Hindi

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Simran Agarwal
The early 1900s saw the rise of Hindi children’s journals such as Balak, Balsakha and Kanya Manorajan that published articles instilling nationalist morals and patriotism in kids, opining on what constitutes an ideal future-citizen for India. We look at how these journals attempted to influence the…
in Article
Rohan Chauhan
Once the novel arrived on the Hindi literary scene in the late nineteenth century, several eminent Hindi hitaishis[1] (benefactors) realised its scope for familiarising the emerging readership with the Indian past, which usually meant an exaggerated Hindu past resisting the cruelty of the…
in Article
Rohan Chauhan
History emerged as a contentious issue between the coloniser and the colonised in nineteenth-century colonial India. In a bid to justify their rule over India, the British wrote histories where the Indian past was nullified as static and unchanging, thereby inferior, which required the legislative…
in Article
Rohan Chauhan
The ‘novel’ is usually regarded as a Western genre of literature that found its way into South Asian literary culture during the nineteenth century as a by-product of colonialism. However, it can be argued that it was assimilated into modern Indian languages not in its original name of ‘novel’ but…
in Overview
Rohan Chauhan
History emerged as a contentious issue between the coloniser and the colonised in nineteenth century colonial India. Through works such as James Mill’s The History of British India (1818–1823), the British legitimised their rule in India by writing histories where they absorbed the…
in Module
अमिता चतुर्वेदी (Amita Chaturvedi)
बुन्देलखण्डी परिवेश में रहकर बड़ी हुईं मैत्रेयी पुष्पा के विभिन्न उपन्यासों, ‘इदन्नमम’, ‘बेतवा बहती रही’, ‘अल्मा कबूतरी’ आदि में बुन्देलखण्ड के भूगोल, सामाजिक-जनजीवन, संस्कृति आदि का सम्पूर्णता से परिचय मिलता है। मैत्रेयी पुष्पा को हिन्दी अकादमी द्वारा साहित्य कृति सम्मान, ‘फैसला’ कहानी पर कथा…
in Interview
अमिता चतुर्वेदी (Amita Chaturvedi)
साहित्य किसी भी क्षेत्र के संस्कृति-संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिन्दी साहित्य में बुन्देलखण्डी संस्कृति को अन्य क्षेत्रों की संस्कृति की अपेक्षा कम महत्व दिया गया है। साहित्य में संस्कृति के संरक्षण की दृष्टि से वृन्दावन लाल वर्मा और मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में बुन्देलखण्डी-…
in Article
अमिता चतुर्वेदी (Amita Chaturvedi)
बुन्देलखण्ड मध्य-भारत का ऐसा भाग है, जिसमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के आंशिक क्षेत्र समाहित हैं। बुन्देलखण्ड के अलग-अलग भागों में इतिहास, संस्कृति और भाषा की दृष्टि से विविधता होते हुए भी भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक समानता लिए हुए एक अलग ही विशिष्टता है। किसी भी प्रान्त पर…
in Overview
अमिता चतुर्वेदी (Amita Chaturvedi)
किसी भी प्रान्त की संस्कृति के संरक्षण के लिए वहाँ की विशिष्टताओं का साहित्य में समावेश महत्वपूर्ण है। साहित्य क्षेत्रीय-इतिहास, जनजीवन एवं संस्कृति के संग्रह का प्रमुख माध्यम है परन्तु बुन्देलखण्डी बोली, भौगोलिक परिवेश, जनजीवन, इतिहास और संस्कृति पर आधारित साहित्य का पर्याप्त विश्लेषण नहीं…
in Module