Folk art

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Sunil Kumar
    सलहेस नाच को मैंने तीन रूपों में देखा है। पहला रूप जो एकदम क्रूड, एकदम विशुद्ध ग्राम्य परिवेश में ग्राम्य कलाकारों द्वारा अभिनीत जो मैंने देखा, वह नरहन में। नरहन समस्तीपुर जिला में पड़ता है। वहां यंग, यानी युवा सलहेस और युवती कुसमा-मालिन दोनों एकदम सामान्य ग्राम्य वेशभूषा में  एकसाथ अपना अभिनय…
in Interview
Sunil Kumar
  बिहार में राजा सलहेस की लोकगाथा महत्वपूर्ण है और बिहार में जितनी भी लोकगाथाएं है उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। ऐसा लोग मानते हैं। मेरा दृष्टिकोण कुछ दूसरा है। भारत की जितनी भी लोकगाथाएं हैं, या विश्व की जितनी भी लोकगाथाएं हैं, अगर आप उसे देखेंगे तो हमने जो देखा है, पढ़ा है और हमने जो जानने का…
in Interview
Sunil Kumar
  मलिनिया प्रसंग   आ  SSS आ SSS प्रेमी यो भइया SSS बाबू सा  SSS यौ राज मइसौथा गादी मे बाबू राजा सलहेस छै मालिक मांअंदीक चौसे पिया जोगिनिया मांअंदी के कोइख से जनमल राजा सलहेस बाबू मोतीराम दुलरुआ अहो छोटका बउआ बुधेश्वर बाबू सुंदर रूप मे पुरुष हो जनमल अनक रूप सकल बाबू अविछै आय हो नारायण हे हो गोसइंया…
in Video
This module presents an overview of the epic narrative of Pabuji, a mythical hero whose exploits are put to verse and sung by bards, the male bhopa and the female bhopi, who use a large painted backdrop to point out key moments within the narrative. This epic is central to the nomadic and pastoral…
in Module
Sunil Kumar
चित्र 1: राजा सलहेस का गहवर, चूनाभट्टी, दरभंगा, 2017. फोटोग्राफर: सुनील कुमार   लोककला और साहित्य के आईने में लोकगाथा राजा सलहेस को देखने से पूर्व राष्ट्रीय स्तर पर दलितों की राजनीतिक-सामाजिक और साहित्यिक चेतना के उभार की पृष्ठभूमि में बिहार में दलितों की मन:स्थिति का परीक्षण आवश्यक है। इससे पूर्व…
in Article
The article is an account of 'The Kutch Maldhari Lok-Kala Mahotsava', Bhuj, that took place on February 22-27, 1983.
in Library Artifacts