दसमत कैना कथा - रेखा देवार की प्रस्तुति
(Chhattisgarhi, Hereafter C)- रेखा देवार- राजा भोज रिहिसे। ओकर सात झन बेटी रहिसे त सब झन ल पुछथे- बेटी हो काकर करम म खाथव, काकर करम म पिथव, काकर करम के लेथव नाव। त दसमत कइना ह कथे- ददा मैं अपन करम म खाथवं, अपन करम म पिथवं, अपन करम के…
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B. D. Sahu
लोककथाएँ लोक की सांस्कृतिक यात्रा की साक्षी होती हैं अतः इसमें आधुनिकता का समावेश भी होता है। सामाजिक-राजनीतिक बदलावों के कारण उत्पन्न परिस्थियाँ लोक में सहज स्वीकार्य होकर लोक साहित्य में अभिव्यक्त होने लगती हैं। इस प्रकार लोककथाएँ, लोक-जीवन के सर्वाधिक निकट होती हैं। लोक का ज्ञान…
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Rekha Devar
This module is part of series of modules on performing genres from Chhattisgarh. They seek to reflect the richness of oral epics and folklore traditions from this region, and the modes in which they are performed and recited. The focus is the documentation of the entire epic…
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इस लेख में गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त ने प्रारंभिक और समकालीन मड़ई उत्सव का जिक्र किया है। वह बुंदेलखंड के क्षेत्र में उत्सव का वर्णन करते है और त्यौहार का विवरण लाते है।
In this article Gupteshvar Dwarka Gupt juxtaposes the early and contemporary Madai Celebration. He emphaises its…
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मुश्ताक खान
आकृति 1: दंतेश्वरी देवी
प्राचीन समय में बस्तर को चक्रकोट के नाम से तथा वर्तमान दंतेवाडा क्षेत्र को तरलापाल के नाम से जाना जाता था। चालुक्य राजवंश के काकतिय राजाओं ने आरंभ में बारसूर को अपनी राजधानी बनाया। कालांतर में उन्होने अपनी राजधानी दंतेवाड़ा स्थाानांतरित कर ली। काकतिय…
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The article generously describes the 8th Jagar Ceremony organised in Chhattisgarh. The Jagar ceremony, held every year without fail is a confluence of art and culture. Performances, art displays and eateries from various states attract mixed audience who engage into a variety of activites at the…
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Mushtak Khan
Harihar Vaishnav, folklorist, Chhattisgarh in conversation with Mushtak Khan on his life contribution to the field of oral traditions of Bastar.
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हरिहर वैष्णव
जगार संभवतः ‘जागृति’ या ‘यज्ञ’ शब्द का अपभ्रंश है। यह एक ऐसा लोक महाकाव्य है जिसका पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण स्मृति आधारित है। इसकी विशेषता यह है कि इसका गायन केवल महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। जगार की प्रक्रिया में इसकी गायिकाएं, जिन्हें इस क्षेत्र में ‘गुरुमांय’ कहा जाता है, देवताओं…
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