गढ़ कलेवा, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहर के बीचोंबीच स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में विद्यमान एक खान-पान स्थल है। यहाँ पर केवल पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन ही परोसे जाते हैं। यहाँ मुख्यतः छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले सूखे और गीले नाश्ते तथा भोजन की व्यवस्था रहती है।
गढ़ कलेवा की स्थापना जनवरी 26, 2016 को की गई थी। यहाँ का पूरा का पूरा माहौल एक ग्रामीण परिवेश के रूप में तैयार किया गय है| खाद्य पदार्थों को परोसने के लिए भी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति में इस्तेमाल किए जाने वाले कांसे और पीतल के बर्तनों की व्यवस्था की गई है | गढ़ कलेवा की लोकप्रियता में, छत्तीसगढ़ी खानपान के परिपूरक के रूप में, इसकी निर्माण शैली तथा यहां का माहौल भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है| इस स्थान पर जहां बस्तर के मुरिया जनजाति के कलाकारों ने लकड़ी पर कारीगरी के आधार पर मनमोहक सौन्दर्य का अंकन किया है, वहीं सरगुजा अंचल के कारीगरों ने मिट्टी के रिलीफ वर्क और जाली, तथा अपनी पारंपरिक लिपाई-पुताई के विभिन्न नमूनों को दीवार पर अंकित कर, बहुत ही सुन्दर वातावरण की रचना की है|
गढ़कलेवा का संचालन मोनिशा महिला स्वसहायता समूह नामक एक संस्था द्वारा किया जा रहा है जो मार्च 2016 से इसका संचालन कर रही है। यहां काम करने वाली अधिकांश कर्मचारी महिलाएं हैं|
This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.