आहा किस नगर में तुम बड़ी हुई 

 

 

C- कउन नंगर तोर मइके हे दसमत कउन नंगर ससुरार

H- तुम्हार मायका कहाँ है दसमत और किस नगर में तुम्हारा ससुराल है

 

 

C- आहा कउन नंगर ससुरार...

H- आहा किस नगर में ससुराल है ...

 

 

C- (कोरस)- आहा कउन नंगर ससुरार, आहा कउन नंगर ससुरार...

H- (कोरस)- किस नगर में ससुराल है, किस नगर में ससुराल है ...

 

 

C- भोज नंगर म जनम ल धरेव भोजे नंगर पगु सार

H- भोज नगर में मेरा जन्म हुआ, और भोज नगर में ही मैं बड़ी हुई

 

 

C- आहा भोजे नगर पगु सार

H- आहा भोज नगर में ही मैं बड़ी हुई

 

 

C- भोजे नगर मोर मइके हे देवता ओड़ारबंद ससुरार

H- भोज नगर मेरा मायका है देवता और ओड़ारबंद मेरी ससुराल है

 

 

C- आहा ओड़ारबंद ससुरार...

H- आहा ओड़ारबंद ससुराल...

 

 

C- (कोरस)- आहा ओड़ारबंद ससुरार, आहा ओड़ारबंद ससुरार...

H- (कोरस)- आहा ओड़ारबंद ससुराल, आहा ओड़ारबंद ससुराल...

 

 

C- अब तो आये तोर पाव म, चलबे तै अब मोर पाव

H- तुम अपने पैरों से चलकर आई थी पर अब मरे पैरों से चलोगी 

 

 

C- आहा चलबे तै मोर अब पाव

H- आहा अब तुम मेरे पैरों से चलोगी

 

 

C- छोड़ दे ओड़नीन डाली टुकनिया, छोड़ देबे ओड़िया भतार

H- ओड़नीन अब ये डाली टोकरी सब छोड़ दो और अब ओड़िया भतार (पति/पति का कुल) भी छोड़ दो 

 

 

C- आहा छोड़ देबे ओड़िया भतार

H- आहा अब ओड़िया भतार छोड़ दो

 

 

C- आ के बइठ जबे राजा के महल म गउकी नौ सौ झोकव जोहार

H- आकर बैठ जाओ राजा के महल में, गाय की कसम (गउकी) नौ सौ जोहार(भेट) करूंगा

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइना अब तै आये अपन पांव म चलबे तै अब मोर पांव। छोड़ दे ओड़नीन डाली टुकनिया छोड दे ओड़िया भतार। आके बइठे जबे राजा के महल म नौ सौ देहव जोहार।

H- रेखा देवार — दसमत कइना अब तक आयी तुम अपने पांव से ,​लेकिन अब चलोगी तुम मेरी पांव से । ओड़नीन अब तुम डलिया- टोकरीयां छोड़ दो और ओड़िया पति और कुल को भी त्याग दो। और आकर बैठ जाओ राजा के महल में जहां मैं नौ सौ उपहार भेंट दूंगा।

 

 

C- रागी— मोर बात ल मान जा काहत हे।

H- रागी— मेरी बात मान लो कह रहा है।

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइना मान जा तै मोर बात ल।

H- रेखा देवार— दसमत कइना तुम मेरा कहना मान जाओ ।

 

 

C- रागी—  तै इहा रा रानी बनके महारानी।

H- रागी— तुम यहा रानी बनकर रहो, महारानी।

 

 

C- रेखा देवार - तै इहा रा । तोर जुग है छोड़व सात दसमत कइना इमान से तोला का बताववं।

H- रेखा देवार— तुम यहा रहो। तुम्हारा साथ युगों युगों तक नहीं छोडूंगा दसमत कइना मैं तुम्हे क्या बताउ।

 

 

C- रागी—  कइसे।

H- रागी— कैसे।

 

 

C- रेखा देवार - तभे तो कइथवं दसमत

H- रेखा देवार— इसीलिए तो कहता हूं दसमत।

 

 

C- लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे... लागे रइथे ओ कइना तोरो बर मोरो मया लागे रइथे...

H- लगा रहता है, दसमत तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है... लगा रहता है कन्या तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है।....

 

 

C- लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे... लागे रइथे ओ कइना तोरो बर मोरो मया लागे रइथे...

H- (कोरस)- लगा रहता है दसमत तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है... लगा रहता है, कन्या तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है।....

 

 

C- आमा ल टोरे खाहुच कइके ओ मोला दगा झन देवे,

H- तुमने आम को खाऊँगी कह कर तोड़ा है, अब मुझे धोखा मत देना

 

 

C- (कोरस)- का भइगे...

रेखा देवार - दसमत कइना मोर बात ल पक्का मान ले। महू ह धौरा नंगर के राजा अवं एति तेती के नहीं।

H- रेखा देवार— दसमत कइना मेरी बात को पक्का मान लो। मैं भी धौरा नगर का राजा हूं इधर उधर का नहीं।

 

 

C- आमा ल टोरे खाहुच कइके ओ मोला दगा झन देवे...

H- आम को तोड़ी खाउंगी कहकर, मुझे धोखा नहीं देना...

 

 

C- (कोरस)- का भइगे

ये आहूच कइके कइना...

H- ये आउंगी कहकर कन्या

 

 

C- (कोरस)- ये दिना

ये आहूच कइके दसमत...

H- ये आउंगी कह कर दसमत...

 

 

C- (कोरस)- ये दिना

लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे... लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे...

H- लगा रहता है दसमत तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है... लगा रहता है कन्या तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है।....

 

 

C- (कोरस)- लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे... लागे रइथे ओ दसमत तोरो बर मोरो मया लागे रइथे...

H- (कोरस)- लगा रहता है दसमत तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है... लगा रहता है युवती तुम्हारे लिये मेरा प्रेम लगा रहता है।....

 

 

C- रेखा देवार - दसमत कइथे सुन देवता कहा तै महराज के जात अउ कहा मैं ओड़नीन के जात।

H- रेखा देवार— दसमत कहती है सुनो देवता कहा आप ब्राम्हण जाति के और कहां मै ओड़नीन ​जाति की।

 

 

C- सुन देवता मोर बात नइतो खाये तै लाली भाजी नइतो मसुर के दार

H- सुनो देवता मेरी बात न ही आप लाली भाजी खाये हैं और न ही मसूर की दाल

 

 

C- आहा नइतो मसूर के दार...

H- आहा न हीं मसूर की दाल...

 

 

C- परदेस पेट मोर ओड़नीन के मंदे मास दिन रात

H- मुझ ओड़नीन का पेट तो परदेशी है जो दिन रात मांस खाती हूं, मंदिरा पी​ती हूं

 

 

C- आहा मंदे मास दिन रात...

H- आहा मदिरा मांस दिन रात

 

 

C- मंदे पीबे तै हर देवता, खाबे सुवर के मास

H- क्या तुम मदिरा पियोगे देवता, और क्या तुम सूअर का मांस खाओगे

 

 

C- आहा खाबे सुवर के मास...

H- आहा खाओगे सुअर की मांस

 

 

C- (कोरस)- आहा खाबे सुअर के मास... आहा खाबे सुअर के मास...

H- (कोरस)- आहा खाओगे सुअर की मांस, आहा खाओगे सुअर की मांस

 

 

C- जात ल बोरवं पात ल बोरवं नौ गुन बोरवं जनेव

H- जाति डुबो दूं पात डुबो दूं डुबो दूं नौ गुण जनेऊ

 

 

C-आहा नौ गुन बोरवं जनेव

H- आहा डुबो दूं नौ गुण जनेऊ

 

 

C- बेटा ल छाड़व बेटी ल छाड़वं, छाड़व साहर के लोग

H- बेटा को छोड़ू बेटी को छोड़ू, छोड़ू शहर के लोग

 

 

C- आहा छांड़वं सहर के लोग....

H- आहा छोड़ू शहर के लोग

 

 

C- (कोरस)- आहा छांड़वं सहर के लोग....

H- (कोरस)- आहा छोड़ू शहर के लोग...

 

 

C- रेखा देवार - जात ल बोरव पात ल बोरवं नौ गुन बोरवं जनेव। बेटा ल छोड़व बहुरिया ल छोड़वं छोड़व सहर के लोग फेर दसमत कइना तोर साथ ल जुग नइ छोड़वं। तै अध्धर उड़ाबे त अध्धर उड़ा देहू जाल आ भुंइया म कहू तै घूस जबे धरती म त खन कोड़ के लेहवं निकाल। इमान से का बताववं दसमत कइना।

H- रेखा देवार— जाति को डूबो दूं पात को डूबो दूं, डूबो दूं नौ गुण जनेऊ। बेटा को छोड़ू बहु को छोड़ू, छोड़ू शहर के लोग लेकिन दसमत कइना तुम्हारा साथ मैं युग नहीं छोडूंगा। तुम अधर में उड़ोगी तो मैं अधर उड़ा दूंगा जाल। जमीन में अगर तुम घूस जावोगी तो धरती से खोद कर निकाल लूंगा। कसम से क्या बताऊँ दसमत कइना।

 

 

C- उरमाल में.... उरमाल में ओ दसमत तोर मुंह ल पोछवं उरमाल में....

H- रूमाल में.... रूमाल में वो दसमत तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...

 

 

C- उरमाल में ओ कइना तोर मुंह ल पोछवं उरमाल में

H- रूमाल में वो कन्या तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...

 

 

C- उरमाल में ओ दसमत तोर मुंह ल पोछवं उरमाल में....

H- रूमाल में वो दसमत तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...

 

 

C- (कोरस)- उरमाल में ओ दसमत तोर मुंह ल पोछवं उरमाल में....२

H- (कोरस)- रूमाल में वो दसमत तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...2

 

 

C- आम गांव जाम गांव तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा...तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा जी...

H- आम गांव जाम गांव तेदूं (फल)के बसेरा(आवासीय/स्थान) जी तेदूं के बसेरा...तेदूं के बसेरा (आवासीय/स्थान) जी तेदूं के बसेरा जी...

 

 

C- (कोरस)- आम गांव जाम गांव तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा...तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा जी...

आम गांव जाम गांव तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा...तेदूं के बसेरा जी तेदूं के बसेरा जी...२

H- आम गांव जाम गांव तेदूं (फल)के बसेरा(आवासीय/स्थान) जी तेदूं के बसेरा...तेदूं के बसेरा (आवासीय/स्थान) जी तेदूं के बसेरा जी...

 

 

C- रेखा देवार - अउ तोर बर लाहवं दसमत कइना... चना फुटेना, उरमाल में उरमाल में ओ दसमत तोर मुहं ल पोछाव उरमाल में...

H- रेखा देवार— और तुम्हारे लिए लाऐंगे दसमत कइना... चना फुटेना रूमाल में वो दसमत तुम्हारे मुंह को पोछू रूमाल में...

 

 

C- उरमाल में ओ दसमत तोर मुहं ल पोछाव उरमाल में...

H- रूमाल में वो दसमत तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...

 

 

C- उरमाल में वो दसमत तोर मुंह ल पोछवं उरमाल म...

H- रूमाल में वो दसमत तुम्हारा मुंह को पोछू रूमाल में...

 

C- राकेश तिवारी- रेखा येकर बाद का होथे। सादी हो जथे मर जथे का हो जथे।

H- राकेश तिवारी— रेखा इसके बाद क्या होता है। शादी हो जाती है, मर जाते है क्या हो जाता है।

 

 

C- रेखा देवार- आखरी में ओहा न ओला बांद देथे गदहा उदह सब दुनिया भर गदहा उदहा सब म। उट उट म सब ल। पियाके।

H- रेखा देवार— आखरी में वो उनको बांध देते है और गदहा वगैरह में सब दुनिया भरके सब। ऊँट में सब। पिलाकर।

 

 

C- रागी - एक टिपा दारू मंगाके पियाथे राजा महान देव ला अउ सूरा के मांस ल राजा महान देव ल खवाथे। नसा म सुत जथे खटिया म त ओला खटिया म रस्सी ले बांधथे। अउ बांध छोड़ के रातों रात सब ओड़िया मन भागथे।

H- रागी— एक टिन शराब मंगा कर पिलाते है राजा महान देव को और सुअर की मांस राजा महान देव को खिलाते है। नशे में सो जाते है तब उसे खाट में रस्सी से बांध देते है और बांधकर छोड़ के रातों रात सभी ओड़िया वहां से भाग जाते है।

 

 

C- नव लाख ओड़िया नव लाख बेड़िया कुहूक दले बेलदार

H- नौ लाख ​उड़िया नौ लाख परिवार के स्त्रीयों का बहुत बड़ा दल

 

 

C- आहा कुहूक दले बेलदार

H- आहा का बहुत बड़ा दल

 

 

C- हंसा के दल मोर पड़की परेवना कुर्री के दल भेंगराज

H- हंस का दल मेरे पड़की ​परेवाना (तोता कबूतर), कुर्री (पक्षि) के दल भेंगराज

 

 

C- आहा कुर्री के दल भेंगराज

ओड़िया के दब में चलय रे भाई, कंकर पत्थर फुट जाय

H- ओड़िया के चलने के दब से भाई, कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- आहा कंकर पत्थर फूट जाये

H- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- (कोरस)- आहा कंकर पत्थर फूट जाये, आहा कंकर पत्थर फूट जाये

H- (कोरस)- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए, आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- आघू के लाज ल पानी रे पावय पाछू के चिखला खाय

H- आगे वाले को पानी मिलता और पीछे वालों को कीचड़

 

 

C- आहा पाछू के चिखला खाय

H- आहा पीछे वालों को कीचड़

 

 

C- जेखर पाछू खेरवारी गाये धुर्रा म धुर्रा उड़ाय...

H- जिनकी पीछे खेरवारी गाये (एक साथ चलती समूह में चलती गाय) धूल में धूल उड़ाये

 

 

C- रागी— ये ददा रे अतेक कन ओकर दल रहिसे ओ।

H- रागी— अरे बाप रे इतना बड़ा उनका दल था।

 

 

C- रेखा देवार- अतका कन उकर सेना रहिसे। जब ओ हीरा ल देख लेथे दसमत कइला ह काकर घर, ओ बनिया घर। तब सब्बे ओड़िया मन ल बलाथे। नव लाख ओड़िया नौ लाख बेड़िया कुहूकदल बेलदार, नौ लाख ओड़िया के लगे कछेरी। घगन लगे दरबार। ओही मेर राजा भोज हे तेन ह पहिलीच के बड़ई मारे रइथे अपन सो बर। ओ समय ओ ह राजा नइथे। अउ अभी के स्थिति म एकदम गरीब हो जथे। अउ दसमत कइना के कइबे त ओ हीरा हीरा म बसे रहिसे। ओड़िया मन ल बलाथे।

H- रेखा देवार— इतना बड़ा उनका सेना था। जब वो हीरा को देख लेते है दसमत कइना। किसके घर उस ​बनिये के घर। तो सभी उड़िया लोगों को बुलाती है। नौ लाख उड़िया नौ लाख बेड़िया कुहूक दन बेलदार, नौ लाख उड़िया लोगो की लगी कचहरी। घमने लगा दरबार। वही राजा भोज जो है पूर्व में बढ़ाई किये रहते है अपने आप की। और अब दसमत का क्या कहना वो तो हीरा हीरा में बसी थी। उड़िया लोगो को बुलाती है।

 

 

C- रागी— अच्छा त देखव अपने बेटी के ठाठ ल।

H- रागी— अच्छा तो देखो अपनी बेटी का ठाठ।

 

 

C- रेखा देवार- तब जब ओकर ददा ह भीख मांगे ल आथे त सात महंल सतखंडा ले दसमत कइना ह उतर जथे। अउ उतर के कथे। ददा मैं आही दसमत कइना आव।

H- रेखा देवार— जब उनके पिता जी भीख मांगने आते है तब सात महल सतखंडा से दसमत कइना उतर के आती है। और कहती है पिता जी मै वही दसमत कइना हूं।

 

 

C- रागी— ओही तो छोटे बेटी आवं।

H- रागी— वही छोटी बेटी हूं।

 

 

C- रेखा देवार- मैं ओही तोर छोटे बेटी आवं। अउ तोला कहे रेहेवं। येदे देख ले मैं सोन के कुकरा बसाय हवं। राजा भोज हे तेन लजा जथे अउ कथे बेटी- अपन करम तकदीर के कारन तै ओड़िया भतार म चल देहस त तै बहुत किसमत वाले अस। नहीं कहिस ददा- मैं इहा नइ राहय ददा। तोर भोज नगर म नइ राहव। काबर के मैं तो

H- रेखा देवार— मै वही आपकी छोटी बेटी हूं। और आपको बोली थी, ये देखिए मैं सोने के मुर्गा की बांग दिलाई हूं। राजा भोज जो है लज्जित हो जाते है और कहते है बेटी अपनी कर्म तकदीर के कारण तुम उड़िया भतार (पति का कुल) में चली गई हो तुम बहुत किस्मत वाली हो। नहीं पिता जी मैं यहां नहीं रहूंगी आपके भोज नगर में। क्योकि मैं तो।

 

 

C- रेखा देवार- जब राजा जोहारे ल जाथे दसमत कइना ह पान सुपारी नरियर धरके। त राजा के घर म देखथे त राजा चक्कर खाके मुरछा खाके गिर जथे। अउ गिरे के बाद ताहन नाउ ह पानी ल छितके उठाथे। ताहन अकबका के देखथे।

H- रेखा देवार— जब राजा से भेट करने जाती है दसमत कइना पान सुपारी नारियल लेकर। तो राजा देखते ही चक्कर खाकर मुर्छित होकर गिर जाते है। और गिरने के बाद नाई उसे पानी छिड़ककर उठाते है। फिर भौचक्का होकर देखते रहता है।

 

 

C- सोने मचोलिया ल बइठे बर देवय, मुख बर बंगला पान

H- सोने की मचोली (कुर्सी सं.) बैठने के लिये दिए, मुंख के लिये बंगला पान

 

 

C- आहा मुख बर बंगला पान

H- आहा मुख के लिये बंगला पान

 

 

C- नैना नैना ल जोहत हे देवता बदन बदन ल देख

H- नयन नयन इंतजार में है देवता, बदन बदन को देख

 

 

C- आहा तन-मन देवय लगाय

H- आहा तन मन दिया लगा

 

 

C- (कोरस)- आहा तन-मन देवय लगाय

H- (कोरस)- आहा तन मन दिया लगा

 

 

C- कउन नगर म जनम ल धरे कउन नंगर पगु सार

H- कौन सी नगर में जन्म लिए किस नगर में पली-बढ़ी

 

 

C- आहा कउन नंगर पगु सार

H- आहा किस नगर में पली-बढ़ी

 

 

C- कउन नंगर तोर मइके हे कइना कउन नंगर ससुरार

H- कौन नगर तुम्हार मायका है दसमत कौन नगर ससुराल

 

 

C- आहा कउन नंगर ससुरार

H- आहा किस नगर में ससुराल...

 

 

C- (कोरस)- आहा कउन नंगर ससुरार

H- (कोरस)- आहा किस नगर में ससुराल...

 

 

C- भोज नंगर म जनम ल धरेव भोजे नगर पगु सार

H- भोज नगर म जन्म हुआ भोज नगर में ही पली-बढ़ी

 

 

C- आहा भोजे नगर पगु सार

H- आहा भोज नगर में ही पली-बढ़ी

 

 

C- भोजे नंगर मोर मइके हे देवता ओड़ारबंद ससुरार

H- भोज नगर मेरा मायका है देवता ओड़ारबंद ससुराल

 

 

C- आहा ओड़ारबंद ससुरार

H- आहा ओड़ारबंद ससुराल

 

 

C- (कोरस)- आहा ओड़ारबंद ससुरार

H- (कोरस)- आहा ओड़ारबंद ससुराल

 

 

C- अब तो आये तोर पाव म चलबे तै मोर अब पाव

H- अब आये तो अपने पांव, चलोगी तुम अब मेरी पांव

 

 

C- आहा चलबे तै मोर अब पाव

H- आहा चलोगी तुम अब मेरी पांव

 

 

C- छोड़ दे ओड़नीन डाली टुकनिया, छोड़ देबे ओड़िया भतार

H- छोड़ दो उड़नीन डाली टुकनिया, छोड़ दो उड़िया भतार (पति/पति का कुल)

 

 

C- आहा छोड़ देबे ओड़िया भतार...

H- आहा छोड़ दो उड़िया भतार

 

 

C- (कोरस)- आहा छोड़ देबे ओड़िया भतार...

H- (कोरस)- आहा छोड़ दो उड़िया भतार...

 

 

C- पान खाये बर पटना ल देहू चुरी बर फुलझर राज

H- पान खाने के लिये पटना को दूंगा, चूड़ी के लिये फुलझर राज

 

 

C- आहा चुरी बर फुल धनराज

H- आहा चूड़ी के लिये फुलझर राज

 

 

C- लगुरा पहिरे बर रायगढ़ ल देहू, चूर बर चांपा बजार

H- साड़ी पहनने के लिये रायगढ़ को दूंगा, चूड़ा के लिये चांपा बाजार

 

 

C- आहा चुरा बर चांपा बजार...

H- आहा चूड़ा के लिये चांपा बाजार

 

 

C- (कोरस)- आहा चुरा बर चांपा बजार...

H- (कोरस)- आहा चूड़ा के लिये चांपा बाजार

 

 

C- धान खाये बर धमधा ल देहू चुटका बर रइपुर राज

H- धान खाने के लिये धमधा को दूंगा चुटका के लिये रायपुर(राज) प्रांत

 

 

C- आहा चुटका बर रइपुर राज

H- आहा चुटका के लिये रायपुर(राज) प्रांत

 

 

C- जहां जहां ल तै छत्तीसगढ़ ल कइबे दसमत कइना

H- जहां जहां तुम छत्तीसगढ़ में कहोगी दसमत कइना

 

 

C- दसो जगह मोर राज हे तेन मैं तोला पूरा दे देहू

H- दसो जगह मोर राज हे तेन मैं तोला पूरा दे देहू

 

 

C- रेखा देवार- दसमत कइना फेर तोर जुग नइ छोड़व साथ। तै जिहा जिहा जाबे तिहा तिहा जाहू दसमत कइना। मोर बात ल तै एक पइत मान ले।

H- रेखा देवार— दसमत कइना लेकिन तुम्हारा साथ युग नहीं छोडूंगा। तुम जहां जहां जाओगी वहां वहां आउंगा दसमत। मोरी बात तुम एक बार मान लो।

 

 

C- रागी— मान ले।

H- रागी—मान लो।

 

 

C- रेखा देवार- कोन कहात हे महान देवता ह। त दसमत कइना का कहात हे।

H- रेखा देवार— कौन कह रहा है महान देवता। तो दसमत कइना क्या कह रही है।

 

 

C- रागी— का कथे जी।

H- रागी— क्या कह रही है जी।

 

 

C- सुन देवता मोर बात नइतो खाये तै लाली भाजी नइतो मसुर के दार

H- सुनो देवता मेरी बात नहीं खाये हो लाल भाजी नहीं खाये मसूर की दाल

 

 

C- आहा नइतो मसूर के दार...

H- आहा नहीं खाये मसूर की दाल...

 

 

C- परदेस पेट तोर ओड़नीन के मंदे मास दिन रात

H- परदेश पेट मेरी उड़नीन की मंदिरा मांस दिनरात

 

 

C- आहा मंदे मास दिन रात...

H- आहा मंदिरा मांस दिनरात

 

 

C- (कोरस)- आहा मंदे मास दिन रात...२

H- (कोरस)- आहा मंदिरा मांस दिनरात

 

 

C- मंदे पीबे तै हर देवता, खाबे सुअर के मास

H- मदिरा पियोगे तुम देवता, खाओगे सुअर की मांस

 

 

C- आहा खाबे सुवर के मास...

H- आहा खाओगे सुअर की मांस

 

 

C- जब जाके तै पाबे देवता फेर मोर ओड़नीन के साथ

H- तब जाकर तुम पाओगे देवता फिर ​मुझ उड़नीन का साथ

 

 

C- रेखा देवार- महान देवता कइथे दसमत कइना।

H- रेखा देवार— महान देवता कहते है दसमत कइना।

 

 

C- रागी— का कइथे।

H- रागी— का कइथे।

 

 

C- रेखा देवार- मैं सुअर के मांस खा लेहू। त दसमत कइना कइथे चल न मोर संग म खांति खनबे। हा हा चल न तोर संग म खंति खनहु।

H- रेखा देवार— मैं सुअर का मांस खा लूंगा। तो दसमत कइना कहती है चलो न मेरे साथ मिट्टी खोदने। हां हां चलो तुम्हारे साथ जाउंगा।

 

 

C- रागी— तै ये बता रेखा ओ चेंदवा मुड़ के राजा ह। झउहां बोहय वो।

H- रागी— तुम ये बताओ रेखा वो टकला राजा। सिर पर टुकनी रख पायेगा।

 

 

C- रेखा देवार- झउहा मुड़ म बोह के दसमत कइना कहाय चल तोला झउहा फेके ल परही कइके त चल फेकहू काहय फेर जुग नइ छोड़व साथ।

H- रेखा देवार —झउहा (बांस की बनी टुकनी) सिर पर रख कर दसमत कइना कहती तुम्हे झउहा फेकना पड़ेगा, तो ​भी ​कहता हां चलो फेकूंगा लेकिन तुम्हारा साथ जुग नहीं छोडूंगा।

 

 

C- रागी— अतका मोहागे राहय राजा ह।

H- रागी— इतना मोहित हो गया था राजा।

 

 

C- रेखा देवार- अतका मोहागे राहय। अउ जब मंद मउहा ल पियाथे त नसा म फूल हो जथे अउ का किथे।

H- रेखा देवार— इतना मोहित हो गया थ। और जब मदिरा पिलाते है तो नशे में फूल हो जाता है और कहते है।

 

 

C- रागी— का कइथे रेखा।

H- रागी— क्या कहते है रेखा।

 

 

C- रेखा देवार- का बताववं दसमत कइना मोला तै ये सुअर के मांस खवाके अउ तै मोला मंद मउहा पियाके तै मोला भोंदहू काहत होबे। मैं नइ भोंदाववं-

H- रेखा देवार— क्या बताउ दसमत कइना मुझे सुअर की मांस खिलाकर और मंदिरा पिलाकर बेवकूफ बनाउंगी सोच नहीं हो। नहीं बनूंगा।

 

 

C- जात ल बोरवं पात ल बोरवं नौ गुन बोरवं जनेव

H- जाति को डूबों दूं पंत को डूबो दूं नौ गुण डूबोऊ जनेऊ

 

 

C- आहा नौ गुन बोरवं जनेव...

H- आहा नौ गुण डूबोऊ जनेऊ...

 

 

C- बेटा ल छाड़व बेटी ल छाड़वं, छाड़व सहर के लोग

H- बेटा को छोडूं बेटी को छोडूं, छोडूं शहर के लोग

 

 

C- आहा छांड़वं सहर के लोग...

H- आहा छोडूं शहर के लोग

 

 

C- (कोरस)- आहा छांड़वं सहर के लोग...2

H- (कोरस)- आहा छोडूं शहर के लोग...2

 

 

C- रेखा देवार- जात ल बोरव पात ल बोरवं नौ गुन बोरवं जनेव। बेटा ल छोड़व बेटी ल छोड़व, छोड़व सहर के लोग फेर दसमत कइना तोर साथ ल जुग नइ छोड़वं। जब नसा ह होथे न महान देवता के त ओकर गोड़ हाथ ल बांद देथे।

H- रेखा देवार— जाति को डूबो दूं पंत को डूबो दू नौ गुण डूबोउ जनेऊ। बेटा को छोडूं बेटी को छोडूं छोडूं शहर के लोग लेकिन दमसत कइना तुम्हारा साथ जुग नही छोडूंगा। जब नशा चड़ता है न महान देवता का तो उनके हाथ पैर को बांध देते है।

 

 

C- रागी— हां बांध देथे।

H- रागी— हां बंध देते है।

 

 

C- रेखा देवार-  कोन मन सब ओड़िया मन ओकर गोड़ हाथ ल बांध देथे। जब उहां ल भागथे न -

H- रेखा देवार— कौन। सभी उड़िया लोग उनके हाथ पैर को बांध देते है जब वहां से भगाते है न—

 

 

C- धौरा नंगर ले उसले डेरा, धार नंगर बर जाय

H- धौरा नगर से उठकर डेरा, धार नगर के लिये निकला

 

 

C- आहा धार नंगर बर जाय

H- आहा धार नगर नगर के लिये निकला

 

 

C- चलती म कोड़य कुआ बउली बइठे म बंधा के पार

H- चलती में खोदे कुआ बावली बैठे में बांध का किनारा

 

 

C- आहा बइठे म बंधा के पार

H- आहा बैठे में बांध का किनारा

 

 

C- (कोरस)- आहा बइठे म बंधा के पार, आहा बइठे म बंधा के पार

H- (कोरस)- आहा बैठे में बांध का किनारा, आहा बैठे में बांध का किनारा

 

 

C- नौ लाख ओड़िया नौ लाख बेड़िया कुहूक दले बेलदार

H- नौ लाख उड़िया नौ लाख परिवार के स्त्रीयों का बहुत बड़ा दल

 

 

C- आहा कुहूक दले बेलदार

 नौ लाख ओड़िया चलय रे भाई कंकर पत्थर फूट जाय

H- नौ लाख उड़िया के चलने के दब से भाई, कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- आहा कंकर पत्थर फूट जाय...

H- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- (कोरस)- आहा कंकर पत्थर फुट जाये, आहा कंकर पत्थर फुट जाये

H- (कोरस)- आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए, आहा कंकड़ पत्थर फूट जाए

 

 

C- आगू आगू दसमत चलय पाछू म ओड़िया मन जाय

H- आगे आगे दसमत चलती पीछे में उड़िया लोग चलते

 

 

C- आहा पाछू म ओड़िया मन जाय

H- आहा पीछे में उड़िया लोग जाते है

 

 

C- ओड़ारबंद म जाके भइया डेरा परे नौ लाख

H- ओड़ारबंद में जाकर भैया डेरा पड़ा नौ लाख

 

 

C- आहा डेरा परे नौ लाख...

H- आहा डेरा पड़ा नौ लाख...

 

 

C- (कोरस)- आहा डेरा परे नौ लाख, आहा डेरा परे नौ लाख...

H- (कोरस)- आहा डेरा पड़ा नौ लाख, आहा डेरा पड़ा नौ लाख...

 

 

C- राजा के नसा ह उतरे संगी येती ल देखथे आज

H- राजा नशा उतरते ही इधर उधर देखने लगाता है

 

 

C- आहा ओति ल देखथे आज

H- आहा इधर उधर देखता है आज

 

 

C- फेर दसमत कइना नइतो दिखय, दउड़त जावय आज

H- पर दसमत कइना नहीं दिखी, दौड़ते जाता है आज

 

 

C- आहा दउड़त जावय आज...

H- आहा दौड़ते जाता है आज

 

 

C- (कोरस)- आहा दउड़त जावय आज, आहा दउड़त जावय आज...

H- (कोरस)- आहा दौड़ते जाता है आज, आहा दौड़ते जाता है आज...

 

 

C- रेखा देवार-  राजा के नसा ह उतरथे। दउड़त-दउड़त खोजत-खोजत जाथे।

H- रेखा देवार— राजा का नशा उतरता है। दौड़े दौड़े ढूंढ़ने जाता है।

 

 

C- रागी— येती ओती खोजत हे किदे।

H- रागी— इधर उधर ढूंढ़ रहा है कहो।

 

 

C- रेखा देवार-  येती ओति खोजत हेवय। ओमन तो कहा पहुंचगे राहय। ओड़ारबंद चल दे राहय। जिहां ओड़िया मनके डेरे तिहा पहुंचगे। तब गदहा म चड़के राजा ह ओड़ारबंद जाथे। जब जाथे त देखथे त दसमत कइना ह अपन पति के संग म सुघ्घर रइथे।

H- रेखा देवार— इधर उधर खोज रहा है। वो तो कहां से कहां पहुंच गये थे। ओड़ारबंध चले गये थे। जहां उड़िया लोगों का डेरा है वहां पहुंच गये। तब गदहे मे सवार होकर राजा ओड़ारबंध जाता है। जब जाता है तो देखता है कि दसमत कइना अपने पति के साथ बढ़िया रह रही है।

 

 

C- सुदन बिहइया लागे कइना के लच्छन देवरा तोर

H- सुदन ब्याहता पिता है युवती का, लच्छन देवर है तुम्हारा

 

 

C- आहा लच्छन देवरा तोर

H- आहा लच्छन देवर है तुम्हारा

 

 

C- दसे बरस लच्छन देवरा के सोरा के लागे भतार

H- दस वर्ष का लच्छन देवर का सोला का लगा भतार(पति)

 

 

C- आहा सोरा के लागे भतार

H- आहा सोला का लगा भतार(पति)

 

 

C- बारा बरस ओड़िनीन के उमर, दाई सब ओड़िया तबेदार

H- बारह वर्ष उड़नीन की उमर, मां सभी उड़िया के सेवा में

 

 

C- रेखा देवार-  सुदन बिहइया ल देख लेथे राजा महान देव ह।

H- रेखा देवार— सुदन ब्याहता को देख लेता है राजा महान देव।

 

 

C- रागी— राजा महान देव ह।

H- रागी— राजा महान देव।

 

 

C- रेखा देवार-  त दसमत कइना कथे। तै घुच देबे ये मेर ल सुदन बिहइया तै इमान से फेर ओ राजा महान देव पहुचगे। हमर पिछु ल छोड़तेच नइये।

H- रेखा देवार— तब दसमत कइना कहती है आप हट जावो यहां से सुदन ब्याहता कसम से फिर वो राजा महान देव पहुंच गया है। हमारा पीछा नही छोड़ रहा है।

 

 

C- तरिया नहाय ल दसमत जावय महान देवता जाय

H- तालाब स्नान करने दसमत जाती थी तो महान देवता भी जाता

 

 

C- आहा महान देवता जाय

H- आहा महान देवता भी जाता

 

 

C- सुदन बिहइया देखन लागे झगरा तो माती जाय

H- सुदन ब्याहता के देखते ही झगड़ा शुरू हो जाता

 

 

C- आहा झगरा तो माती जाय...

H- आहा झगड़ा शुरू हो जाता...

 

 

C- (कोरस)- आहा झगरा तो माती जाय, आहा झगरा तो माती जाय

H- (कोरस)- आहा झगड़ा शुरू हो जाता, आहा झगड़ा शुरू हो जाता

 

 

C- गोटी म मारय महान देवता, देखाथे महान आज

H- कंकड़ से मार महान देवता, देख रहा है महान आज

 

 

C- आहा देखाथे महान आज

H- आहा देख रहा है महान आज

 

 

C- सुदन बिहइया गुस्सा के आवय, पटकी के पटका आज

H- सुदन ब्याहता गुस्से में आया, उठा पटक हुआ आज

आहा पटकी के पटका आज...

 

 

C- आहा उठा पटक हुआ आज...

(कोरस)- आहा पटकी के पटका आज, आहा पटकी के पटका आज

H- (कोरस)- आहा उठा पटक हुआ आज, आहा उठा पटक हुआ आज

 

 

C- रेखा देवार-  तरिया म नहाय ल जाथे ओड़ारबंद के त देख लेथे, कोन ह?

H- रेखा देवार— तालाब में स्नान करने जाती थी ओड़ारबंद के तो देख लेते है, कौन?

 

 

C- रागी— राजा महान देव ह।

H- रागी— राजा महान देव।

 

 

C- रेखा देवार-  राजा महान देव ह। त पिछु पिछु सुदन बिहइया तक ह जाथे। पटकी के पटका झगरा-लड़ई होथे।

H- रेखा देवार— राजा महान देव। तो पीछे पीछे सुदन ब्याहता भी जाता है। मार पीट लगड़ा लड़ाई होता है।

 

 

C- रागी— कोन अपन सुवारी ल आन करा।

H- रागी— कौन अपने अपनी को दूसरो से।

 

 

C- रेखा देवार-  गोटी म फेक-फेक के मारथे, त कोन सही।

H- रेखा देवार— कंकड़ में फेक फेक कर मारता है तो कौन बर्दाश्त करेगा

 

 

C- रागी— नइ साहय।

H- रागी— नहीं सहन करेगा।

 

 

C- रेखा देवार-  जब मारिक मारा पटकी के पटका होथे त सुदन बिहइया ल मारे डरथे राजा ह।

H- रेखा देवार— जब दोनो में मार पीट होता है तो सुदन ब्याहता को मार डालता है राजा।

 

 

C- रागी— राजा ह।

H- रागी— राजा।

 

 

C- रेखा देवार-  मार डरथे त उही मेर दसमत कइना ह किबे त रो-रो के लकड़ी सकेलथे। अउ लकड़ी सकेल के ओकर चिता ल जलाथे। अउ का कई-कई के गीत गाथे-

H- रेखा देवार— मार डालते है, वही दसमत कइना रो-रो कर लकड़ी इकट्ठा करती है। और लकड़ी इकट्ठा करते क्या कह कह के गीत गाती है—

 

 

C- रागी— का कथे रेखा।

H- रागी— क्या कहती है रेखा

 

 

C- मने मन गुनय दिल म बिचारय हो संसो म परे हे...

H- मन ही मन गुनकर दिल में विचार करती चिन्ता में पड़ी है...

 

 

C- मने मन गुनय, दिल म बिचारय हो संसो म परे हे...

H- मन ही मन गुनकर दिल में विचार करती चिन्ता में पड़ी है...

 

 

C- मने मन गुनय दिल म बिचारय हो संसो म परे हे...

H- मन ही मन गुनकर दिल में विचार करती चिन्ता में पड़ी है...

 

 

C- रेखा देवार-  दसमत कइना रो-रो के चारो मुड़ा ले लकड़ी ल सकेल लेथे अउ ओकर चिता ल रचथे। तब महान देवता कइथे दसमत कइना एकर चिता ल तै हा मत रच। चल मोर संग म अब तोर जेन होगे तेन होगे। इमान से दसमत कइना चल तै मोर संग, मैं तोर कारन उहां ले इहा आए हवं।

H- रेखा देवार — दसमत कइना रो—रोकर चारो ओर से लकड़ी इकट्ठा करती है और उनका चिता रचती है। तब महान देवता कहते है दसमत कइना इनकी चिता मत रचो। चलो मेरे साथ में अब तो जो होनो था वो हो गया। कसम से दसमत कइना चलो तुम मेरे साथ। मैं तुम्हारे कारण ही वहां से यहा आया हूं।

 

 

C- रागी— राज पाठ लोग लइका सब ले छोड़ देहवं।

H- रागी— राज—पाठ बाल बच्चे सब छोड़ दिया हूं।

 

 

C- रेखा देवार-  राज पाठ लोग लइका सब ले छोड़ देहवं।

H- रेखा देवार— राजपाठ बाल बच्चा सब को छोड़ दिया हूं।

 

 

C- रागी—मांस मदिरा खा डरेवं।

H- रागी — मांस मदिरा खा लिया हूं।

 

 

C- रेखा देवार-  मांस मदिरा खा डरेवं। त दसमत कइना कइथे-

H- रेखा देवार— मांस मदिरा खा लिया हूं। तब दसमत कइना कहती है—

 

 

C- रागी— का कइथे बेटी।

H- रागी— क्या कहती है बेटी।

 

 

C- सुन देवता मोर बात, सुन देवता मोर बात।

H- सुनो देवता मेरी बात, सुनो देवता मेरी बात।

 

 

C- साते भांवर घुमे के आयेवं पति ये मोरे आज

H- सात फेरे लेकर आयी, ​पति है मेरा आज

 

 

C- आहा पति ये मोरे आज

H- आहा ​पति है मेरा आज

 

 

C- सुदन बिहइया पति ये मोरे पूजा ये पाठे आज

H- सुदन व्याहता पति है मेरा पूजा है पाठ है आज

 

 

C- आहा पूजा ये पाठे आज

H- आहा पूजा है पाठ है आज

 

 

C- (कोरस)- आहा पूजा ये पाठे आज

H- (कोरस)- आहा पूजा है पाठ है आज

 

 

C- मोर ददा ह देये रिहिसे येकर साथे आज

H- मेरे पिता जी दिये थे इनके साथ ही आज

 

 

C- आहा येकर साथे आज

H- आहा इनके साथ ही आज

 

 

C- मोर ले पहिली मरगे ओकर किरया करम

H- वे मुझसे पहले मर गये इसलिए उनका ​क्रियाकर्म

 

 

C- आहा ओकर किरया करम

H- आहा उनका ​क्रियाकर्म

 

 

C- (कोरस)- आहा ओकर किरया करम

H- (कोरस)- आहा उनका ​क्रियाकर्म

 

 

c- रेखा देवार-  मोर ददा ह येला देदे रिहिसे, सुदन बिहइया ल।

H- रेखा देवार— मेरे पिता जी इनको दे दिये थे, सुदन बिहइया को

 

 

C- रागी— हाथ धरादे रिहिसे।

H- रागी— उनके हाथों में दे दिए थे।

 

 

C- रेखा देवार-  हाथ मोला येदे धरादे रिहिसे। त येकर किरिया करम ल मोला करन दे। तब तो मैं तोर साथ म जाहू।

H- रेखा देवार— उनके हाथों में मुझे दे दिए थे। तो इनके क्रिया कर्म को मुझे करने दो। तभी मैं तुम्हारे साथ जाउंगी।

 

 

C- रागी— काबर के सब ओड़िया मन तोर डर के मारे भागगे।

H- रागी— क्योकि सभी ओड़िया लोग तुम्हारे डर से भाग गये है।

 

 

C- रेखा देवार-  भागगे अउ मैं अकेल्ला हवं। सात भांवर घुमत रइथे। घुमत-घुमत दसमत कइना हे तेन उही चिता म भस्म हो जथे।

H- रेखा देवार — भाग गये हैं और मैं अकेली हूं। चिता के सात फेरा घुम रही है। घुमते—घुमते दसमत कइना उसी चिता में कूद कर भस्म हो जाती है।

 

 

c- रागी— कूद दीस।

H- रागी— कूद गई।

 

 

C- रेखा देवार-  कूद दीस ओकर चिता म काबर के, जब ले मोर ददा ह ओड़िया के साथ ल धराये हे तब मैं दूसर के मुंहू का देखिहवं अइसे करके कूद देथे चिता म।

H- रेखा देवार—उसकी चिता में कूद गयी क्योकि जब से मेरे पिता जी मुझे ओ​ड़िया का साथी बनाये है, तो मैं दूसरे का मुंह क्यो देखू, ऐसा सोच कर चिता पर कूद जाती है।

 

 

C- रागी—सति हो जथे।

H- रागी— सती हो जाती है।

 

 

C- रेखा देवार-  सति हो जथे। तव महान देवता किथे दसमत कइना तै अच्छा नइ करे।

H- रेखा देवरा— सती हो जाती है। तब महान देवता कहते है, दसमत कइना तुमने अच्छा नही किया।

 

 

C- अध्धर उड़ाबे बवाहू जाले नीचे म खन कोड़

H- आकाश में उड़ेगी तो जाल फैलाऊंगा, धरती के भीतर से खोद कर

 

 

C- आहा नीचे म खन कोड़

H- आहा नीचे से खोद कर

 

 

C- नीचे म तै घूसगे दसमत कइना

H- तुम नीचे धरती में घुस गई दसमत कइना

 

 

C- खन कोड़ के निकालहवं अब

H- अब तुम्हे खोद खोद कर निकालूंगा

 

 

 

C- रेखा देवार-  दसमत कइना तै मर गेस त का होइस तोर हड्डी ल मैं खन कोड़ के खोज-खाज के निकाल के मैं गंगा लेग के सरो दूहू तभो ले मोर नाम कहाही।

H- रेखा देवार— दसमत कइना तुम मर गई तो क्या हो गया तुम्हारी हड्डी को मैं खोद कर खोज निकालूंगा और मैं उन्हें गंगाजी लेजाकर विर्सजित करूंगा, तभी तो मेरा नाम होगा।

 

 

C- रागी— कहाही।

H- रागी— कहायेगा।

 

 

C- रेखा देवार-  अइसे करके महान देवता ह तब जात रहिथे तब महान देवता जब जात रइथे तब उही मेर बड़का जनिक पत्थर माढ़हे रइथे गिर हपट के महान देवता के परान तको निकल जथे। अतके जानथवं मैं अढ़ही आदमी।

H- रेखा देवार— इस तरह महान देवता जाते रहते है, तभी महान देवता की जाते समय वही पर एक बड़ा सा पत्थर रखा रहता है जिससे टकराकर महान देवता गिर जाते हैं और उनका प्राण निकल जाता है अर्थात मृत्यु हो जाती है। मैं अनपढ़ इतनी ही जानती हूं।

 

This content has been created as part of a project commissioned by the Direcorate of Culture and archaeology, Government of Chhattisgarh to document the culturala nd natural heritage of the state of Chhattisgarh.