गुरुमांय
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Harihar Vaishnav, folklorist, Chhattisgarh in conversation with Mushtak Khan on his life contribution to the field of oral traditions of Bastar.
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Mushtak Khan in cinversation with Sukdei Koramon her life and the Gurumay tradition of Bastar.
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जगार संभवतः ‘जागृति’ या ‘यज्ञ’ शब्द का अपभ्रंश है। यह एक ऐसा लोक महाकाव्य है जिसका पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण स्मृति आधारित है। इसकी विशेषता यह है कि इसका गायन केवल महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। जगार की प्रक्रिया में इसकी गायिकाएं, जिन्हें इस क्षेत्र में ‘गुरुमांय’ कहा जाता है, देवताओं…
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गुरुमांय: वाचिक परम्परा की संवाहिकाएं
आमतौर पर पूजा अनुष्ठानों का संचालन एवं संबंधित कथागायन पुरुष पुजारियों एवं कथा वाचकों द्वारा संपन्न किया जाता है परन्तु महाराष्ट्र के वर्ली आदिवासियों , ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बस्तर के भतरा, परजा एवं हल्बा आदिवासियों के साथ-साथ अन्य गैर…
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बस्तर अंचल में हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या), के साथ ही कृषि-चक्र आरम्भ हो जाता है। इसी के साथ कृषि-सम्बन्धी त्यौहारों और उत्सवों का सिलसिला आरम्भ होता है। यहाँ यह जगार उत्सव के रूप में माने-मनाये जाते हैं। जागर के चार प्रकार होते हैं- आठे जगार, तीजा जगार, लछमी जगार…
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यह आलेख कोंडागांव के हरिहर वैष्णव एवं खेम वैष्णव से हुई चर्चा पर आधारित है
बस्तर की धार्मिक-सामाजिक मान्यताएं एवं रीति-रिवाज आदिवासी तथा गैर आदिवासी विश्वासों का एक जटिल मिश्रित रूप हैं। संभवतः यही कारण है कि यहाँ की अधिकांश प्रथाएं समुदायगत न होकर क्षेत्रीय स्वरुप रखती हैं…
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