इस वीडियो में छत्तीसगढ़ के रामप्रसाद वासुदेव द्वारा कृष्ण भजन का गायन किया गया है। वह छत्तीसगढ़ के वासुदेव समुदाय के एक पारम्परिक कथा एवं भजन गायक हैं ।
This video is a recitation of a Krishna Janam katha by Ramprasad Vasudeva from Chhattisgarh. The Vasudeva community were traditional and occupational storytellers from this region, who who owe their ancestory to Vasudeva, Krishn'as father. In telling this tale they are also in a way telling the story of their lineage. Ramprasad Vasudeva represents possibly the last generation still practicing this art.
यहाँ पहले कथा का छत्तीसगढ़ी रूप दिया गया है तदुपरांत उसका हिंदी अनुवाद दिया गया है -
(छत्तीसगढ़ी) - कृष्ण भजन गाहूं छोटे से जतका समझ म आ जही मति अनुसार
रामचंद्र बेला भगवान धर्मराज इक बेला रे जय गंगान
भाई कहां तक ल बरनन किया सात दिनन तक सुने सकाए जय गंगान
भाई नौ दिन के भगवत कथा पोथी ये देवकी बसदेव के कथा जय गंगान
जब एक बरोबर ले होवय रे भाई कहां तक ल बरनन किया जय गंगान
हाथ म हथकड़ी लगे बसुदेव के पांवन म बेली लगे जय गंगान
भाई छै कोरी लगे कपाट कारागार बंदी जय गंगान
जेमा दै गर्भ देवकी के ग मारय देय अनंग पथर म कचारय जय गंगान
सातवां गरभ ग बलराम ग ल अवतारे जय गंगान
भाई अठवां गरभ ग कृष्ण अवतारे कहां तक ल बरनव मोर भाई जय गंगान
हाथ के हथकड़ी खुल गए पावन के बेली खुल गए जय गंगान
जब छै कोरी जोड़ी ग खुलय कपाट कारागार ग खुल्ला जो होवय जय गंगान
जब नार फूल ल लेके बसुदेव लेजय गोकुल जावय जय गंगान
जब बीच म छेंकय जमुना ग मईया चरन छूए बर जमुना ग माय जय गंगान
भाई अति ग भाग जमुना ग लेवय बड़ा सोंच बसुदेव ल परय जय गंगान
भाई कईसे रे भाई बांचही प्रान भाई अइसे भरंय जवाब जय गंगान
भाई माड़ी भर बसुदेव मोर पेलय जांध भर बसुदेव के आवय जय गंगान
जेला जांध भर बसुदेव मोर पेलय मूह भर राजा बसुदेव के मोर जय गंगान
जब कईसे प्रान बाचही भगवाने अंतरजामी सिरि जय गंगान
भाई उप्पर ले चरन ल देवय छुवाए भाई जमुना माई ग सुक्खा होवय जय गंगान
जब नंद बाबा घर पहुचावय जी कईना अब लेये अवतार जय गंगान
भाई बिजली कईना ल लेके आवय जी बिजली कईना रस्ता बतावय जय गंगान
जब घर म पहुंचय नंद बाबा ग कहां तक ल बरनन बतांव जय गंगान
हाथ के हथकड़ी लग गए अउ पांवन के बेली लगय जय गंगान
जेदे छै कोरी जोड़ी लगय कपाटे कारागर जी बंदे ग होवय जय गंगान
जेमे हाथे हथकड़ी लगे हे भाई पांवन के बेली लगे मोर जय गंगान
बोले राधा कृष्ण भगवान की जय।
(हिंदी) - छोटा सा कृष्ण भजन गाउंगा जितना समझ मे आयेगा अपनी मति के अनुसार
रामचंद्र बेला भगवान धर्मराज इक बेला रे जय गा रहा हूं
भाई कहां तक वर्णन करूं सात दिन तक सुना जा सकता है जय गा रहा हूं
भाई नौ दिन के भगवत कथा पोथी है देवकी बसदेव की कथा है जय गा रहा हूं
जब एक जैसे होने के कारण रे भाई कहां तक वर्णन किया जाय जय गा रहा हूं
हाथ मे हथकड़ी लगा है बसुदेव के पांवों मे बेली लगा है जय गा रहा हूं
भाई कारागार में एक सौ बीस दरवाजे के अंदर बंदी है जय गा रहा हूं
जिसमें देवकी के गर्भ को मारता है आंगन के पथर मे पटक देता है जय गा रहा हूं
सातवें गर्भ में बलराम अवतार लेता है जय गा रहा हूं
भाई अठवें गर्भ में कृष्ण अवतार लेते हैं कहां तक वर्णन करूं मेरे भाई जय गा रहा हूं
हाथ की हथकड़ी खुल जाती है पांव के बेड़ी खुल गए जय गा रहा हूं
जब कारागार के एक सौ बीस दरवाजे खुल जाते हैं जय गा रहा हूं
जब बच्चे को गर्भ नाल सहित लेकर वसुदेव गोकुल ले जाते हैं जय गा रहा हूं
बीच मे यमुना माता चरण छूने के लिये रास्ता रोकती है जय गा रहा हूं
भाई यमुना अपने भाग्य को सहराते हुए ऊन रही है इधर वसुदेव को बड़ी चिंता हो रही है जय गा रहा हूं
भाई प्राण कैसे बचेगा भाई इस तरह सोच रहे हैं जय गा रहा हूं
भाई घुटने भर पानी में घुसते हें वसुदेव फिर जांघ भर फिर गले तक पानी आ जाती है जय गा रहा हूं
जो जांध भर में घुसता है तो पानी मूह में भरने लगता है राजा बसुदेव के जय गा रहा हूं
जब कैसे प्रान बचेगा भगवान अंतरयामी श्री जय गा रहा हूं
भाई उपर से चरण को छुवा देते हें भाई जमुना माई उतर जाती है जय गा रहा हूं
जब नंद बाबा के घर पहुंचाते हैं जी वहां कन्या अवतार ली है जय गा रहा हूं
भाई बिजली कन्या को लेकर आते हैं जी बिजली कन्या रास्ता बताती है जय गा रहा हूं
जब घर मे पहुंचते हैं नंद बाबा कहां तक का वर्णन करूं जय गा रहा हूं
हाथ की हथकड़ी लग जाती है और पांव की बेली लग जाती है जय गा रहा हूं
एक सौ बीस जोड़ी दरवाजे लग कर कारागर बंद हो जाता है जय गा रहा हूं
जिसके हाथ में हथकड़ी लगा है भाई पांवों में बेड़ी लगी है जय गा रहा हूं
बोलो राधा कृष्ण भगवान की जय।
This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.