बांस गीत:- लोरिक चंदा, प्रस्तुति-हिंदी अनुवाद
|
बांस गीत... धुन... |
|
|
|
|
गीत |
भरका की भरेतीन को सुमिरन करूं, डूमर (गूलर) की परेतिन (प्रेतात्मा) ठाकुर दिया (ग्रामदेव) सुमिरन करूं बोईर (बेर) की चुड़ैल को सुमिरन करूं तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न देवरी के निवासी हैं पोस्ट ऑफिस गूल्लू है, तहसील आरंग, जिला रायपुर छत्तीसगढ़ है। |
|
|
|
|
कथाकार |
हम देवनगरी देवरी के निवासी हैं जिसका पोस्ट ऑफिस गूल्लू है, तहसील आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़ है। आगे क्या हो रहा है बांसगीत गायक बता रहें हैं। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर नाना साथी मोर तरी हरी ना ना ए न, बांसे में स्वर दे रहें हैं गेंद राम यादव जी, और उनके सहयोगी हैं भाई रामकुमार यादव जी, गाथा बखान कर रहें हैं मोहन यादव जी और उनके सहयोगी, मेरे टीकू लाल यादव जी, इनके संचालक दयालु राम यादव है, |
|
|
|
|
कथाकार |
बांस में स्वर दे रहें है गेंद राम यादव और उनके सहयोगी है रामकुमार यादव, कथा की व्याख्या कर रहा हूं मैं मोहन यादव, और मेरे सहयोगी टीकू लाल यादव, इसका संचालन दयालु राम यादव कर रहे हैं। और बांस क्या है? बांस पूरी तरह से खुली है इसमें अठन्नी-रूपये का भी तार नहीं लगा है, सीधी कटिंग होकर आई इसमें यहां से वहां तक चार छिद्र है, इसमें तांबा नहीं लगा है, ये शुद्ध बांस का स्वर है। |
|
|
|
|
गीत |
बंजारी माता धरती को चीर के निकली है, बंजारी माता धरती के एक छोर में निकली है, बंजारी माता रांवा भांठा में है, खूब जंगल-झाड़ी के बीच होने के कारण ऐसा नाम पड़ा, जय मइया बंजारी इसी कारण नाम पड़ा, बंजारी माता धरती को चीर के निकली है (बांस धुन के बाद) मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न मैं लोरिक चंदा की कथा बखान कर रहा हूं |
|
|
|
|
कथाकर |
राजा महर की बेटी चंदा और लोरिक की प्रेम कहानी है, लोरिक की मां खूलन और लोरिक की पत्नी दौनामांझर की कथा बता रहें है। |
|
|
|
|
गीत |
इस जन्म में उस जन्म में अगले जन्म में भी कहता हूं, तीनों जन्म में अहीर का लाठी कीचड़ में सने रहता है, भाई रे गोरस से शरीर भीगा रहता है, अउ मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोन नाना हमउम्र मोर तरी हरी ना ना ए न राजा महर की लड़की चंदैनी है, मांझर दौना लोरिक की पत्नी है, इस तरह से भाई कथा चल रहा है, मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोन नाना हमउम्र मोर तरी हरी ना ना ए न और माता खूलन है जिनका बेटा लोरिक है, और दौना मांझर है वह लोरिक की पत्नी है, |
|
|
|
|
कथाकार |
क्या होता है... माता खूलन का बेटा लोरिक है, जिसकी प्रेमिका राजा महर की बेटी चंदैनी यानी चंदा है, फिर एक दिन क्या होता है, आगे बांसकवादक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है बताओ भई बांस पर कहने वाला? |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर नाना हमउम्र मोर तरी हरी ना ना ए न, मांझर दवना लोरिक की पत्नी है, और कैसे मजे से राजा के राजमहल में, महल में चरवाहे लगे हुए हैं, |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक जो था वह उसी राजा महर के घर चरवाहे का काम करने के लिए लगा था, और राजा महर की बेटी चंदा जो कि बहुत ही सुन्दर थी और दौनामांझर जो लोरिक की पत्नी है, लोरिक महल के सारे गाय-भैंस को चरा रहा है, फिर एक दिन क्या होता है, आगे बांसगीत गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा जी? |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोन नाना साथी मेरे हरी ना ना ए न, कहां के रहने वाला है भाई जी तुम मुझे बता दो ना, किसका बेटा है उसे मुझे समझा दो जी, |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक कहां का रहने वाला है? लोरिक माता खूलन का बेटा है, गढ़ रीवना आरंग ब्लॉक छत्तीसगढ़ का रहने वाला है। और हम आज जिसे आरंग कहते हैं और राजा महर का राज इसी रीवना में है, लोरिक के गढ़ रीवना है, हमारे छत्तीसगढ़ के आरंग ब्लॉक में है उसी की कथा बता रहें हैं। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर नाना हमउम्र मोर तरी हरी ना ना ए न, लोरिक जब बड़े हो गए भाई जी कैसे राजा महर की गाय चरा रहे हैं, कैसे मेरी गाय चरा रहें हैं जो भला लग रहे हैं, |
|
|
|
|
कथाकार |
क्योंकि लोरिक राजा महर के गाय भैंस को चराता है और चराने के लिए ढीलता हुआ जंगल की ओर ले जा रहा है, और कहां खड़ा किया है आगे बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
ढील रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
अरे जिस गाय को चरा रहा मैं उसे जनम सुरिया कहता हूं, जनम सुरिया कहता हूं वह वह माता के लाल है, बारापाली का उजाड़ कर दिया, बारापाली का उजाड़ दिया, भाई वह महानदी का दईहान है। |
|
|
|
|
कथाकार |
उस जगह में पत्तियां टहनी का चारा चरा रहा है, किसी का खेत भी चरा रहा है, और आरंग के पास दईहान (गाय ईकट्ठी करने का बड़ा मैदान) वहां पर खड़ा है, फिर आगे क्या हो रहा है उसे बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बताओ भई बांसगाथा गायक |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना ए न उसी समय जब वह लड़की चंदा जा रही है, तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना ए न, |
|
|
|
|
कथाकार |
वहां गोबर बीनने जाती हुई चंदा ने लोरिक को देखा, और देखते ही उस मुग्ध हो गई, गायों के बीच-बीच से इधर उधर जा रही है, जो राजा महर की लड़की है, और क्या हो रहा है उसे बांसगाथा गायक बता रहें हैं। |
|
|
|
|
रागी |
बताओ भाई बांसगाथा गायक |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना ए न और समय में बिरबठिया था जो |
|
|
|
|
कथाकार |
बिरबठिया जो था खेत खलिहान की रखवाली करने के लिए बैठा था। |
|
|
|
|
रागी |
क्या है? |
|
|
|
|
कथाकार |
तो आगे बांस वादक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बताओ भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
कथाकार |
मन मतंग है जब तक धोखा नहीं खा जाता तब तक नहीं मानता है और जिसके घर ऐसी स्त्री होगी वहां पछतावा उत्पन्न करने वाली बाधाएं आएँगी ही। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना ए न और उसी समय में, कैसे मजा कर रहें हैं |
|
|
|
|
रागी |
हरे हरे हरे सही कह रहे हो बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
कथाकार |
बड़े मजे से दिन बिता रही है, जो हो चुका है उसे सोच रही है चंदा। |
|
|
|
|
रागी |
क्या सोच रही है? |
|
|
|
|
कथाकार |
भाजी तोड़ने धान के खेत में चली गई है। |
|
|
|
|
रागी |
चली गई है। |
|
|
|
|
कथाकार |
तो जो वह रखवाला था वह वहां पहुचंने वाला है, तो आगे बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा रहा है भाई? |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना ए न अउ जहूं भला लागे ना, रखवाला बैठा है भैया मेरे जो भला लग रहा है, और चंदा चना भाजी तोड़ने लगती है |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदा जो है वहां जाकर चना भाजी तोड़ रही है। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
और रखवाला जो है उधर से जाते हुए देखता है, कि उसने पूरा आंचल भाजी से भर रखी है। |
|
|
|
|
रागी |
हां रखी है। |
|
|
|
|
कथाकार |
फिर रखवाला कह रहा है कि चल तुझे राजा के पास ले जाउंगा। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बताएगा। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना उहू जब वह चना भाजी तोड़ रही है, रखवाला उसे पकड़ने लगा, और वह लड़की चंदा है वह बोलन लगी, रखवाला कह रहा है अब में तुझे मजा चखाता हूं |
|
|
|
|
कथाकार |
चल मैं तुझे राजा के पास ले चलता हूं। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
वह उसे हाथ पकड़कर खीच-खीच कर ले जा रहा है, जोरदार आवाज में कड़े शब्दों में बोल रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या बोल रहा है? |
|
|
|
|
कथाकार |
घसिया की जाति का है वह मुझ पर मोहित हो गया है, इसलिए चंदा उससे बच-बच कर हट-हट कर चल रही है, इसने मन बना लिया कि कहीं वह मुझे पकड़ ना ले। |
|
|
|
|
रागी |
बन गया है। |
|
|
|
|
कथाकार |
रखवाले उसे घेर रखा है और कह रहा है, चल तुझे ले जाउंगा राजा के पास और चंदा उसके हाथ-पांव जोड़ रही है, फिर आगे क्या करते है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या करते हैं? |
|
|
|
|
कथाकार |
मुझे इमली खाने का मन हो रहा है, कहकर उस बहलाने की कोशिश कर रही है, फिर आगे क्या होता बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ना वही समय में भाई रे, चंदा कह रही मुझे ये जबरदस्ती अच्छी नहीं लग रही |
|
|
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदा हाथ जोड़कर उससे विनती कर रही है, मुझे छोड़ दे और जाने दे, इस प्रकार चंदा ने एक उपाय सोचा, कि अगर किसी प्रकार उसकी योजना काम आती है, तो वह उसके चंगुल से छूट सकती है, फिर चंदा कहती है मुझे ना इमली खाने की बहुत इच्छा हो रही है, तो क्या तुम मेरे लिए इमली तोड़ दोगे फिर आगे क्या होता बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है बताओ भाई बांसगाथा गायक, हरे हरे। |
|
|
|
|
गीत |
अरे गंगा जो बड़ी है और गोदवरी बड़ी है, और में तीरथ बड़ा केदार है, अयोध्या जो बड़ा कह रहा हूं, भाई रे राम जिसमें लिए अवतार जी, तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ग और रखवाले को इमली के पेड़ में चढ़ाया, और नीचे चंदा ने कांटे बिछा दिए, |
|
|
|
|
कथाकार |
मुझे इमली खाने का मन हो रहा है, ऐसा कहकर इमली के पेड़ में रखवाले को चढ़ा दिया। |
|
|
|
|
रागी |
मन हो रहा है। |
|
|
|
|
कथाकार |
और इधर चंदा इमली के पेड़ के नीचे में चारो ओर काटें बिछा देती है ताकि वह ऊपर ही रहे नीचे ना आ सके। |
|
|
|
|
रागी |
बिछा दिया। |
|
|
|
|
कथाकार |
और चंदा जो है वो सरपट दौड़ पड़ी गली गली और आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ए ग, और ऊपर से रखवाला देख रहा है, और इधर-उधर देख रहा है और चंदा भाग गई |
|
|
|
|
कथाकर |
और वह ऊपर से चंदा को इधर-उधर ढूंढ रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
देख रहा है। |
|
|
|
|
कथाकार |
वह ऊपर से चंदा को सरपट भागते देख रहा है, और इधर काटें बिछे हुए हैं जिनसे वह किसी प्रकार बचते हुए कूदकर उसके पीछे वह भी दौड़ पड़ता है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है भाई बांसगाथा गायक बताओ। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना ग और लड़की चंदा है भाई, घर गउरा में पहुंच गई और पीछे रखवाला जो है, उसे दौड़ाता भगाता उसके पीछे पहुंच गया, |
|
|
|
|
कथाकार |
बिल्कुल उसके घर जाते तक उसके पीछे लगा हुआ है। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
और उसके घर पहुंचकर बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या बता रहा है? |
|
|
|
|
कथाकार |
ये तुम्हारी बेटी खेतों में भाजी तोड़ती हुई पकड़ी गई है, जब मैंने पकड़ा तो भागती हुई आई है, इस प्रकार वह बता रहा है लेकिन वो तो राजा है राजा के सामने किसकी चलती है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
चना तोड़ने वाला चना तोड़ रहा है, पूरे चारो ओर तोड़ रहें हैं, पति पत्नी सब साथ में तोड़ रहें हैं, साथ में पूरे ससुराल के लोग तोड़ रहें हैं, तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना, जब रखवाला पहुंच गया राजा के घर में, राजा को बता बता रहा है तुम्हारी जवान लड़की, कैसे भाजी तोड़ रही थी |
|
|
|
|
कथाकार |
क्योंकि वह रखवाला चंदा का पीछा करते हुए उसके घर तक पहुंच गया है, इसलिए राजा तुरन्त बाहर आया उसे दरवाजे में ही रोककर उसे क्षमा याचना उसे मनाया, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बताओ भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
ये बारापाली गउरा के राज में जग निन्दा का कारण है, बारापाली के गउरा के घर है और सोलह गली है, लड़की बैठकर राउत के बारे में सोच रही है, |
|
|
|
|
कथाकार |
बारापाली का घर गउरा है जी। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
सोलह श्रृंगार करके बैठी हुई चंदैनी केवल लोरिक के बारे में सोच रही है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
आठ ठेला माठ ठेला में गली पीपल है, आठ ठेला माठ ठेला में गली पीपल है, आठ ठेला माठ ठेला में गली पीपल है, यह गली वैसे ही है जैसे पहले थी, हमारे घर के भोंदू को देखा या नहीं, इत्ती सी बात कहकर तुमका भुलवा दिया, तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र ग तरी हरी नाना ए ना, लड़की जो चंदैनी है भाई, वह राउत को मन ही मन में, दिल ही दिल याद कर रही है |
|
|
|
|
कथाकार |
मन ही मन चंदैनी गुन रही है। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
और दिल ही दिल में सोच रही है, किस प्रकार राउत से भेंट होगी। |
|
|
|
|
रागी |
हां क्या हो रहा है बताओ भाई बांसगाथा गायक? |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, जो लड़की सोच रही है वह चंदा है, राउत कैसे गाय चरा रहा है, उस समय चदैंनी उसे देख रही है |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक जंगल में गायों को चरा रहा है, और उसकी गाएं इधर-उधर बिखरी हुई है, इधर चंदैनी गोबर उठाने वाली महिलाओं से लोरिक का पता पूछ रही है। |
|
|
|
|
रागी |
हां पूछ रही है। |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक की गाएं की बिखरी हुई, और वह उस समय बांसुरी बजा रहा है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक? |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, मन ही मन गुन रही है और दिल ही दिल में याद कर रही है, उसी समय वह लोरिक के पास पहुंचने लगी है , |
|
|
|
|
कथाकार |
उस समय चंदैनी गोबर उठाने जा रही हूं, ऐसा कहकर लोरिक से मिलने जाती है और जाकर कहती है, कि वो बिरबठिया (काला) मेरे पीछे पड़ा है, और मेरे साथ छेड़खानी की अब उसको तुम देख लो उसका क्या करना है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है भाई? |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक के पास पहुंचकर उसे बता रही है कि बिरबठिया मेरे पीछे पड़ा है। |
|
|
|
|
रागी |
पड़ा है। |
|
|
|
|
कथाकार |
इस तरह से वो लोरिक से कह रही है, क्या करना है? |
|
|
|
|
रागी |
क्या करना है? |
|
|
|
|
कथाकार |
ऐसा उससे कह रही है जी। |
|
|
|
|
रागी |
कह रही है। |
|
|
|
|
कथाकार |
क्या बात है बांसगाथा गायक बताएगा। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, उस समय वह बोल रही है, बोल रही है कि मैंने तुम्हे मन ही मन बहुत याद किया, लड़की चंदैनी लोरिक से कह रही है कि, बिरबठिया मेरे पीछे पड़ा है |
|
|
|
|
कथाकार |
बिरबठिया उसके पीछे पड़ा है, लोरिक कह रहा है, उसको समय आने पर बताउंगा, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, चंदैनी लोरिक को बता रही है, कैसे बता रही है कि लोरिक अब हम क्या करें, |
|
|
|
|
कथाकार |
उसने बात बताकर समझाइश दी है। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
क्या समझौता करवाया है,उसने चंदा से कहा दो गड्ढे करना, और उन दोनों का उसमें दबाना, और बाजी लगाना और जो गड्ढे में से पहले निकलेगा वहीं मुझे हाथ थामकर ले जा सकेगा, इस प्रकार उसने रास्ता बताया है। |
|
|
|
|
रागी |
किसने बताया है? |
|
|
|
|
कथाकार |
मालिन बुढ़िया ने बताया है उसे। |
|
|
|
|
रागी |
कैसे बताए है? |
|
|
|
|
कथाकार |
ऐसे बताया है जी। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
मालिन बुढ़िया ने चंदा से सात थाली मोहरें ली, और उसे कहा बिरबठिया और लोरिक के लिए दो गड्ढे खोदें, उसमे एक गड्ढे में लोरिक को तुम दबाना, और बिरबठिया को दांवना दबाएगी, इस प्रकार मोहरों के बदले में मालिन ने चंदा को उपाय बताया है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, उसी समय में बोल रहें हैं कि, चंदैनी जो है वह लोरिक के पीछे, और इसको दबाए दौना |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदैनी लोरिक को गड्ढे में लोरिक को दबा रही है, और दावना जो है वह बिरबठिया को गड्ढे में दबा रही है, क्योंकि यहां पर माया-मोह है जब चंदा लोरिक को दबा रही है, तो वह ढीले-ढीले से मिट्टी दाब रही है, दांवना ने बिरबठिया को ठूंस-ठूंस कर दबा डाला, अब आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई। |
|
|
|
|
गीत |
तबला और निसान बज रहे हैं, तबला और निसान बज रहे हैं, समय के साथ अमर राजा भरथरी, सुरहीन गईया का गोबर मंगाके, घर आंगन लिपाकर कर गज मोती का चौंक पूरवाया, और जिसमें रखा है साने का कलश, राजा भरथरी जी तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, और कैसे लोरिक ने मारी छलांग, और बिरबठिया बैठा ही है |
|
|
|
|
कथाकार |
क्यों चंदैनी ने लोरिक को ढीला-ढाला धंसाया था, ताकि लोरिक उसमे से आसानी से बाहर निकल सके, और इधर बिरबठिया जमकर दबा हुआ है, और लोरिक उछलकर गड्ढे से बाहर आ गया, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
मन ही मन गुन रही है दिल में विचार रही है, लोरिक ने जब मार दी छलांग, और बिरबठिया गड्ढे में दबा ही रह गया, |
|
|
|
|
कथाकार |
लोरिक उछलकर पांच हाथ दूर आगे निकल गया, क्योंकि उस इस बारे में पहले से पता था, और हार जीत की बाजी लगी हुई है, और बिरबठिया जो है वो अब तक दबा हुआ है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
गउरा और गउरी भाई रे, यहीं पर निकलने लगे, आसा खेला चौपड़ खेल डाला डंडा, आसा खेला चौपड़ खेल डाला डंडा, इतनी सुन्दर भोजली को कैसे विसर्जित कर दूं, इतनी सुन्दर भोजली को कैसे विसर्जित कर दूं, या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा, गाय के रास्ते में एक पलाश का पेड़, गाय के रास्ते में एक पलाश का पेड़, हमारी भोजली माई के सोने का कलश है, हमारी भोजली माई के सोने का कलश है, या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा, देवी गंगा देवी बहती जाए धारा प्रवाह, हमारी भोजली माई के सोने का कलश है, या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा, इतनी सुन्दर भोजली को कैसे विसर्जित कर दूं, या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा, तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, इस समय चंदा को लग रहा है कि, लोरिक से कहां पर भेंट हो |
|
|
|
|
कथाकार |
अब आगे क्या हो रहा ही जी? |
|
|
|
|
रागी |
क्या हो रहा है जी? |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदैनी मन ही मन ये सोच रही है कि लोरिक कितना वीर है। |
|
|
|
|
रागी |
हां जी। |
|
|
|
|
कथाकार |
इस प्रकार से चंदैनी ने उसे नजर में बसाया हुआ है, और प्रण करके बैठी हुई है, लोरिक को पाने के लिए, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, मोर तरी हरी ना हमउम्र तरी हरी नाना ए ना, टूरी जो चंदैनी रे भाई रे मोर जउन भला लागे रे, आधी रात के समय चंदैनी बाड़ी में कूदने लगी, लोरिक के घर जा रही है |
|
|
|
|
कथाकार |
एक समय की बात है चंदैनी जो है वह लोरिक के घर में पहुंच गई। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
और लोरिक की बाड़ी में कूदकर सेम के मंडप में जाकर घुस गई है, अब आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई। |
|
|
|
|
गीत |
लाली तो बिखर रही है, लाली तो बिखर रही है, और नगर खेत पहाडि़यों में फैल बिखर रही है, लाली ऐसे फैली है जैसे पहाडि़यों की करधन हो, और बज रही है घर, बाड़ी के पार |
|
|
|
|
कथाकार |
सुबह की लालिमा के पहले गाय की घंटी-घूमर लेके घर की आड़ में सेम के मंडप में वह ऐसे घंटी बजा रही है, जैसे कोई गाय चारा चरती है, घंटी की ठन-ठन, टेपरा की खड़-खड़ से मानो किसी की गाय बाड़ी में घुस गई हो, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
सुन लो सुन जो तुम बोली और वचन को, तीन भाई है और उनके भी रास्ते हैं, और कौन से रास्ते मैं जाऊं तुम मुझे बता दो, और चंदैनी नाराज होकर बैठ गई है और, और राजा महर कहने लगा, |
|
|
|
|
कथाकार |
ऐसे में नहीं बनेगा भगवान। |
|
|
|
|
रागी |
हां। |
|
|
|
|
कथाकार |
किसी चने की खेत में घुस गई। |
|
|
|
|
रागी |
घुस गई। |
|
|
|
|
कथाकार |
अब क्या उपाय किया जाए? |
|
|
|
|
रागी |
किया जाए। |
|
|
|
|
कथाकार |
जाति का घसिया, बावन बांस पर कहने वाला बिरबठिया मेरा पीछा करता हुआ मेरे घर तक पहुंच गया, आधे रास्ते में मुझे रोक लेता तो मेरी लाज लुट जाती, ऐसा चंदा अपने मन ही मन सोच रही है, अब क्या उपाय करूं, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
बिना बताए चंदा कहां चली गई है, और उसके पिता जी उसे ढूंढने लगे, टूटी खाट और फूटी गोरसी लेकर चंदा, घोड़े के घूड़साल में चंदा रूठकर बैठी है, |
|
|
|
|
कथाकार |
बिना बताए टूटी खाट और फूटी गोरसी (मिट्टी का बना पात्र जिसमें आग सेंकते हैं) लेकर चंदा घोड़े के घुड़साल में रूठकर बैठी हुई है, इधर राजा महर चंदा को ढूंढ रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
आगे क्या हो रहा है भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
मन ही मन गुन रही है और दिल ही दिल विचार रही है, चंदा घोड़े के घुड़साल में यहां पर, रूठकर बैठी है |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदा टूटी खाट और फूटी गोरसी लेकर घुड़साल में रूठकर बैठी है, और राजा महर अपने नौकर को बुलाकार कहता है, घोड़े को दाना-भूसा दे दो, मुझे जरूरी काम से रायपुर जाना है, ऐसा अपने नौकर से कह रहा है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
नौकर को राजा ने बुलवाया और कहा, सुनो नौकर मैं तुमसे जो कह रहा हूं, जाओ घोड़े को दाना-भूसा दे दो, |
|
|
|
|
कथाकार |
राजा नौकर से कह रहा है तू जाकर घोड़े को दाना-भूसा दे दे, मुझे बाहर जाना है, तुने दाना–भूसा दिया या नहीं, नौकर ने कहा नहीं दिया हूं, राजा ने उसे फटकारते हुए कहा पागल मेरा बाहर जाना जरूरी है, तू जाकर घोड़े को दाना-भूसा दे आ, इतने में नौकर दाना-भूसा लेकर जाता है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
|
गीत |
लंबे बाल हैं जिसे बाल हैं बाल जो फैली हुई है, घुंघराले बाल है घुंघराले बाल है चंदैनी के, घुंघराले बाल है घुंघराले बाल है चंदैनी के, भैया लगा दिए मुक्के चार, |
|
|
|
|
कथाकार |
काली अंधेरी रात में नौकर हाथ में दाना-भूसा लिए घोड़े को देने जा रहा है, और जैसे ही उसने दाना देने के लिए घोड़े की तरफ हाथ बढ़ाया चंदा ने उसके बाल पकड़कर लात और घूसे से पीट दिया। |
|
|
|
|
रागी |
और आगे क्या हो रहा भाई? |
|
|
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो भाई मेरी बोली और वचन को, राजा महर ने नौकर से कहा था, नौकर जा रहा है भाई घोड़े के घुड़साल में, दाना और भूसा देने लगता है |
|
|
|
|
कथाकार |
जैसे ही नौकर ने दाना देने के लिए हाथ बढ़ाया, चंदा झट से उठकर उसके बाल से पकड़कर तीन चार मुक्के जड़ देती है, नौकर रोता घबराता राजा के पास जाता है, और कहता है कि घोड़े ने मुझे लात और मुक्के मारे, राजा कहता है, अरे पागल घोड़ा भले ही लात मार सकता है, परन्तु मुक्का नहीं मार सकता, पर मालिक ऐसा हुआ है नौकर ने कहा, आगे क्या हो रहा है बता रहा है। |
|
|
|
|
रागी |
बता भाई बांसगाथा गायक। |
|
|
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो भाई मेरी बोली और वचन को, चंदाने उसके बाल पकड़ लिए हैं, धम-धम मुक्के से मार रही है, |
|
|
|
|
कथाकार |
नौकर कहता है राजा महर से कि घोड़े ने मुझे लात औरे घूसे मारे हैं, औरे राजा उसे फटकारता हुआ दुबारा जाने कहता है, क्योंकि घोड़ा सिर्फ लात मारात है, मुक्का नहीं लेकिन नौकर जाने से इंकार कर देता है, आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो भाई मेरी बोली और वचन को, राजा महर की बेटी और घोड़े की घुड़साल में, ऐसे रूठकर बैठी है अब उसे कैसे मनाए, मालिन बुढ़िया को बुला लाओ, सुन लो सुन लो बुढ़िया मेरी बोली और वचन को, बुढ़िया मेरी बेटी रूठकर बैठ गयी है, |
|
|
कथाकार |
सही बात है बांस पर कहने वाला चंदैनी राजा महर की बेटी घुड़साल में क्यों रूठकर बैठी है, तालाब के किनारे झूला लगाने के लिए के मालिन बुढ़िया को बता रही है, भैया बांसगाथा गायक। |
|
|
गीत |
मालिन बुढ़िया जब पूछने लगी, सुन लो बेटी सुन लो मेरी बोली और वचन को, क्या बात है बेटी तुम मुझे बता दो, सुन लो भई सुन लो दाई मेरी बोली और वचन को, मेरे पिताजी को जाकर तुम बता दो न, चनहा के किनारे दाई मेरे लिए झूला गड़वा दें |
|
|
कथाकार |
चंदा मालिन बुढ़िया से कह रही, कि जाकर मेरे पिता जी से कह दो, मालिन दाई कि चनहा तालाब के किनारे झूले गड़वा दे, और यदि नहीं गड़वाएंगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगी, ऐसा चंदा मालिन दादी से कह रही है। |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो राजा मेरी बोली और वचन को, राजा तुम्हारी बेटी ने मुझे बोला है, कि वह झूले की खातिर रूठी हुई है, |
|
|
कथाकार |
मालिन बुढ़िया राजा महर को जाकर बता रही है, कि तुम्हारी बेटी झूले की खातिर रूठकर बैठी है, राजा और यदि आपने झूला नहीं गड़वाया तो वह आत्महत्या कर लूंगी, ऐसा कह रही है, तो राजा कहता है तुम ऐसा कह रही हो बुढ़िया लकड़ी के झूले को कौन पूछता है, मैं सोने का झूला गड़वा दूंगा, जाओ जाकर कह दो चंदा से सात दासियां आगे और सात दासियां पीछे अपनी सखी सहेलियों संग वह जा रही चनहा तालाब के किनारे और अपने चमकते हुए सोने के झूले आनंद लेने। |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
अउ तरी हरी नाना मोर नाना ए मोर जहुंरिया मोर तरी हरी नाना ए ना सात दासियां आगे और सात दासियां पीछे लेकर चनहा के पार में झूला झूलने जा रही है |
|
|
कथाकार |
सही बात है साथी सात दासियां आगे और सात दासियां पीछे लेकर चनहा तालाब के किनारे चंदा अपने झूले का आनंद लेने जा रही है, आगे बांसगाथा गायक बता रहें हैं। |
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो भाई मेरी बोली और वचन को, चंदा लोरिक को बुला रही है, राउत होगे तो मुझे झूला, झुला दोगे, लोरिक को वह बोल रही है, राउत होगे तो मुझे झूला, झुला दोगे, नहीं होगे तो मेरी चूड़ी पहन लो, नहीं होगे तो मेरी साड़ी पहन लो, |
|
|
कथाकार |
चंदा लोरिक से कह रही अगर तुम सच्चे राउत हो तो मुझे झूला, झुला दो। |
|
|
रागी |
झूला झुलादो। |
|
|
कथाकार |
नहीं होगे तो चूडि़यां पहन लो। |
|
|
रागी |
चूड़ी पहन लो। |
|
|
कथाकार |
और ऐसा चंदा कह रही है और आगे क्या हो रहा है, बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो राजा मेरी बोली और वचन को, इतना सुनते ही लोरिक कहने लगा, भात खाया हूं चंदा मैंने भथवा का, और पेज पिया है भाई दुकलहा का, |
|
|
कथाकार |
चंदा लोरिक को चुनौती दे रही है, कि अगर तुम सच्चे राउत हो तो मुझे झूला झुलादो, नहीं तो मेरी चुडि़यां और साड़ी पहनकर पूरी बस्ती में घूमो, इतना सुन लोरिक भड़क जाता है, और कहता है कि तुम मुझे जानती नहीं हो, मर्द को चुनौती देती हो मेरी एक-एक भुजा में बारह बारह हाथियों की ताकत है, ऐसा वैसा मत समझ, ऐसा झुलाउंगा कि दूर देश तक चली जाएगी। |
|
|
रागी |
आगे क्या बोले बांसगाथा गायक? |
|
|
गीत |
लोरिक झूला, झुला रहा है, सात दासियां आगे और सात दासियां पीछे हैं, और उनके बीच में बैठी है चंदा, |
|
|
कथाकार |
लोरिक चंदा से कह रहा है, कि आज तेरी चुनौती तेरे ही सिर पर गाज बनकर गिरेगी, मुझे तुम्हारी लग गई है, आज मैं तुम्हे मजा चखाता हूं, ऐसा कहकर लोरिक झूले को ऊपर उछाल देता है। |
|
|
गीत |
जब लोरिक झुला, झुलाने लगा भाई, चंदा राने लगी और अर्जी विनती करने लगी, मुझे संभाल लो राउत मैं तुम्हारे पैर पड़ रही हूं, |
|
|
कथाकार |
लोरिक ने चंदा के झूले को एकदम ऊपर उछाल दिया, जिससे वह बहुत ऊपर उछल गई और घबराकर रोने लगी, और लोरिक के हाथ पांव जोड़कर विनती करने लगी, कि मुझे अपने हाथों में थाम लो, और मुझे बचा लो, इतने में लोरिक कहता है, तुम्हे मैं बचा तो लूंगा पर मेरी एक शर्त है तुम्हे ये कहना होगा ’बारापाली के गउरा सोला जन के खोर अनपित भईया खूलन के लोर अउ झोक ले जोड़ी मोर’’(खूलन का बेटा लोरिक मेरे हमदम मुझे थाम लो)। |
|
|
गीत |
सुन लो भई सुन लो चंदा मेरी बोली और वचन को, लोरिक कह रहा है सुन लो |
|
|
कथाकार |
मैं ऐसे ही नहीं बचाउंगा तुमको, क्योंकि तुमने मुझे ललकारा है, तो जब तुम मुझे “बारापाली के गउरा सोला जन के खोर अनपित भईया खूलन के लोर अउ झोक ले जोड़ी मोर’’ (खूलन का बेटा लोरिक मेरे हमदम मुझे थाम लो) ये नहीं कहोगी तब तक मैं नहीं बचाउंगा, नहीं तो मर जाओ तुम मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है, ऐसा कहता है। |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
चंदा को उसने पकड़ लिया, सुन लो भई सुन लो चंदा मेरी बोली और वचन को, लोरिक चंदा से कहने लगा |
|
|
कथाकार |
लेकिन एक बात चंदा है थामने को तो मैंने थाम लिया, लेकिन “कच्चा सुपारी बर सरोता नईए अउ तोर बोली बचन के मोला कोई भरोसा नईए’’ (कच्ची सुपारी काटने लिए सरोता नहीं है, और तुम्हारी बातों पर मुझे कोई भरोसा नहीं है) अभी तक मुझे तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं है। |
|
|
कथाकार |
लोरिक ने चंदा को झूला रोककर थाम लिया, और उसके बाद फिर से अपनी गाय-भैंसो को चराने में लग गया, और चंदा अपने घर चली गई। |
|
|
गीत |
उसी समय की बात चंदा को लगी हुई है, कांसी तोड़कर राउत फंदा बनाया है, और उसको बटकर बनाना डोर |
|
|
कथाकार |
कुश के पौधे से बटकर बनाई गई मजबूत मोटी रस्सी लेकर चंदा ने लोरिक को अपने सात खंड के महल में आने का वादा लिया है, आगे बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
गीत |
वहीं पर लोरिक जब बोल रहा है, मैं वचन वाला राउत हूं मेरी वचन भी तू देख लेना |
|
|
कथाकार |
राउत अपने मजे के साथ गाय भैंस को चराने में लगा हुआ है, और चंदा की चुनौती को दिल से लगाकर रखा है, और इधर चंदा कह रही है, कोई बात नहीं राउत जो तुमने जुबान में हरा दिया, कुश की मोटी रस्सी लेकर रात के बारह बजे मंदिर के पीछे आओगे या नहीं मुझे बताओ। |
|
|
गीत |
मेरे बानी वाले राउत का वचन वहीं पर रहे, वहीं की बात वहीं रहे |
|
|
कथाकार |
चंदा बोल रही है अब इस बानी या वचन वाले राउत की बानी दिख जाएगी, और पूछ रही है रात बारह बजे मंदिर के पीछे आओगे या नहीं? और किस रास्ते से आओगे यह बता दो मुझे, अब आगे क्या हो रहा है। |
|
|
रागी |
क्या हो रहा है? |
|
|
गीत |
एक-एक बांस का किला है चंदा के महल में, अगल बगल में शेर बंधे हुए हैं, नाना प्रकार के बाघ और भालू है, |
|
|
कथाकार |
मेरे सात खंड के महल में किस दरवाजे से आओगे तुम, क्योंकि मेरे महल के किले बहुत ही ऊचें है, उसे तुम कभी पार नहीं कर सकोगे, और एक दरवाजे बाघ बंधा है, एक दरवाजे पर बड़ा सांप बंधा है, इस तरह से कई प्रकार के भूत प्रेत जहरीले कीड़े बिच्छू अनेक प्रकार के जानवर है, जो इन सबसे बच गए, तो फिर मेरे पिता जी तुमको मिल जायेंगे, अब आगे क्या हो रहा है। |
|
|
रागी |
अब क्या होगा बांसगाथा गायक? |
|
|
गीत |
इतनी बात चंदा जब देख रही है, सुन लो भई सुन लो राउत मेरी बोली और वचन को |
|
|
कथाकार |
चंदा के सब बताने पर लोरिक कहता है, मैं आउंगा चंदा और जरूर आउंगा ,मैं कैसे भी करके आउंगा, याद रखना हाथी का दांत और मर्द की बात। |
|
|
कथाकार |
लोरिक अपने गुरू से कहता है कि कुश की डोरी को बटकर मजबूत बना दीजिए गुरूजी मुझे इसे जरूरी काम से ले जाना है। |
|
|
गीत |
डोर लेकर लोरिक जब जा रहा है, सतखंडा में भाई जाने लगा |
|
|
कथाकार |
चंदा से वादा किया है आने का, यह सोचकर लोरिक सतखंडा महल की ओर जा रहा है, अगल बगल में ऊचें ऊचें किले हैं, जिसके हर दरवाजे में बाघ, सांप, बिच्छू और हर प्रकार जानवर बंधे है, और किस प्रकार से महल के कंगूरे पर डोर को फंसा रहा है, फिर आगे क्या होता है । |
|
|
रागी |
क्या होता है भैया? |
|
|
गीत |
मंदिर धंवराहट में डोर जब फेंका है, चंदा ने जब मोहनी छोड़ी है, बानी वाले राउत की बानी दिख जाएगी |
|
|
कथाकार |
लोरिक डोर फेंकते हुए चंदा सतखंडा महल से देख रही है, और कह रही है, राउत कितना जुबान का पक्का है मैंने दिख लिया। |
|
|
गीत |
दूसरी बार लोरिक ने डोर फेंका, क्या हुआ डोर फंस नहीं रही है, और जूकती मोहनी तब चंदा ने छोड़ा है |
|
|
कथाकार |
लोरिक गुरू को स्मरण करते हुए ताकत के साथ डोर को महल के ऊपर फंस जा कहकर डोर को फेंकता है। |
|
|
रागी |
फेंकता है फिर आगे क्या होता है? |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मेरी बोली और वचन को, वहीं पर लोरिक और चंदा की मुलाकात हो गई, |
|
|
कथाकार |
चंदा और लोरिक की वहीं मुलाकात हो गई, चंदा ने कहा देखा तुमने मेरे सतखंडा महल को, लोरिक कहता है नहीं देखा, तुमसे मिलने में मेरा जी नहीं भरा है तुमसे मिलने रात में अब नहीं आउंगा, दिन में जहां पर बुलाओगी आउंगा, आगे क्या हो रहा है। |
|
|
रागी |
क्या हो रहा उसे बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
गीत |
शुक्रवार शनिवार की रात जागता रहता हूं, गूग्गल धूप की मैं होम जलाए रहता हूं , गूग्गल धूप की मैं होम जलाए रहता हूं, इस बार मेरी कामना पूर्ण हो |
|
|
कथाकार |
शुक्रवार शनिवार का और मंगल का दिन मंगलवार को होता बावन बाजार तुम आआगे कि नहीं दस बजे मिलने, उसे बताओ ऐसा चंदा लोरिक से कह रहा है। |
|
|
गीत |
बावन बाजार में मिलने का वादा किया है, शुक्रवार, शनिवार और मंगलवार है, मंगल को होता है राउत बावन बाजार |
|
|
कथाकार |
चंदा कह रही है, लोरिक से कि तुम बाजार में किस जगह पर रहोगे यह मुझे बताओ? |
|
|
रागी |
क्या कह रही है? |
|
|
गीत |
इतनी बात जब लोरिक से पूछती है, कि किस जगह तुम रहोगे यह मुझे बता दो |
|
|
कथाकार |
लोरिक कहता है मैं दस बजे जरूर आउंगा बाजार, और वहां तम्बाकू की दुकान में रहूंगा, वहां नहीं मिला तो पटवा की दुकान रहूंगा, पटवा की दुकान में भी ना मिला, तो मैं पान की दुकान में मिलूंगा, यदि पान की दुकान में ना मिला तो लड़कियों के हाट में मिलूंगा। |
|
|
गीत |
बावन बाजार का वादा किया है, उस जगह का नक्शा बता दो ना, सात खंड की मेरी झांपी है जिसमें, बारह साल के लिए मैंने जोड़ा जोड़ रखा है |
|
|
कथाकार |
वहां पर लोरिक चंदा का मिलन हो गया, और उसके बाद बावन बाजार में मिलना तय किया, लोरिक अपनी पत्नी दौनामांझर से पूछता है, आज कौन सा दिन है, दौनामांझर कहती है, आज कोई सा दिन नहीं है, दिन तो है ना कोई ना कोई दिन तो होगा, लोरिक कहता है आज मैं बावन बाजार जाउंगा, यह सुनकर दौनामांझर कहती है, यह आपने अच्छा याद दिलाया मुझे भी जाना है मठा बेचने, लोरिक कहता है मेरा तम्बाकू खत्म हो गया मुझे लेने बावन बाजार जाना है, ऐसा लोरिक कहता है, और आगे क्या हो रहा है। |
|
|
रागी |
क्या हो रहा है। |
|
|
गीत |
बावन बाजार में जब पहुंचने लगे, लोरिक पान ठेला में पहुंचा, फिर पटवा दुकान मे पहुंचकर ताबीज बंधवाई, |
|
|
कथाकार |
लोरिक बावन बाजार पहुंच चुका है, और पटवा की दुकान पर ताबीज बंधवा रहा है, और पान खाने के लिए पान की दुकान पर गया और तम्बाकू लेने तम्बाकू की दुकान पर गया। |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
सात खंड की झांपी लिए, राजा महर की बेटी चंदा है ना, सात खंड के और बारह महीनों के, जोड़ा जोड़कर बावन बाजार की ओर जा रही है |
|
|
कथाकार |
चंदा ने राउत को वादा किया है, बावन बाजार में मिलने का तो वह सर पर सात खंड की झांपी लेकर बावन बाजार की ओर चल पड़ी है, फिर आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
कथाकार |
चंदा सात खंड की झांपी सिर पर लिए बावन बाजार में यहां वहां लोरिक को ढूंढ रही है, लोरिक उसे कहीं भी नहीं दिख रहा है, जब लोरिक उसे नहीं मिला तो वह मालिन बुढ़िया के घर की ओर जाने लगी। |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो दाई मेरी बोली और वचन को, मालिन तुम मेरी एक बात मान लो, मेरी आज्ञा को तुम पूरा कर दो |
|
|
कथाकार |
चंदा मालिन बुढ़िया से कह रही है, कि दोपहर में दो घंटो के लिए तुम अपना घर मुझे दोगी क्या, मालिन कहती है मेरे घर धनिया नहीं है, फिर चंदा कहती है, मैं धनिया मांगने नहीं आई हूं, मुझे केवल दो घंटे दोपहर बिताना है, इसलिए तुम्हारा घर मांग रही हूं, इसके बदले मैं तुम्हे सात थाली मोहरें दूंगी, और तुम मेरा एक काम कर दो बाजार जाकर गाय दुहने के बहाने राउत को बुला लाओ, बुढ़िया कहती है मेरे घर गाय नहीं है, चंदा उससे कहती है, बस तुम उसे बुला दो, आगे की बात मैं संभाल लूंगी, और आगे क्या हो रहा है भाई। |
|
|
कथाकार |
इतनी बात सुनकर मालिन दाई बावन बाजार पहुंच जाती है, और बावन बाजार में जाकर देख रही है, कोई दिख नहीं रहा है, एक आदमी से पूछती है कि बेटा तुमने लोरिक को देखा है क्या, वह कहता है मैंने तो नहीं देखा है, बुढ़िया कहती है अब वह कहां मिलेगा, जितने उसके जानने वाले थे उनसे पूछ रही है, लोगों ने कहा बावन बाजार आने जाने का एक ही रास्ता है, तुम्हे रोना आता है तो रोओ, गाना आता है तो गाओ, आएगा तो यहीं से, तुम यहीं पर बैठी रहो। |
|
|
गीत |
तुम्हारे दादा और मेरे पति ने, एक गईया बाजार से लाई है, तुम्हारे दादा और मेरे पति ने, एक गईया बाजार से लाई है, मालिन बुढ़िया जब चिल्लाने लगी, तब उसकी आवाज लोरिक ने सुन डाली, मेरी बूढ़ी दाई की आवाज आ रही है |
|
|
कथाकार |
लोरिक कह रहा है, इतने बड़े बाजार में यह कौन है जो इतनी जोर से रो रहा है? |
|
|
रागी |
कौन रो रहा है? |
|
|
कथाकार |
लोरिक कहता है, जा रो रही है वह तो मालिन दादी जैसी लग रही है, पता नहीं मालिन दादी को सी विपत्ति आन पड़ी जो बावन बाजार में आकर रो रही है, लोरिक उसके पास आ रहा है। |
|
|
रागी |
आ रहा है जी आगे क्या हो रहा भैया? |
|
|
गीत |
क्यो रो रही हो दादी मुझे बता दो, कौन सा दुख तुम्हे आन पड़ा है |
|
|
कथाकार |
लोरिक मालिन दादी से पूछ रहा है, कि दादी तुम्हे ऐसा कौन सा दुख पड़ गया है जिसमें ऐसे तुम रो रही हो, क्या तुम्हे दादा जी ने मारा है, या किसने मारा है, मुझे बताओ मैं उसके हाथ-पैर तोड़ दूंगा, मालिन लोरिक से कहती है, नहीं बेटा मुझे दादा जी ने ना ही किसी और ने मारा है, तुम सुन रहो हो मैं तुम्हे गाय दूहने के लिए बुलाने आई हूं, ऐसा बुढ़िया उससे झूठ कह रही है। |
|
|
रागी |
फिर आगे क्या हो रहा है? |
|
|
गीत |
मालिन बुढ़िया तो लोरिक को लिए जा रही है, बेटा उस कोने में गाय बंधी है बेटा, और उस कोने में बंधा है बछड़ा |
|
|
कथाकार |
मालिन लोरिक से कह रही है, बेटा इस कोने में गाय बंधी है, और उस कोने में बछड़ा बंधा है, लेकिन बेटा गाय बहुत ही चालाक है, आदमी पहचानती है, किसी को भी दूहने नहीं देती है, लोरिक मालिन से कह रहा है दूध रखने का बर्तन दे दो दादी मैं जा रहा हूं गाय दुहने। |
|
|
रागी |
जा रहा है भैया फिर आगे क्या होता है? |
|
|
गीत |
लोरिक जैसे ही गइया दुहने जाता है, और बीच रास्ते में चंदा बैठी है, लोरिक को गइया नहीं दिख रही है
|
|
|
कथाकार |
लोरिक पूछ रहा है, मालिन बुढ़िया से कहां है दादी गाय, मुझे नहीं दिख रही है, वहां पर तो गाय है ही नहीं, क्योंकि चंदा सारा प्रपंच करके वहां पर छुपी है, जैसी ही लोरिक गाय को दूहने के लिए हाथ बढ़ाता है, वैसी ही चंदा झट से लोरिक का हाथ कसकर पकड़ लेती है। |
|
|
रागी |
आगे क्या हो रहा है बता रहा है बांसगाथा गायक। |
|
|
गीत |
वहीँ पर भाई मुझे यह बताते हुए अच्छा लग रहा है,वही पर भाई लोरिक और चंदा का मिलन होता है। |
|
|
कथाकार |
लोरिक और चंदा की मुलाकात होती है, लोरिक चंदा से कह रहा है कि यह मुलाकात भी अधूरी लग रही है, चंदा कहती है बावन बाजार भी मैंने नहीं देखा, उधर से तुम कहते हो इधर से मैं कहती हूं, मिलने पर बात कुछ बनती नहीं है, अब कहां जाएं, और इधर मठा बेचने दौनामांझर बावन बाजार में आती है और वह गली में घूम रही है, किसी ने कहा जाओ मालिन बुढ़िया के घर वह मठा ढूंढ रही थी, वही लेगी मठा, दौनामांझर बुढ़िया के घर की ओर जाती है, वहां तो लोरिक और चंदा पासा खेल रहें हैं, क्यांकि बुढ़िया ने तो सात थाली मोहरें चंदा से ले रखी है, उसी वक्त दौनामांझर बुढ़िया के घर पहुंच जाती है। |
|
|
रागी |
उसी घर में पहुंच गई। |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मोर बोली और वचन को, मांझर दउना मालिन से पूछ रही है, ये लोग कौन है दादी तुम मुझे बता दो, मालिन दाई कहती है ये मेरे बेटा और बहू हैं। |
|
|
कथाकार |
दौनामांझर दोनों को पासा खेलते देखकर बुढ़िया से पूछ रही है कि ये दोनों कौन है, बुढ़िया झूठ कहती है कि ये तो मेरे बेटा और बहू है, दौना कहती है कहां से तुम्हारे बेटा और बहू है। |
|
|
रागी |
मांझर कहती है कहां से तुम्हारे बेटा और बहू है। |
|
|
कथाकार |
ये वेश्या तो राजा महर की बेटी है, मेरे पति को बहलाकर यहां पासा खिलवाने लाई है, और मालिन दादी तुम झूठ कह रही हो कि यह तुम्हारे बेटा और बहू है, ऐसा कहकर दौनामांझर मालिन दादी को पीटती है। |
|
|
रागी |
आगे क्या हो रहा है? |
|
|
गीत |
लंबे है बाल, लंबे है बाल झूठी के, चुन चुनकर गुथाएं है, घुंघराले बाल चंदैनी के, और भैया मुक्के लगा दिए चार, वहीं पर मालिन से दादी से पूछने लगी |
|
|
कथाकार |
ये मालिन दादी कह रही है कि ये मेरे बेटा बहू है, ऐसा कहकर झूठ बोल रही है, बताओ तुम कितनों को बिगाड़ोगी, दौनामांझर मालिन दादी से पूछ रही है, तुम लोगों से पैसे ले लेकर दूसरों के बेटा बहू को बिागाड़ती हो, ऐसा कहते हुए दौनामांझर चंदा की चोटी खीचती हुई बाहर निकालती है, और लोरिक की खबर लेती है, तुम कहां आए हो, वह कहता है बाजार आया हूं, वह पूछती है, क्या लेने आए हो, वह कहता है तम्बाकू लेने आया हूं, यही है तुम्हारा तम्बाकू। |
|
|
|
|
कथाकार |
और बावन बाजार में लोरिक और चंदा की मुलाकात अधूरी रह गई, अब वे दोनों सोच रहें है, अब कहां मुलाकात होगी, वहीं पर चंदा दावा चुनौती देती है। |
|
|
रागी |
क्या चुनौती देती है? |
|
|
कथाकार |
क्या चुनौती, कि यदि मैं बारह साल के लिए तुम्हारे पति को अपने साथ ना ले गई तो मैं भी राजा महर की बेटी राजकुमारी चंदा नहीं, बावन बाजार तो अधूरा रह गया और फिर भेष बदलकर चंदा लोरिक के पास पहुंचती है। |
|
|
गीत |
किसके लिए तुमने कंघी की है, किसके लिए भरी है मांग, किसे देखकर तुम मुस्कुरा रही हो, किसे देखकर तुम मुस्कुरा रही हो, और कन्हैया को खिलाए बीड़ापान
|
|
|
कथाकार |
किसे देखकर तुम मुस्कुरा रही हो, और किसे खिलाया बीड़ा पान, किसके लिए तुमने बाल संवारे और किसके लिए भरी है मांग। |
|
|
रागी |
मांग कह रहा है भैया आगे क्या हो रहा है भैया? |
|
|
गीत |
ठूंठे पीपल पर मिलना करार किया है, यहां की बात राउत यहीं पर रहने देना, ठूंठे पीपल में तुम आआगे या नहीं, |
|
|
कथाकार |
चंदा लोरिक से कह रही है कि सावन भादो के महीने में, घनघोर अंधेरी रात में, रिमझिम बरसते पानी में, गरजते बादल में, और चमकती हुई बिजली, ऐसे में तुम ठूठे पीपल के पास मुझसे मिलने आओगे या नहीं मुझे बताओ। |
|
|
गीत |
सावन भादो का महीना है, रिमझिम पानी बरस रहा है, आधी रात का करार किया है, ठूंठे पीपल पर आ जाओ ना, बारह बजे के समय में, बारह बजे के समय में, सुन लो सुन लो मेरी बोली और बचन को, चंदा राउत से कह रही है, |
|
|
कथाकार |
चंदा बारह बजे के समय ठूठे पीपल के पास सावन भादो के महीने में घनघोर अंधेरी रात में, रिमझिम बरसते पानी, गरजते बादल और चमकती बिजली में सात खंड की झांपी सिर पर लिए मन सोच रही है, मैंने राउत से वादा किया है, ठूठे पीपल के पास मिलने को नहीं जाउंगी तो कहेगा राजा महर की बेटी ने धोखा दिया, ऐसा कहकर चंदा ठूठे पीपल की ओर जा रही है। |
|
|
रागी |
फिर आगे क्या हो रहा बांसगाथा गायक? |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो मेरी बोली और बचन को, इधर की बात मैं तुमको बता रही हूं |
|
|
कथाकार |
बारह बजे के समय ठूठे पीपल के पास पहुंच गई, और राउत समझकर पीपल की ठूठी टहनी से लिपट गई, और जैसे ही बिजली चमकती है, उसके उजाले में उसने देखा कि उसने राउत समझकर ठूंठ को पकड़ रखा है, बहुत ढूंढने पर राउत के नहीं मिलने से वह कहती है, कि राउत तुमने मुझे धोखा दे दिया अब मैं कहां जांऊ किससे पूछूं। |
|
|
रागी |
लिपटी है भैया फिर आगे क्या होता है? |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो मेरी बोली और बचन को, चंदा ढूंढने लगी, चमकती बिजली के उजाले में, देखा राउत समझकर वह ठूंठ से लिपटी हुई है, |
|
|
कथाकार |
घनघोर अंधेरी रात में राउत समझकर चंदा ठूठे पीपल से लिपटी हुई है, बिजली के उजाले में देखा कि वह राउत नहीं, वह तो ठूठे पीपल की टहनी है, और वह कह रही है कि तुमने मुझे धोखा दिया है, राउत तुम नहीं आए। |
|
|
रागी |
फिर आगे क्या हो रहा है? |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मेरे बोली और बचन को, मन ही मन चंदा गुन रही है, और दिल ही दिल में विचार कर रही है, |
|
|
कथाकार |
चंदा मन ही मन गुन रही है, दिल दिल में सोच रही है, अब होगा-तब होगा, ये सोचकर एक उपाय करती है, क्या उपाय करती है? |
|
|
रागी |
क्या उपाय करती है जी? |
|
|
कथाकार |
चंदा कहती है अब बात नहीं बनेगी मैं यहां तुमको ढूंढ रही हूं, और तुम घर में चैन से सोए हुए हो, और गाय की घंटी घूमर लेकर लोरिक की बाड़ी में कूद जाती है। |
|
|
रागी |
कूद जाती है फिर आगे क्या होगा बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
गीत |
सेम के मंडप में भाई घनर घनर, टेपरा वह बजा रही है, और मालिन दादी यह कहने लगी |
|
|
कथाकार |
इतने में घंटी की आवाज सुनकर लोरिक की मां खूलन लोरिक को आवाज देती है, बेटा लोरिक किसकी गाय सेम का मंडप उजाड़ रही है, दौनामांझर आकर देखती है, उसे गाय नहीं मिलती और कहती है, कोई गाय नहीं है फिर खूलन कह रही है, तुम नींद के मारे कह रही हो, लेकिन चंदा उनकी बाड़ी में घंटी घूमर लेकर कूद चुकी है, फिर क्या हो रहा है। |
|
|
रागी |
आगे बता रहा है बांसगाथा गायक। |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मेरे बोली और बचन को, खूलन दाई जब दउना को उठाने लगी, |
|
|
कथाकार |
खूलन अपनी बहू दौनामांझर से कह रही है, कि बहू तेरे कान फूट गए है, क्या किसकी गाय बाड़ी में घुसकर सेमियां खा रही है, घंटी घूमर बज रही है और इधर चंदा दौनामांझर की आवाज सुनकर चुप होकर सिमट जाती थी, कोई गाय नहीं है, भाग गई है कहकर दौनामांझर घर के अंदर चली गई उसके अंदर जाते ही चंदा फिर घंटियां बजाना शुरू कर देती है। |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मेरे बोली और बचन को, मालिन दादी बोलने लगी, सुन लो सुन लो बहू गइया की आवाज को |
|
|
कथाकार |
घंटियों की आवाज सुनकर दौनामांझर कहती है, किसकी गाय है, सारी सेमियां उजाड़ रही है, और लाठी लेकर भगाने जाती है, दौना को आते देखकर चंदा घंटियां बंद करके चुप हो जाती थी, एक बार दो बार ऐसा हुआ इतने में दौना की आंख लग जाती है, जब तीसरी बार जब चंदा घंटिया बजाती है तब लारिक लाठी लेकर बाड़ी में जाता है। |
|
|
रागी |
फिर आगे क्या हो रहा है बांसगाथा गायक बता रहा है। |
|
|
गीत |
सुन लो सुन लो भाई मेरे बोली और बचन को, गाय भगाने जब लोरिक जाने लगा, वहीं पर चंदा ने लोरिक को पकड़ लिया, |
|
|
कथाकार |
चंदा लोरिक से कह रही है, आज तुम रात भर चैन से सो रहे हो, और मैं सावन भादो के महीने में घनघोर अंधेरी रात में, चमकती बिजली, गरजते बादल और रिमझिम बरसते पानी में तुमसे वादा किया है, ऐसा कहकर ठूठे पीपल की टहनी तुम्हे समझकर उससे लिपट गई थी, और तुम हो कि यहां घर में चैन से सो रहे हो, अगर आज मैं तुम्हारे सेम के मंडप को नहीं उजाड़ती और तुम गाय भगाने नहीं आते तो मैं तुम्हे कैसे पाती। |
|
|
रागी |
पाती नहीं। |
|
|
कथाकार |
अब तुम्हे नहीं छोड़ूँगी। |
This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.
बांस गीत - लोरिक चंदा -छत्तीसगढ़ी प्रस्तुति
गीत |
अरे भरका के भरेतिन सुमिरव, |
|
डूमर के परेतिन ए न ए दे ठाकुर दिया ल सूमिरव, |
|
मोर बोईर के चुरेलिन ए न |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
देवरी के निवासी अन मोर गूल्लू पोस्ट ऑफिस ए न |
|
तहसील मोर बने हे भाई रे मोर आरंग कइथंव न |
|
जिला मोर रईपुर के अउ छत्तीसगढ़ के हो..... |
|
|
|
|
कथाकार |
हमन देवनगरी देवरी के निवासी हरन जेकर पोस्ट ऑफिस गूल्लू हरे तसील आरंग, जिला रायपुर छत्तीसगढ़ हरे, आगे का होवत हे तेला बतात हे बांसकी। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
बांसे म सुर देवत हे मोर गेंद राम यादव ह न |
|
अउ जेकर सहयोगी हे भाई मोर रामकुमार यादव ह न |
|
गाथा बखानत हे मोहन यादव ह न अउ जेकरो सहयोगी |
|
मोर टीकू लाल यादव ह न, |
|
एकर संचालक दयालु राम यादव ह हो.... |
|
|
कथाकार |
बांसे म सुर देवत हे मोर गेंद राम यादव ह अउ जेकर सहयोगी हे रामकुमार यादव ह, गाथा बखानत हवं मय मोहन यादव ह न अउ मोर सहयोगी हे मोर टीकू लाल यादव ह, अउ जेकर संचालक दयालु राम यादव हे। |
|
अउ ये बांस ह का ये? बांस ह पूरा खुल्ला हे जेमा एक रूपया आठ आना के तार नई लगे हे सीधा बांस कटिंग होके आय हे अउ एमा यहां से वहां मात्र चार छेदा हे एमा एक तांबा नई लगे हे ए प्रकार से बांस के स्वर हे। |
|
|
|
|
गीत |
बंजारी ओ माता निकले तय धरती के फोर, |
|
बंजारी ओ माता निकले तय धरती के छोर, |
|
जब निकले तय तोर रांवा भांठा |
|
रहीस जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी जेकरे सेती नाम धराए |
|
जय मइया बंजारी जेकरे सेती नाम धराए जय मइया बंजारी |
|
माता बंजारी ओ माता निकले तय धरती के छोर |
|
(बांस धुन के बाद) |
|
मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
कथा बखानथव मोर लोरिक अउ चंदा के न |
|
अउ काहे मय कइसे बखानथव हो..... |
|
कथाकार |
|
कथा ल बतावत हन रे भई, का के राजा महर के बेटी चंदा अउ लोरिक के दावना के माता खूलन के अउ का आगू का कथा तेला बतात हे |
|
|
गीत |
या हो यहू जनम कर वहू जनम कर वहू जनम कर कहिथंव |
|
तीनो जनम अहीर हो लाठी लोटे मोर चीक्खल कईथंव |
|
भाई रे गोरस भीजे हे शरीर हो |
|
अउ मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
राजा महर के टूरी ओ चंदैनी हे न |
|
मांझर दौना ए मोर लोरिक के पत्नी ए न |
|
कइसे ये जो भाई रे जो कथा ह निकले हे न |
|
मोर तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
अउ माता जा खूलन हे जेकर वो बेटा लोरिक हे |
|
अउ दौना मांझर जो लोरिक के पत्नी ए न |
|
|
कथाकार |
का होवत हे माता खूलन के ओकर बेटा लोरिक हरे जेकर रानी कोन हरे, चंदैनी यानि चंदा तो भला राजा महर के बेटी ए, हां ए चंदैनी ह लोरिक के बाई ए फेर एक दिन का होवत हे। आगे का होवत हे भाई बतावत हे बंसकहार। |
|
|
रागी |
का होवत हे भाई बतावत हे बंसकहार? |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
माझर दवना लोरिक कर पत्नी हे न |
|
अउ कइसे मजा कर राजा घर महल घर न |
|
कइसे महल म चरवाहा लगे हे न |
|
|
कथाकार |
लोरिक राहय तेहा गाय चराय बर उहीं राजा महर घर लगे हे अउ राहय सुन्दर वो चरावय राजा महर राहय जेकर एक सुन्दर बेटी हरे चंदा वो। दवना जेन हे वो लोरिक के बाई ए लोरिक महल के हरेक प्रकार गाय भईंस ल चरावत फेर एक दिन गाय चराय ल गे राहय फेर एक दिन का होवत हे आगे बंसकहार बतात हे। |
|
|
रागी |
का होवत हे ग ? |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोन नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
कहां के रहवईया ग भाई ग तय मोला बतई देबे न |
|
ककरा बेटा ए तेला मोला समझई देबे न हो |
|
|
कथाकार |
कहां के रहवईया ए लोरिक, लोरिक माता खुलन के बेटा ए, गढ़ रीवना के रहईया ए राजा महर ह अउ हमर दिन के कथन तो आंरग ल सोचथन राजा महर के राज अउ उही करा रीवना हे, लोरिक के गढ़ रीवना ए हमर छत्तीसगढ़ के आरंग ब्लाक म हे हमन उही कथा ल बतावन हन। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर नाना जंवरिहा मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
लोरिक जब बड़े होगे न भाई ग कइसे चरावे राजा महर के गइया हे न |
|
कइसे चरावे मोर गइया मोला भला लागे हो |
|
|
कथाकार |
काबर उहां के गाय भईंस ल चरावत हे लोरिक ह उसी समय में गरवा ल गरवा मन ल ढिलत हे राजा महर के अउ चराय बर जंगल डाहर लेगत हे अउ कहां ले जा के खड़ा करत हे तेला आगे बंसकहार बतात हे। |
|
|
रागी |
ढिलत हे। |
|
|
गीत |
अरे जेमा चराये मैं तो कहिथंव जनम सुरिया रे कहिथंव |
|
जनम सुरिया रे कहिथंव ओ माता के लाल हो |
|
बारापाली ल करे उजार हो बारापाली ल करे उजार हो |
|
भाई रे महानदी में दईहान हो.... |
|
|
कथाकार |
वही करा के बात हे भईया जब ढील के लेगथे अउ कती मेर के डारा पाना चारा ल चरावत हे काकरो खेत खार ल चरावत हे, अउ आंरग मेर महानदी हे न उहां दईहान लगे हे फेर का होवत हे तेला बतावत हे बंसकहार। |
|
|
रागी |
बता भई बंसकहार |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना ए न वही समय जब टूरी जावय चंदा हे हो |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना ए न |
|
|
कथाकार |
वहां गोबर बिने ल जात हे ग चंदा राहय तेहा लोरिक ल ऐसा पसंद कर डारीस फेर का मगन के अब का करत हे फेर ओकर गोहरी में गोबर छीचे बर एती तेती निकलत हे राजा महर के लड़की ए, फेर आगे का होवत हे बंसकहार बतावत हे। |
|
|
रागी |
बता भई बंसकहार |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना ए न अउ वही समय में ना |
|
बिरबठिया राहय हो... |
|
|
कथाकार |
बिरबठिया राहय तेहा ओहा रखवारी करय वहां खेत खार ल राखे बर राहय काबर बईठे कहिस काबर बईठे कहिस काए ओहा |
|
|
रागी |
काए ? |
|
|
कथाकार |
ते आगे बंसकहार बतात हे ग । |
|
|
रागी |
बता भई बंसकहार बता। |
|
|
कथाकार |
बांस गीत ... मन मतंग माने नहीं जब ना धक्का खाय हो अइसन नारी जाकर करे बिधवन जाए पछताय |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना ए न अउ वही समय में |
|
जब कइसे मजा करे हो.... |
|
|
रागी |
हरे हरे हरे..... सच काहत बंसकहार |
|
|
कथाकार |
कइसे मजा के बितावत हे अउ एक दिन का होईस सोचत हे चंदा हे तेहा |
|
|
रागी |
का सोचत हे ? |
|
|
कथाकार |
भाजी टोरे ल धनहा खेत म चल देहे। |
|
|
रागी |
चल देहे। |
|
|
कथाकार |
त वो रखवार राहय तेहा उहां पहुचंत हे रे भाई फेर आगे का होही तेला बंसकहार बताही। |
|
|
रागी |
का होवत हे भाई ? |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना ए न अउ जहूं भला लागे ना |
|
रखवारे बईठे हे भईया मोला भला लागे न |
|
अउ चंदा चना भाजी टोरन लागे हो |
|
|
कथाकार |
चंदा राहय जेन ह उहां जाके चना भाजी ल टोरत हे। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
अउ रखवार भी एती ले जात हे रे भईया उहां जा के देखत हे कि ओली में भाजी धरे पूरा भाजी धरे। |
|
|
रागी |
हव धरे हे। |
|
|
कथाकार |
फेर बोलत हे चल राजा करा लेगहूं कहिके, जउन रखवार राहय तेन ह ओला बोलत हे रे भई का होवत हे तेला |
|
|
रागी |
का होवत हे बंसकहार बताही। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना उहू जब चना भाजी टोरन लागे |
|
रखवारे राहय जेन ओला पकड़न लागे न |
|
अउ टूरी जो चंदा है भई मोला बोलन भला लागे न |
|
अउ तोला तो ए दे भाई रे मजा बतावव हो..... |
|
कथाकार |
|
चल मय राजा करा लेगथंव। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
ओ बोल के ओला लेगथे ग अइसे जोरदार बोलत हे हाथ पकड़ के बोलत हे कड़क कड़क के बोलत हे |
|
|
रागी |
का बोलत हे ? |
|
|
कथाकार |
घसिया के जात वो बने हे अउ मोर तीर म झन ओधे कहिके वोहा तीर घुचत घुचत के वोहा राहत हे अउ मोला धर लीही काहत हे, मोर धर लीही का एकर मन बन गेहे |
|
|
रागी |
बन गेहे। |
|
|
कथाकार |
तोला चल लेगहूं राजा करा ओला घेर घेर के राखत हे वो हाथ पांव जोड़ के फेर वो काय करत हे। |
|
|
रागी |
का करत हे ? |
|
|
कथाकार |
मोला अमली खाय के सउंख लागत हे कहिके ओला भुलवारत हे रे भईया फेर आगे का होवत तेला बंसकहार बताही। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ना वही समय म न भाई रे |
|
टूरी चंदा जबर अउ जबर भाई रे मोला बोलन भला लागे ना |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
कथाकार |
मोला लेग झन काबर हाथ पांव जोड़त हे ओकर भई अउ मोला लेगही त बेइज्जती होही, चना भाजी टोरत हे कहिके मेाला मत लेग करके ओहा नाना प्रकार के ओला बोलत हे, काहत हे मोला कैकर खाय ल भावत हे करके अमली ल बतावत हे ओहा बहुत मोहित होवत हे अउ एक प्रकार के ओहा अमली के पेड़ म चघावत हे फेर आगे का होवत हे तेला बंसकहार बतात हे। |
|
|
रागी |
का होवत हे बता भई बंसकहार हरे हरे। |
|
|
गीत |
अरे गंगा जो बड़े हे ना अउ गोदवरी बड़े हे ना |
|
अउ तीरथ बड़े केदार हो |
|
अयोध्या जो बड़े हे कईथंव |
|
भाई रे राम जो लिए अवतार हों |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ग |
|
यहू जब रखवार भाई अमली म चघाए |
|
अउ जब चंदा ह कांटा रूंधाय हो... |
|
|
कथाकार |
कैकर के पेड़ म चघा दिस रखवार ल, अमली खाय के सउंख लागत हे कहिके। |
|
|
रागी |
सउंख लागत हे। |
|
|
कथाकार |
अउ ए नीचे म राहय चंदा तेहा, अउ वो कांटा ल तीरे तीर रुंध दिस, तेहा जेमे उतर झन सके छेकाय राहय कांटा ल रूंध दिस। |
|
|
रागी |
रूंध दिस। |
|
|
कथाकार |
अउ चंदा राहय तेहा पट्टा छोर भगावत हे गली गली म फेर आगे का होवत हे रे भईया बंसकहार बताही |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ए ग |
|
अउ उप्पर ले देखत हे भाई रे ये दे रखवारे ए न |
|
अउ जकर बकर देखत भाई अउ मोर चंदा जो भागे हो |
|
|
कथाकार |
अउ नीचे त ओहा उपर ले देखत हे चंदा ल, जकर बकर। |
|
|
रागी |
देखत हे। |
|
|
कथाकार |
उप्पर ले चंदा ह पल्ला छोर गली गली भागत हे ग, अउ ओला ढूंढत हे रखवार ह, कांटा रूंधाय हे रे भईया, किसी प्रकार के कूद कूदा के एती ले कूदीस अउ दउड़त ओकर पीछलग्गा जात हे आगे का होवत हे बंसकहार बताही। |
|
|
रागी |
का होवत हे बता भई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना ग अउ टूरी जो चंदा ए भाई रे |
|
घर गउरा में पहंचय ना अउ पीछे रखवारे हे न |
|
दउड़त भगावत हे भाई रे कइसे जो ऐ दे हो.... |
|
कथाकार |
|
एकदम पीछलग्गा लगे हे ओकर घर म पीछे जात ले ग। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
अउ ओकर घर में पहुंच गे अउ जाके बतावत हे। |
|
|
रागी |
का बतावत हे ? |
|
|
कथाकार |
भाजी वाजी ल टोरत रहीस हे तोर लड़की ह तेला पकड़े हंव, उहां ले एदे भागत आवत हे, अइसे प्रकार के उहां बतावत हे ग, फेर राजा ए ओहा राजा हे कइसे चलही ग, का बोलत हे तेला बंसकहार बताही |
|
|
गीत |
ए दे चना लूवईया मोर चना लूवत हे कईथंव |
|
पूरा लुए रे चक नार हो |
|
गोरी लूरत हे अपन संग अउ जोग बइ कईथंव |
|
गोरी लूरत हे अपन संग अउ जोग बइ कईथंव |
|
भाई रे संगे म लूरे ससुरार हो |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
जब रखवारे पहुंचिस न भाई रे जब राजा घर म पहुंचे ना |
|
बतावत हे भाई रे जो तोर जवान लड़की हे |
|
कइसे तो भाजी ल तोड़े मोला भला लगा न हो..... |
|
|
कथाकार |
काबर राजा पीछलग्गा गीस ग ओहा राजा तुरंत निकलगे, काबर आहे रखवार घर म घूस जाही अइसे रखवार ह घर में पहुंच गे, काबर घसिया रखवार दरवाजा म पहुंच गे अउ क्षमा याचना करिस अउ ओला मना के एक प्रकार के रखवार फेर पहुंचे हे फेर का होवत हे तेला बंसकहार बताही ग |
|
|
रागी |
बता भई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
ए बारापाली गउरा ए वो मोर सोला पाली के गर निन्दा ए वो |
|
बारापाली के घर गउरा ए कईथंव अउ सोला जउन के खोर हो |
|
टूरी ह बईठे हे जो रे भईया लेवत हे राउत के सोर हो..... |
|
|
कथाकार |
बारापाली के घर गउरा ए ग। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
सोला रीवा के जब टूरी बईठे चंदैनी ह अउ लोरिक के स्वर लगा काहे राउत कहिके ओहा बंसकहार बतात हे आगे ल। |
|
|
गीत |
आठ ठेला माठ ठेला मद गली पीपर वो |
|
आठ ठेला माठ ठेला मद गली पीपर वो |
|
आठ ठेला माठ ठेला मद गली पीपर वो |
|
इही गली अइसे पहिली इही गली जईसे वो |
|
हमर घर लेड़गा ल देखे हस धुन नहीं वो |
|
बीता भर के तोला इहां भुलवारिस मतहीन हो |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
टूरी तो चंदैनी ए भाई रे... भाई रे मोर |
|
राउत मन मन म गुनत हे हो दिल दिल म बिचारे हो.... |
|
|
कथाकर |
मन मन में गुनत हे टूरी चंदैनी ह। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
अउ दिल दिल भांजत हे कोन प्रकार के राउत ह मोर से मिलही करके सोचत हे ग। |
|
|
रागी |
हव का होवत हे बता भाई बंसकहार? |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
टूरी जो बिचारत हे भाई रे मोर चंदा ए ना |
|
गाय चरावत हे भाई रे जो कइसे जो ए दे ना |
|
वही समय में जब टूरी जो चंदैनी हे ना |
|
कइसे मजा के मोर जोन भला लागे हो |
|
|
कथाकार |
जंगल में गरवा गाय चरावत हे लोरिक ह अउ कति डाहर गरवा गाय ह गे हे तेहा अउ गोबरहिन मन ल न ओ चंदैनी ह पूछत हे। |
|
|
रागी |
हव पूछत हे। |
|
|
कथाकार |
लोरिक के गरवा ह कती गेहे ओ समय में बांसुरी बजावत हे लोरिक ह फेर आगे का होवत हे बंसकहार बताही ग |
|
|
रागी |
बता भाई बंसकहार? |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
मन मन गुने ना अउ दिल दिल भांजत हे भाई रे |
|
मोर वही जब समय म जब पहुंचन लागे हो..... |
|
|
कथाकार |
उही समय में टूरी चंदैनी ह गोबर सरे ल जाना हे कहिके अइसे प्रकार के ओहा जात हे अउ जाके लोरिक ल बतावत हे, ओर बिरबठिया ह मोर पीछे पड़े हे ओला देख कइसे करना हे तेला का होही तेला ए प्रकार के ओला वो बात ल बतावत हे ग, फेर आगे का होही बताही बंसकहार |
|
|
रागी |
का होवत हे भाई ? |
|
|
कथाकार |
लोरिक करा पहुंचे हे तेहा लोरिक ल बतावत हे ए बिरबठिया ह मोर पीछे पड़े हे। |
|
|
रागी |
पड़े हे। |
|
|
कथाकार |
एक प्रकार के ओहा लोरिक ल बतावत हे, अइसे त का करना हे ? |
|
|
रागी |
का करना हे ? |
|
|
कथाकार |
अइसे ओला काहत हे ग। |
|
|
रागी |
काहत हे। |
|
|
कथाकार |
का बात ल बंसकहार बताही का होत हे तेला |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
वही जउन समय म वही मेर बोलत हे ना |
|
वही मेर बोलत हे भाई रे मन मन गुने ना |
|
टूरी तो चंदैनी भाई रे मोर लोरिक ल बोलय ना |
|
बिरबठिया जो ऐ दे भाई रे मोर पाछू पड़े हो.... |
|
|
कथाकार |
ए बीरबिठिया ह मोर पीछे पड़े हे, ए प्रकार के लोरिक बोलत हे, लोरिक का काहत हे फेर समय बताही ओला, फेर बंसकहार बताही का होही तेला |
|
|
रागी |
बता भाई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
वही जउन समय म वही मेर बोलत हे ना |
|
टूरी जो चंदैनी हे भाई रे मोर जब बतावय ना |
|
कइसे बतावत हे भाई मोर लोरिक करा काय झन करे हो.... |
|
|
कथाकार |
ओ बात ल बताईस न, समझौता कराईस हे |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
का समझौता कराईस हे, ओ मन ल दू ठक गढडा खोदे ल काहत हे दूनो ल राजी कर डरिस अउ जीते म जो ह पहला आ जही ते मोर बांह ल धर के लेगही अउ ओकर होंहू मैंहा, एक प्रकार के रद्दा ल बताय हे ओला। |
|
|
रागी |
कोन बताय हे ? |
|
|
कथाकर |
मालिन डोकरी ह बताय हे ओला। |
|
|
रागी |
कइसे बताय हे ? |
|
|
कथाकर |
अइसे बताय हे ग। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
मोहर धन लेके अउ दू ठो गढडा खोद दे, एक बिरबठिया बर अउ एक लोरिक बर जउन ह ओला गला तक ले दाबही अउ जे पहिली बाहर आ जही उही मोला लेगही, अइसे टाइप के ओला बताय हे ग, फेर मोहर ल धर के गढडा खोदे के अउ काकर ल कोन दाबही तेला बंसकहार बतात हे |
|
|
रागी |
बता बन्सकहार। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
वही जउन समय म वही मेर बोलत हे ना |
|
टूरी मोर चंदैनी ह भाई रे मोर लोरिक के पीछे |
|
अउ एकरे के धांसे दउना हे हो..... |
|
|
कथाकर |
टूरी चंदैनी राहय तेन ह लोरिक के ला धांसत हे अउ दउना राहय तेहा बिरबठिया के ल धांसत हे, काबर अब एक ठन मोहिनी धरे हे ग, एती गिराबे तेन ह लोरिक एती ओधे ओती के ल गिराबे तेला लोरिक ओती ओधे, अउ दउना दाबतेच हंव काहत हे, चंदा ह अउ ऐती ढीला हो जाय अउ ओला धांस के दाब डरिस ग, आगे का होत हे बंसकहार बतात हे ग। |
|
|
रागी |
बता भाई। |
|
|
गीत |
बाजे तबला निसान बाजे तबला निसान |
|
काले म अम्मर राजा भरथरी हो |
|
हो सुरहीन गईया के गोबर मंगाय |
|
खुट धर अंगना लिपाय गज मोतियन के चउक पूरत हे |
|
जेमे सोना के कलसा मड़ाय |
|
जेमे सोना के कलसा मड़ाय |
|
राजा भरथरी हो.... |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
कइसे जो ए दे भाई रे मारथे उचाट ना लोरिक जो मारे कइसे उझाल न |
|
बिरबठिया कइसे बईठे हे हो.... |
|
|
कथाकर |
धंसाय रहीस न एकर तो ढीला ढीला धंसे रहीस ग, काबर ओ चंदैनी त हरे ढीला धांसे रीहीस तेहा एक प्रकार के ढीला धांसही त ओ चल सके अतका कमर दबाय हे तभो ले तिंहा ले न मारीस उचाटा ते लोरिक ह धर उछल दिस अउ बिरबठिया धंसाय हे ग, आगे का होवत हे बंसकहार बताही ग। |
|
|
गीत |
मन मन गुनत हे दिल में बिचारत हे |
|
लोरिक जब ए दे मारे भाई रे उचाट ल ना |
|
बिरबठिया ए दे भाई रे दबे हे गढडा मे दबे हावय हो... |
|
|
कथाकार |
मार उचाटा ना पांच हाथ दूर उझलगे फट से लोरिक आगे निकलगे ग अउ वो तो दबे हावय काबर उहां बाजी लगे हे जीत हार के लगे काबर वोहा कस के दाबे हे वो तो धंसाय हे कसके लोरिक उल्हूर रहीस मार दिस उचाटा अउ निकलगे आगे अउ आगे का होत हे बता भाई बन्सकहार। |
|
|
रागी |
बता भई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
गउरा अउ गउरी भाई रे जो कइसे ते ए दे वो |
|
यही मेर ए दे भाई रे मोर निकलन लागे हो |
|
आसा खेलेंव पासा खेली डारेंव डंडा |
|
आसा खेलेंव पासा खेली डारेंव डंडा |
|
अतक सुन्दर भोजली ल कइसे करंव डंडा |
|
अतक सुन्दर भोजली ल कइसे करंव डंडा |
|
या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा |
|
गरवा के धरसा एक पेड़ परसा |
|
गरवा के धरसा एक पेड़ परसा |
|
हमर भोजली दाई के सोने सोन के करसा |
|
हमर भोजली दाई के सोने सोन के करसा |
|
या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा |
|
देवी गंगा देवी जाही तुरंगा |
|
हमर भोजली दाई के सोने सोन के करसा |
|
या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा |
|
अतक सुन्दर भोजली ल कइसे करंव डंडा |
|
या हो देवी गंगा, या हो देवी गंगा |
|
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
कइसे जो ए दे मोर भाई रे जो चंदा ल लागे |
|
लोरिक जा ए दे भाई रे मोर चंदा ल कहां देखे हो.... |
|
|
कथाकर |
अब का होवत हे आगे ग ? |
|
|
रागी |
का होवत हे ग ? |
|
|
कथाकर |
टूरी चंदैनी राहय तेहा मन मन में बिचार करत हे लोरिक ह अतना बीर हे। |
|
|
रागी |
हव ग। |
|
|
कथाकार |
अइसे प्रकार के ओहा चंदा ह नजर ओला लगा दिस, त कती समय म ओला का होही कहिके ओ प्रण ठान लीस लोरिक बर ग, अब का करत हे भईया आगे बंसकहार बतावत हे ग। |
|
|
रागी |
बता भई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे, |
|
मोर तरी हरी ना जंवरिया ग तरी हरी नाना ए ना |
|
टूरी जो चंदैनी रे भाई रे मोर जउन भला लागे रे |
|
आधी रात के बेरा में भाड़ी म कूदन लागे हो |
|
लोरिक के घर म जावत हे भाई रे |
|
कथाकर |
|
एक समय के बात हे कहिके अउ टूरी चंदैनी राहय तेन ह लोरिक के घर पहुंच गे ग। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
अउ बियारा बारी ल कूद के अउ सेमी मड़वा म जाके घूसे हे कोन ह चंदा ह, फेर का करत हे चंदा ह बतात हे बन्सकहार। |
|
|
रागी |
बता भई। |
|
|
गीत |
लाली तो बगरैली हो, लाली तो बगरैली हो |
|
अउ नगर डोंगरी बगरे कछार हो |
|
लाली तो बगरे हे कईथंव डोंगरी के करधन कईथंव |
|
भाई रे बाजत हे घर बारी पार हो |
|
|
कथाकार |
भागत हे का काहत हे लाली बगरैली नगर डोंगरी बगरे कछार डोंगरी बगरे हे, करधन ह बाजत हे घर के तीर में आड़ में काबर घंटी टेपरा लगे हे न, घंटी टपरा हेर लिस टूरी ह, घर ले चंदा ह अउ लोरिक के घर के सेमी मड़वा म आके बजावत हे खड़पीड़ खड़पीड़, काकर गरवा आगे कहिके ग फेर आगे का होवत हे बंसकहार बतावत हे |
|
|
रागी |
बता भई बन्सकहार । |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे तंय बोली बचन ल ना |
|
तीन ठन ग भाई अउ मय कहिथंव ओकरो अउ रस्ता हे ना |
|
कोन अउ धरसा म भाई तंय मोला बताई देबे ना |
|
टूरी रे चंदैनी जहुंरिया मोर एदे रिसाय हे ना |
|
राजा अउ महर भाई रे मोला कहन भला लागे हो... |
|
|
कथाकार |
अइसे म नी बने भगवान। |
|
|
रागी |
हव। |
|
|
कथाकार |
काकर चना भर्री ल बुलक गे। |
|
|
रागी |
बुलक गे। |
|
|
कथाकार |
अब का उपाय करे जाय ? |
|
|
रागी |
करे जाय। |
|
|
कथाकर |
समझे जात के घसिया बावन बिरबठिया ये यहां तक घर में पहुंच गे काहत हे, पहुंच गे कूदावत कूदावत आज घर म पहुंच गे त पहुंच गे, आधा बीच म कोन्हो पहुंचातिस त आज मोला खीचत लेग जतीस, अइसे कहिके चंदा राहय तउन ह अपन मन मन म गुनत हे दिल दिल भांजत हे, हे भगवान अब काय उपाय करंव अइसे कहिके फेर बता भई बन्सकहार। |
|
|
गीत |
बिना रे बताए जहुंरिया मोर चंदा हर गेहे ना |
|
ओकरो अउ बाबू मोर ग खोजन मोला भला लागे ना |
|
टूटहा अउ खटिया मोर भाई ग मोर फूटहा गारेसी ए गा |
|
घोड़ा के घूड़सार म मोर चंदा ह रिसाय हे हो..... |
|
|
कथाकर |
बिना बताय टूटहा खटिया फूटहा गोरसी ल धर के चंदा ह राजा के घोड़ा के घूड़सार म जा के रिसाय हे, राजा महर ह ओला खोजत हे लेकिन चंदा के अता पता नहीं लगत हे, |
|
|
रागी |
आगे का होवत हे बता भई बन्सकहार । |
|
|
गीत |
मन मन गुनत हे मोर भाई रे मोर दिल दिल बिचारत हे न |
|
टूरी अउ चंदा मोर घोड़ा के घुड़सार में ना |
|
ए दे रिसाय हे भाई ग मय तोला बतायएंव हो..... |
|
|
कथाकर |
चंदा रहाय तउन टूटहा खटिया, फूटहा गोरसी ल धर के घोड़ा घूड़सार मे रिसाय हे ओकर बाद राजा महर हे तउन अपन नौकर ल बलावत हे, अरे ए नौकर तंय घोड़ा ल दाना कोड़हा दे दे मय ह रायपुर जाहूं, कहिके मोला बाहर जाना हे जरूरी हे कहिके, अइसे राजा अपन नौकर ल काहत हे, का काहत हे तेला बतात हे बन्सकहार । |
|
|
गीत |
नौकर ल ए दे भाई ग मोर राजा बलावय ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे नौकर तंय बोली अउ बचन ल ना |
|
घोड़ा ल दाना कोड़हा दे देबे हो.... |
|
|
कथाकार |
नोकर ल राजा ह बोलत हे अरे नौकर तंय घोड़ा ल दाना कोड़हा दे दे मोला बाहर जाना हे, जा एक प्रकार ले नौकर ल पूछत हे दाना कोड़हा दे हस अइसे कहिके, नौकर कथे नी दे हवं मालिक, ए पागल मोला बाहर जाना जरूरी हे तंय जा अउ घोड़ा ल दाना कोड़हा दे दे, अइसे कहिके ओकर नौकर हे तउन दाना कोड़हा धरथे अउ आगे का काहत हे रे भईया। |
|
|
गीत |
लंबा के चूंदी रे भईया, लंबा के चूंदी अउ लमाई के ना |
|
झांपरा रे चूंदी रे कईथंव झांपा रे चंदैनी के चूंदी हे ना |
|
झांपरा रे चूंदी रे कईथंव झांपा रे चंदैनी के चूंदी हे ना |
|
भाई रे मुटका के चार लगाय हो.... |
|
|
कथाकार |
नौकर घोड़ा के घूड़सार म जाके दाना कोड़हा देत हे, अंधियारी रात राहय कांही दिखे नहीं कुलूप अंधियार राहय दाना कोड़हा दे बर गिस हे, उहां घोड़ा नही राहय, उहां राजा महर के बेटी चंदा रिसाय राहय, जस्ट नौकर कोड़हा ल दे ल धरिस हे अउ चंदा राहय तउन जमाय ओकर चूंदी ल धर लिस। |
|
|
रागी |
अउ आगे का होवत हे भाई ? |
|
|
गीत |
सुनी लेबे लेबे सुनी लेबे भाई मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
राजा अउ महर भाई रे मोर नौकर ल बोले हाबय ना |
|
नौकर ह जाथे भाई रे मोर घोड़ा के घुड़सार मे ना |
|
दाना अउ कोड़हा ल भाई रे मोला देवन भला लागे हो...... |
|
|
कथाकार |
जस्ट दाना कोड़हा देबर नौकर ह गिस हे, फेकिस हे दाना कोड़हा ल त चंदा राहय तउन ह रटपटाय के उठ गे अउ उठके नौकर के चूंदी ल धर लिस अउ धर के तीन चार मुक्का मार दिस, नौकर कथे ए ददा, घोड़ा कइसन मारत हे अइसन कहिके रोवत रोवत मालिक करा अइसे, मालिक करा आ के बतात हे मालिक ओहा मोला लाते लात मुटकेच मुटका मारे हे, मालिक कथे अरे पागल लात ल भले मारही लेकिन मुटका कइसे मारही घोड़ा ह, मोला वइसने तको मारे हे मालिक अइसे कथे फेर आगे का होवत तेला बताही। |
|
|
रागी |
बता भई बंसकहार। |
|
|
गीत |
सुनी लेबे लेबे सुनी लेबे भाई मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
टूरी अउ चंदा ह भाई ग मोर चुंदी ल धरे हाबे ना |
|
बद बद मुटका म भाई मोला देवन भला लागे हो.... |
|
|
कथाकार |
नौकर काहत हे राजा महर ल घोड़ा ह मोला लाते लात मारे हे अउ मुटका मुटका तका मारे हे, राजा महर कथे कस रे पागल, लात म भले मारही लेकिन मुटका म नई मारे, ते डबल जा, नौकर कथे मय डबल जाबे नी करंव, राजा कथे जाबे नी करस त फेर उपाय बता, आगे का होवत हे बतात हे बंसकहार |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
राजा अउ महर के बेटी मोर भाई रे घोड़ा के घुड़सार म ना |
|
ऐदे अउ रिसाय हे भाई ग ए दे अउ मनाय हो.... |
|
मालिन अउ डोकरी ल ना मोर बलावन लागे ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे डोकरी तंय मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
मोर अउ बेटी ह डोकरी रिसाय हावय हो... |
|
|
कथाकार |
सच बात हे बंसकहारकाबर रिसाय टूरी चंदैनी ह राजा महर के बेटी ह घोड़ा के घुड़सार म काबर रिसाय हे चनहा के पार में ढेलवा गड़ीया दे अइसे कहिके मालिन डोकरी ल बतावत हे भैया बंसकहार बतात हे |
|
|
गीत |
मालिन डोकरी ह जब पूछन लागे ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे बेटी ओ मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
काए ओ बात ल तंय बेटी ओ मोला बताई देबे हो... |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे दाई वो मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
हमरे बाबू ल जाके तंय बताई देबे ना |
|
चनहा के पार में मोर दाई वो मोर ढेलवा ल हो... |
|
|
कथाकार |
हमर बाबू जी ल जाके कहिके देबे मालिन दाई जब तय काहत हस चनहा तरिया के पार में ढेलवा गड़ियाही अउ नी गड़ियाही न तब पेट कटारी करके मर जाहूं अइसे कहिके चंदा हे तउन मालिन डोकरी ल बतावत हे भाई |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे राजा मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
राजा जब तोर बेटी ह मोला बोलय हावय ना |
|
ढेलवा खातिर अउ ए दे ओ राजा मोर रिसाय हावय हो |
|
|
कथाकार |
मालिन डोकरी हे तउन राजा महर ल जाके बतावत हे कि तोर बेटी ढेलवा खातिर रिसाय हे राजा, अउ नी गड़ियाबे न त पेट कटारी करके मर जाहूं अइसे काहत हे, ते वइसने बात काहत हस डोकरी लकड़ी के ढेलवा ल कोन पूछे मय सोन के ढेलवा गड़िया देहूं तंय जा चंदा ल कहिके देबे सात चेरिया आगू अउ सात चेरिया पाछू अपन संगी जहुंरिया ल धर लिही अउ चनहा तरिया के पार म अपन ढेलवा जोड़ी जा अपन जोगनी सही बरही काहत हे ग |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
अउ तरी हरी नाना मोर नाना ए |
|
मोर जहुंरिया मोर तरी हरी नाना ए ना |
|
सात चेरिया आगे रे रागी अउ सात चेरिया पीछू ए ना |
|
चनहा के पारे मे ढेलवा झूले जावय हो... |
|
|
कथाकार |
वही बात हे संगी काहत हे सात चेरिया आगे अउ सात चेरिया पीछे पीछे धर के ओ चनहा के पार म चंदा राहय तेहा कइसे मजा के ओ ढेलवा झूले ल जात हे, फेर आगे बंसकहार बतात हे |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
चंदा ह ए दे मोर लोरिक ल बलावत हावय ना |
|
राउत होबे त मोला ढेलवा झूलई देबे हो... |
|
लोरिक ल जब बोलत हे भाई ग मोर तहूं हर ए दे ना |
|
राउत जब होबे भाई मोला ढेलवा झूलई देबे ना... |
|
नई ते तय होबे ग त मोर चूरी ल पहिर लेबे ना |
|
नई ते तय होबे ग त मोर लुगरा ल लगा लेबे हो... |
|
|
कथाकार |
चंदा ल बोलत हे लोरिक ल अगर सही म राउत होबे त ढेलवा झूलादे, |
|
|
रागी |
ढेलवा झूलादे। |
|
|
कथाकार |
नई होबे त चूरी पहिर ले। |
|
|
रागी |
चूरी पहिर ले। |
|
|
कथाकर |
अउ अइसे कहिके चंदा बोलत हे... आगे का होवत हे बंसकहार बतात हे। |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे राजा मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
ओतका जब बात ल सुने लोरिक ह सुनिस हे ना |
|
भात खाये हंव चंदा मय भथवा के ना |
|
पें जब अउ हावय भाई ग दुकलहा के पेजे हो.... |
|
|
कथाकार |
चंदा बोलत हे राउत होबे त ढेलवा झूलाबे नई होबे त चूरी पहिर ले लुगरा पहिर ले, चूरी पहिर ले लुगरा पहिर ले अउ ए बस्ती म किंजर काहत हे, ओतका बात ल लोरिक सुन के कथे चंदा भात खाय भथवा के में पें दुकलहा के पेज, अंदाजा कर जेकर बईहा रे जांव ढेलवा फेंकव तेकर दूर देस, अइसे लोरिक के भूजा म बारा बारा हाथी के ताकत हे, अइसे का समझथस राउत ल |
|
|
रागी |
आगे का बोले बंसकहार? |
|
|
गीत |
लोरिक ए दे भाई रे मोर ढेलवा झूलावत हे न |
|
साते चेरिया अउ मोर साते चेरिया ह पाछू म न |
|
बीच में जब एदे चंदा ह बइठे जब हावय न |
|
|
कथाकार |
फेर लोरिक बोलथे ओ मेर चंदा के सात चेरिया आगू अउ सात चेरिया पाछू बइठे त... ‘’मर जा टूरी घरहीन के तोर मूड उप्पर परे गाज, नाम नई सुने लोरिक के तोर मजा बतावंव आज’’ अइसे ते मोला बानी वाला राउत, ते का समझे, चंदा के बानीक आज मोला चघत हे, लोरिक ढेलवा ल धरिस अउ उप्पर फेंक दिस |
|
|
गीत |
जब लोरिक ढेलवा झुलावय लागे ना भाई |
|
चंदा ह ये दे रोवन लागे न अरजी अउ बिनती भाई ग करन लागे न |
|
झोकी लेबे झोकी लेबे राउत ग तोर मय पईंया परत हवं ना |
|
|
कथाकार |
लोरिक हे तउन चंदा ल ढेलवा झूला दिस अउ चंदा हे तउन फेंका गे चंदा कथे तोर हाथ पांव परत हवं राउत मोर जी ल बचा ले लोरिक कथे अइसे म नी बने सुने, त लोरिक ओ मेर कथे ते बात काहत हस चंदा ते बात मोला मंजूर हे सुने, त लोरिक कथे हाथी के दांत धुन मरद के बात अइसे तंय नारी ह मोला मत समझबे अइसे कहिके लोरिक ओला बोलथे अउ चंदा ओ मेर ढेलवा म फेंका गेहे, रोदन करत हे, मोर जी ल बचा ले राउत अइसे कहिके फेर लोरिक कथे, ‘’बारापाली के गउरा सोला जन के खोर अनपित भईया खूलन के लोर अउ झोक ले जोड़ी मोर’’ अइसे कबे तब ढेलवा ल झोंकहू अइसे कहिके कथे |
|
|
|
|
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे चंदा मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
लोरिक जब काहत हे भाई वो मोर सुनी लेबे हो... |
|
|
कथाकार |
अइसे म नी झोंकव चंदा ढेलवा ल “बारापाली के गउरा सोला जन के खोर अनपित भईया खूलन के लोर अउ झोक ले जोड़ी मोर’’ अइसे कबे तब ढेलवा ल झोंकहू अउ नई कहे त जा मर जा मोला काई मतलब नईए अइसे काहथे |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
चंदा ल ए दे भाई ग मोर झोंकी भला दिस ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे चंदा मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
लोरिक जब बोलत हे जब चंदा ल हो.. |
|
|
कथाकार |
एक ठन बात हे चंदा ‘’कच्चा सुपारी बर सरोता नईए अउ तोर बोली बचन के मोला कोई भरोसा नईए’’ झोंके बर का होही झोंक देव तय काहत हस त झोंक देव लेकिन अभी तक से राउत ल बिसवास नईए तोर जबान के, लेकिन तय काहत हस यहु सिरतोन बात ए ‘’कच्चा सुपारी बर सरोता चहिए मोर बोली बचन बर भरोसा च नईए’’ एक प्रकार के चंदा ह बोलत हे लोरिक ल |
|
|
कथाकार |
लोरिक राहय तेन चंदा ल झोक दिस चंदा ल झोंके के बाद लोरिक अपन गाय भईंस म लग गे चंदा अपन घर चल दिस फेर आगे का होवत हे भई बंसकहार बतात हे |
|
|
गीत |
उही मेर के बानी ह भाई रे मोर चंदा ल लागे हावय ना |
|
कांसी लुए राउत मोर कसोंदा हरे ना |
|
ओकरो बनाबे मोर भाई ग बरहा के डोर हो... |
|
|
कथाकार |
कांसी लुए कसोंदा कसे जेकर बनाबे बरहा के डोर अउ चंदा कइसे इकरार करे हे सतखंडा महल में घपटे अंधियारी रात में अइसे प्रकार से ओला बोले हे रे भई, आगे का होवत हे बंसकहार बतात हे |
|
|
गीत |
उही मेर बोलत हे भाई रे मोर लोरिक जब हाबय ना |
|
बानी वाला राउत के मोर बानी घला दिख जाही हो... |
|
|
कथाकार |
राउत अपन सुन्दर मजा के अपन गाय भईंस म गेहे चंदा ह उहीं मेर के बानी ल रखे हे ओकर बाद कथे, कोई बात नई राउत ते अइसे मोला जबान म हराय हस कांसी लुए कसौंदा ओकर बनाय हे बरहा के डोर मय तोर बानी ल देख डरेंव, बारा बजे के समय में मंदिर धउंराहट आबे धुन नई तेला मोला बता |
|
|
गीत |
उही मेर राहय जब लोरिक वो मोर बानी वाला राउत ना |
|
के बात ए जब मोर उही मेर राहय हो |
|
|
कथाकार |
चंदा जब अइसे बोलत हे तब उही मेर कथे राउत ह, अब बानी वाला राउत के बानी दिख जाही, बारा बजे रात के तंय मंदिर धंउराहट आबे, अउ कती डहन ले आबे रस्ता ल बता तंय ह मोला अइसे कहिके चंदा ह बोलत हे, अब का होवत हे |
|
|
रागी |
का होवत हे ? |
|
|
गीत |
एकक बांस के किल्ला मोर चंदा मोर महल किल्ला माते ना |
|
आजू अउ बाजू म नोनी वो मोर बघवा बंधाय हे ना |
|
नाना प्रकार के मोर नोनी बघवा अउ भालू हे हो... |
|
|
कथाकार |
कति मोहाटी ले आबे तंय मोला बता दे एकक बांस के मोर दरवाजा म मोर महल म एकक बांस के किल्ला माते हे एती ले आबे त किला ल नईउ उबरे ल सकस ए दरवाजा ले आबे त बघवा बंधाय हे ए दरवाजा ले आबे त सांप बंधाय हे अइसे रंग बिरंग के भूत परेत परी मसान बिच्छी भूरी हर प्रकार के जानवर तोला मिलही, खुदा न खास मोर सतखंडा ले चघत उतरत मोर बाबू जी भी मिल जही, फेर आगे का होवत हे |
|
|
रागी |
का होवत हे बंसकहार? |
|
|
गीत |
अतका के बात जब भाई ग मोर चंदा ह देखत हे ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे राउत तंय बोली अउ बचन ल हो... |
|
|
कथाकार |
अतका के बात ल चंदा बतावत हे अउ अतका बात ल सुनके लोरिक कथे मय आहूं चंदा सुने, जरूर मय कईसनेा कर कुरा के आंहू कोई बात नईए हाथी के दांत धुन मरद के बात कहिथे |
|
|
कथाकार |
कांसी लुए कसोंदा ओकरे बनाए बरहा के डोर, गुरू ददा ल कथे लेरिक ह एक दम जरूरी काम आ गेहे ए डोर ल मोला ले जाना हे ते बना देबे एला अइसे कहिके लोरिक काहत हे |
|
|
गीत |
डोर ल धर के मोर भाई ग मोर लोरिक जब जावय ना |
|
एदे सतखंडा भाई ग मोला जावन भला लागे हो |
|
|
कथाकार |
डोर ल धर लिस चंदा ल बांधे हव करार कहिके त लोरिक राहय तउन संतखंडा जात हे आजू बाजू किल्ला माते हे, बाघ सांप भालू बिच्छू हर प्रकार के जानवर बंधाय हे अउ कइसे प्रकार के लोरिक ह खंडा डोर ल फेंकत हे फेर आगे का होवत हे। |
|
|
रागी |
का होवत हे रे भईया ? |
|
|
गीत |
मंदिर धंवराहट म भाई ग मोर डोर ल तो फेंके ना |
|
जुकती अउ मोहनी के जब ना मोर चंदा जब छोड़े हे ना |
|
बानी वाला राउत के जब बानी मोला दिखी जाथे हो... |
|
|
कथाकार |
लोरिक फेंकत हे डोर ल, चंदा उहां देखत हे सतखंडा महल ले चंदा कथे मय देखत हंव तोर बानी वाला राउत के कतक बानी ए तेला |
|
|
गीत |
दूए बार डोर ल भाई ग जब लोरिक फेंके हावय ना |
|
काय जब होगे हे भाई ग मोर फंसत तो नई हे ना |
|
झुकती अउ मोहनी के जब ना मोर चंदा जब छोड़े हो... |
|
|
कथाकार |
जा रे मोर झुकती मोहनी ओकर मोहड़ा के डोर म जाके बंध जा, अइसे कहिके चंदा काहत हे लोरिक हे तउन अपन डोर ल फेंकत हे |
|
|
रागी |
फेकत हे फेर आगे का होवत हे ? |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई मोर तंय बोली अउ बचन ल ना |
|
उही मेर भाई ग मोर लोरिक अउ चंदा हे ना |
|
मुला अउ काते भाई ग मोर होय भला लागे हो.... |
|
|
कथाकार |
चंदा अउ लोरिक के उही मेर मुलाकात होगे चंदा कथे, देखेस मोर सतखंडा महल ल लोरिक मय नी देखेंव सतखंडा ल तब कइसे करबे मोर तो सउंख पूरा नी होय हे चंदा का करबे तेला तही जान, अब रात में नई आवव, तंय जेन मेर मोला बलाबे दिन में मोला खुलासा बला अइसे काहत हे फेर आगे का होवत हे। |
|
|
रागी |
का होवत हे तेला बंसकहार बताही |
|
|
गीत |
या हो सुखे सनिचर लाठी जागे रईथंव |
|
गुगुंर धूप के मय हूम जलाय रईथंव |
|
गुगुंर धूप के मय हूम जलाय रईथंव |
|
भाई रे दाम येदे मोर काम हो... |
|
|
कथाकार |
सूखे सनिचर मंगलवार दिन मंगल के होथे बावन के बाजार, तंय आबे धुन नई दस बजे अइसे कहिके चंदा ह लोरिक ल काहत हे रे भईया |
|
|
गीत |
बावन के बाजार के भाई रे मोर बांधे हे करार ना |
|
सुख अउ सनिचर भाई रे मोर मंगलवार हे ना |
|
मंगल के होथे मोर राउत बावन बाजार हो |
|
कथाकार |
|
तंय कोन जघा रहिबे बाजार म तंय तेला मोला बता दे चंदा काहत हे रागी |
|
|
रागी |
काय काहत हे ? |
|
|
गीत |
अउ ओतका के बात ल ना भैया मोर लोरिक जब पूछे ना |
|
कोन जघा ते रइबे राउत मोला तंय बताई देबे ना |
|
|
कथाकार |
लोरिक काहत हे मय जरूर आहू दस बजे बाजार लेकिन बाजार म माखुर पसरा म पाबे खुदा न खासता माखुर पसरा म नई रहूं त पटवा दुकान म पाबे, खुदा न खासता पटवा दुकान म नई मिलहूं तब मोला पान ठेला म पाबे, अउ पान ठेला म नई रहूं त टूरी हटरी म पाबे |
|
|
गीत |
बांधे रे करार भाई रे मोर बावन बाजार के ना |
|
जघा कर नक्सा भाई ग मोला बताई देबे ना |
|
सात अउ दोहरा के कर्इथंव मोर झांपी ए ना |
|
बारा अउ साल के भाई रे मय जोरा जब करे हंव ना |
|
|
कथाकार |
त ओ मेर चंदा अउ लोरिक के मिलन होगे होय के बाद बावन बाजार के करार बांधे हे बावन बाजार के करार बांधे के बाद कहे त लोरिक ह अपन खुद के बाई दौनामांझर ल कथे, आज का दिन ए, आज कांही दिन नेाहे दिन हे कहां जाही दिन तो पड़बेच करही न, दिन ह कहां जाही दउना मांझर ल लोरिक पूछत हे, दौना मांझर कथे आज कहीं दिन नोहे, लोरिक कथे मय हा आज बावन बाजार जाहूं दौना मांझर कथे बने सुरता करे महूं ल जाना हे मही बेचे बर, लोरिक कथे मोर माखुर सिरा गेहे मोला बाजार जाना हे बावनबाजार अइसे काहत हे रे भई, फेर आगे का होवत हे |
|
|
रागी |
का होवत हे। |
|
|
गीत |
बावन बाजार मोर जब पहुंचन लागे ना |
|
पान जब ठेला म भाई ग मोर लोरिक जब पहुंचे ना |
|
पटवा दुकान म भाई ग मोर ताबुज बंधवा लेबे हो.... |
|
|
कथाकार |
लोरिक उहां पहुंच गे बावन बाजार अपन पटवा दुकान म ताबीज बंधवावत हे, पान खाय बर पान ठेला म गेहे, अउ अर्री माखुर ले बर माखुर दुकान म गेहे |
|
|
रागी |
हरे हरे। |
|
|
गीत |
साते अउ देाहरा के भाई ग मोर झांपी ल धरे हे ना |
|
राजा अउ महर के टूरी रे मोर चंदा ए ना |
|
साते अउ दोहरा के भाई रे मोर बारा अउ महीना के ना |
|
जोरा जब करत हे भाई ग मोर बावन बाजार के हो... |
|
|
कथाकार |
सात दोहरा के झांपी धरे चंदा ह एती बांधे करार राउत संग बावन बाजार के जात हे अइसे मार सात दोहरा के झांपी ल धर के चंदा हे तउन बावन बाजार बर अपन रस्ता धरत हे रे भई, फेर आगे का काहत हे बंसकहार |
|
|
कथाकार |
चंदा तउन सात दोहरा के झांपी ल बोहे हे बावन बाजार ल खोजत हे कती मेर दिखत हे दाई, नी दिखत हे अइसे कहिके चंदा हे तउन सुन्दर मजा के खोज के मालिन डोकरी घर जाथे फेर का करे बर जात हे तेहा |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे दाई मोर बोली अउ बचन ना |
|
एक ठन मालिन तंय मोर भला माने त |
|
मोरे तियारा ल तंय करी भला देबे हो.... |
|
|
कथाकार |
सुन्दर चंदा काहत हे ए मालिन दाई तोर घर ल दू घंटा मंझनिया बर देबे का, त मालिन कइथे मोर घर ओ धनिया नईए दाई, धनिया ल नी काहत हवं दाई मंझनिया घाले बर काहत हंव, सुने त चंदा मालिन डोकरी के घर ल मांगत हे अउ मांगे के बाद फेर मालिन दाई कथे, ए मालिन दाई तंय जा एक ठन बिगारी कर देबे मय तोला सोन के सात थारी मोहर देहूं, ए राउत ल गाय दूहे बर बलाबे, हमर घर तो गाय नईए हे बेटी, चंदा कथे तंय बला के लान न दाई ओती के बात ल मय बना लेहूं अइसे बोलत हे ग, का होवत हे आगे रे भाई |
|
|
कथाकार |
ओतका बात ल सुनके सुन्दर मालिन दाई हे तउन बावन बाजार म पहुंचथे अउ बावन बाजार म पहुंचथे त देखथे कोनो नई दिखे एक आदमी ल पूछथे ए बेटा लोरिक ल देखे हस का ? हमन त नई देखे हन दाई, त कहां मिलही ओहा ? जतना देखईया मन कथे गउरा बाजार के एके ठन रस्ता हे चाहे चार के बजत ले आही चाहे पांच के बजत ले आही पर आही त इही रद्दा ले आही, तोला रोय आथे त रो अउ गाय ल आथे त गा, पर जरूर आही ओहा अइसे कहिके लोरिक ल देखईया मन बतावत हे, तंय इही मेर रेहे र डोकरी दाई |
|
|
गीत |
तोर बबा हर ग मोर डोकरा ह रे |
|
बजार ले लाने हवय गइया ल न |
|
तोर बबा हर ग मोर डोकरा ह रे |
|
बजार ले लाने हवय गइया ल न |
|
मल्लिन जब डोकरी ह चिल्लावन लागे ना |
|
ओकरो आवाज ल भाई ग मोर लोरिक सुनी डारिस ना |
|
डोकरी दाई के मोर आवत हे आवाज ए हो..... |
|
|
कथाकार |
अतेक झन बाजार में देखथंव कोन रोवत हे भगवान लोरिक काहत हे अतेक अकन बाजार में देखथंव कोन रोथे ? |
|
|
रागी |
कोन रोथे ? |
|
|
कथाकार |
रोथे तउन ह मालिन दाई कस लागत हे अउ मालिन दाई का बिपत पड़ गे जेमा बावन बाजार म रोवत हे, लोरिक हे तउन आवत हे |
|
|
रागी |
आवत हे ग आगे का होवत हे रे भईया ? |
|
|
गीत |
काबर रोवत हस दाई वो तंय मोला बताई देबे ना |
|
काए अउ दुख तोला जेमा पड़े हो..... |
|
|
कथाकार |
मालिन दाई काबर रोवत हस आज का दुख तोला पड़ गेहे तेमा तंय रोवत हस का दुख के बात हे, कोन तोला मारिस, बबा मारिस हे, नई मारे हे रे कोन मारिस हे मोला बता आज ओकर गोड़ हाथ ल मय टोर देहूं अइसे कहिके मालिन दाई ल कहत हे, मालिन दाई कथे वइसने नेाहे रे बेटा तोर बबा मारे हे न मोला कोई अउ दूसरा नई मारे हे सुनत हस गाय दूहे बर तोला बलाय ल आय हंव रे बेटा, अइसे नहीं मालिन डोकरी तउन ह लबारी मार के लोरिक ल गाय दूहे बर बलावत हे। |
|
|
रागी |
फेर आगे का होवत हे ? |
|
|
गीत |
मालिन तो डोकरी ह भाई ग मोर लोरिक ल लेगत हे ना |
|
ये दे अउ कोन्टा म बेटा ग मोर गइया ह बंधाय हे ना |
|
ओ दहू मोन्टा म बेटा मोर बछरू बंधाय हो..... |
|
|
कथाकार |
बेटा ये कोनटा म गाय बंधाय हे, ये कोनटा म बछरू जाके तय ओ गाय ल लगा दे रे, ओ रोगही ह बर फुर्रीर हे मनखे चिनथे रे, कोनो ल दूहन नई दे अइसे कहिके मालिन डोकरी लोरिक ल बोलत हे अउ लोरिक हे तउन ह दे दाई कोड़नी कसेली ल अइसे कहिके मांग के गाय दूहे ल जात हे |
|
|
रागी |
जात हे रे भईया फेर आगे का होवत हे ? |
|
|
गीत |
लोरिक जब जब मोर भईया ए दे गइया दूहे बर ना |
|
चंदा ह बईठे हे भाई रे बीच गली म ना |
|
लोरिक जब देखत हे भाई रे मोर गइया नई दिखत हे हो... |
|
|
कथाकार |
लोरिक कथे कती मेर हे रे दाई गाय ह गाय नी दिखत हे, उहां गाय कहां हे उहां चंदा ह बारा उदिम कर के आज मिले के कारण में गइया के रूप धरे हे, चंदा अउ गइया के रूप धर के उहां बइठे हे, लोरिक क कसेली ल मड़ाथे गाय नोय बर नोई फेंकथे जमा के चंदा ह ओकर हाथ ल धर लेथे |
|
|
रागी |
आगे का होवत हे बतावत हे बंसकहार। |
|
|
गीत |
उही मेर भाई ग मोला बोलन भला लागे ना |
|
लोरिक अउ चंदा के मोर मिलन भेंटे हे हो... |
|
|
कथाकार |
लोरिक चंदा के बावन बाजार में मुलाकात होगे ओ मेर फेर कथे यहू मेर बावन बाजार उपर होगे चंदा कइसे करबो लोरिक पूछथे, चंदा ल बावन बाजार तको देखहूं कहे अइसे अधूरा होगे कहिके अब कहां जाबो एला पहिली बता, तंय बता कहिथे चंदा ह, एती ल मैं बताथौं ओती ल तंय बताथस सीध नी परय, उही मेर दौना मांझर हे तउन मही बेचे बर जाथे बावन बाजार में त काकर घर जाथे, मालिन दाई घर, गली म चिल्लाथे अउ गली म चिल्ला के बस्ती म त बस्ती के मन कथे ओ मालिन डोकरी घर जा ओ मही खोजत रीहीस उही लिही तोर मही ल, उही मेर चंदा अउ लोरिक के माते रथे पासा, मालिन डोकरी के घर में, मालिन डोकरी ह भाड़ा खाके सात मोहर थाली डोकरी लागे रइथे मालिन डोकरी दूसर के बेटा दूसर के बेटी ल उहां पासा खेलवत रहिथे, दौना बाजार हे तउन बावन बाजार मही बेचे ल जाथे त दूनो कोई पासा म लगे रहिथे ओतके जुवान दौना मांझर हे तउन उही घर म पहुंचगे |
|
|
रागी |
उही घर म पहुंचगे। |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे मोर भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
मांझर दउना मोर भाई ग मालिन ल पूछत हे गा |
|
ए मन कोन कोन ए दाई वो तंय मोला बताई देबे ना |
|
मालिन दाई काहत हे भाई ग मोर बेटा अउ बहू ए हो... |
|
|
कथाकार |
मालिन दाई काहत हे मोर बेटा बहू ए, मांझर काहत ह एमन कोन कोन ए तेला बता मालिन डोकरी काहत हे मोर बेटा बहू ए, मांझर काहत हे कती डहन के तोर बेटा बहू ए ? |
|
|
रागी |
मांझर काहत हे कती डहन के तोर बेटा बहू ए। |
|
|
कथाकार |
ए राजा महर के बेटी ए बेसिया ह आज मोर पति ल इहां भुलवार के लाने हे, पासा खेलाय बर, अउ तंय मालिन दाई काहत हस मोर बेटा बहू ए, त कती डहन के तोर बेटा बहू आय कहिके दौना मांझर मालिन दाई ल छरत हे। |
|
|
रागी |
आगे का होवत हे ? |
|
|
गीत |
या हो लम्बा के चूंदी अउ लम्बा के चूंदी लबारिन के कईथंव ग |
|
चुन चुन के काबर ए गथाय हो |
|
झंपारा चूंदीं चंदा के मोर चंदैनी के कईथंव भई |
|
भाई रे मुटका के लगाए चार हो... |
|
उही मेर के बात दाई वो मोर मालिन ल पूछे ना |
|
|
कथाकार |
ए मालिन दाई मोर बेटा बहू ए काहत रेहे आज लबारी मारत रेहे, आज तोर बेटा बहू ए कहिके, के झन के बिगाड़ करबे, दौना मांझर काहत हे मालिन डोकरी ल, सुनत हस मालिन दाई के के झन के बेटा बहू ल बिगाड़बे भाड़ा खा खा के, दौना मांझर काहत हे मालिन ल अउ चंदा के बेनी खिचत निकालत हे, लोरिक ल कथे कहां आय हस बाजार आय हवं काहत हे का ले बर, मांखुर लेबर, इही हरे माखुर |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई ग मोर बोली अउ बचन ला न |
|
अरजे के अउ बरजे के बात ल मोर मानी लेबे ना |
|
|
कथाकार |
बावन बाजार चंदा लोरिक के अधूरा होगे, ओकर बाद चंदा लोरिक फेर सोचथे अब कहां मुलाकात होही, लेकिन उही मेर चंदा दावा ठोकथे। |
|
|
रागी |
का दावा ठोकथे ग ? |
|
|
कथाकार |
का दावा, आज मय तोर पति ल बारह साल के लिए नी लेग जांव त फेर राजा महर के बेटी राजकुमारी चंदा नी काहांव ये पक्का मोर शर्तिया दावा हे एक दिन जरूर तोर पति ल, मय लेग के रहूं, बावन बाजार अधुरा होथे चंदा फेर अपन भेस बदल के लोरिक करा फेर पहुंचथे |
|
|
गीत |
या हो काकर बर तंय कोरे अउ गांथे कईथंव |
|
काकर बर भराय मांग वो |
|
कोन ल तंय देख के मुस्की ढारय कईथंव |
|
कोन ल तंय देख के मुस्की ढारय कईथंव |
|
भाई रे कन्हईया ल खवाय बिरोपान हो |
|
|
कथाकार |
‘’कोन ल देख के मुसकी ढारत हस राधा अउ कोन ल खवाय बिरो पान, काकर बर तंय कोरे गांथे काकर बर भराए मांग’’। |
|
|
रागी |
मांग काहत हे रे भईया फेर आगे का होवत हे रे भईया ? |
|
|
गीत |
डूढ़वा अउ पीपर के भाई ग मोर बांधत हे करार ना |
|
एती के बात ल राउत मोर एती बर राहन देना |
|
डूढ़वा अउ पीपर में तंय राउत आबे रे कईथंव हो.... |
|
|
कथाकार |
तंय ह डूढ़ा पीपर म आबे रात के सुने घपटे अंधियारी सावन भादो के महीना झिमिर झिमिर पानी गिरत हे बादल गरजत हे बिजली मारत हे आबे धुन नहीं तेला बता, |
|
|
गीत |
सावन भादो कर महीना ए ना |
|
झिमिर झिमिर पानी मारत ए ना |
|
आधा रात में करार होए हे ना डुढ़वा पीपर म तंय आ जाबे ना |
|
अई बारा बजे कर समय – ए दिन तोर |
|
अई बारा बजे कर समय – ए दिन तोर |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
राउत ल बोलत हे भाई रे मोर जब चंदा ल हो... |
|
|
कथाकार |
बारा बजे तंय डूढ़ा पीपर में आबे राउत, अउ आबे धुन नहीं तेला बता अइसे कहिके चंदा बोलत हे, बारा बजे सावन भादो के महीना घपटे अंधियारी के रात झिमिर झिमिर पानी गिरत हे बादल गरजत हे बिजली मारत हे चंदा हे तउन सात दोहरा के झांपी धर के राउत जोड़ी से मय वादा करे हंव, नई जाहं ते मय राजा महर के बेटी नहीं, धोखा मिलही अइसे कहिके चंदा हे तउन अपन डूढ़ा पीपर म जात हे |
|
|
रागी |
फेर आगे को होवत हे बंसकहार? |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
एती के बात ल मय तोला भाई रे बतावंव |
|
|
कथाकार |
बारा बजे के समय में चंदा राहय तउन डूढ़ा पीपर म चल दिस राउत जोड़ी कहिके सुन्दर, काबा भर ठूढ़गा ल पोटारे हे, राउत जोड़ी उहां नईए चंदा कथे हे भगवान कहां जावं कइसे करंव कोन ल पूछंव कोई बात नईए राउत आज तंय मोला धोखा दे हस चंदा हे तउन काबा भर ठूढ़गा ल पोटारे हे |
|
|
रागी |
पोटारे हे रे भईया आगे का होवत हे ? |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
चंदा ह खोजन लागे मोर भला लागे ना |
|
मारिस हावय बिजली भाई ग तेकरे अंजोर म ना |
|
राउत ए कहिके भाई ग मोर काबा भर ठूढ़गा ल हो... |
|
|
कथाकार |
घपटे अंधियारी के रात राउत ए कहिके चंदा ह काबा भर ठूढ़गा ल पोटारे हे राउत जोड़ी ल पाय हंव कहिके, मारिस बिजली तेकर अंजोर में चंदा के नजर परगे, अई मय राउत ए कहिके ठूढ़गा ल पोटारे हवं या अइसे कहिके चंदा ह कहाथे, कोई बात नहीं राउत अच्छा तंय ह धोखा दे हस। |
|
|
रागी |
फेर आगे का होवत हे रे भईया ? |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
ओ मन मन चंदा गुनत मोला भला लागे ना |
|
दिल दिल भांजय मोला भला लागय हो |
|
|
कथाकार |
चंदा मन मन गुनत हे, दिल दिल भांजत हे अब बनही तब बनही कइसे म चंदा तब एक उपाय करथे, का उपाय करथे |
|
|
रागी |
का उपाय करत हे जी ? |
|
|
कथाकार |
अइसे म त नई बने तंय घर म सुते हस राउत हैं न, तंय घर में सुते हस ते मय गइया के रूप धर के चंदा ह तउन घांटी टेपरा ल बांध के ओकर बारी म चंदा कूद देथे |
|
|
रागी |
कूद देथे फेर आगे का होथे बंसकहार बतावत हे। |
|
|
गीत |
सेमी के मड़वा म भाई रे मार घलर घलर ना |
|
टेपरा ल ए दे मोर भाई ग ए दे बजाए ना |
|
मालिन जब दाई ग मोला कहन भला लागे हो... |
|
|
कथाकार |
ए बेटा लोरिक काकर गइया आज कूदे हे सेमी के मड़वा म रे, मार घलर घइया उजार करत हे रे नई आय दाई काकरो अरे उठ न रे तंय नींद के मारे मर गेस तउन खूलन दाई ह उठावत हे लेकिन चंदा ह ओकर सेमी के मड़वा म घाटी टेपरा ल पहिर के कूद देहे फेर का होवत हे। |
|
|
रागी |
आगे बतात हे बंसकहार |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
खूलन जब दाई ग मोर दउना ल उठावत हे ना |
|
|
कथाकर |
ए बहू तोर कान फूट गेहे, काकर गाय बारी म कूद देहे जम्मो सेमी ल खात हे घंटी घूमर बाजत हे, चंदा राहय तउन ह दौना मांझर के आवाज ल सुने घंटी ल बंद कर दे अउ फेर चुप लपटाय सिमट के भांड़ी में नई ए दाई काकरो गाय भाग गे, कहिके दौना मांझर फेर कुरिया म खूसर गे, कुरिया म खुसरे चंदा ह फेर घलर घलर घंटी बजाय के चालू |
|
|
गीत |
सुनी लेबे सुनी लेबे भाई रे मोर बोली अउ बचन ल ना |
|
मालिन जब दाई मोला बोलन भला लागे ना |
|
सुनी लेबे सुनी लेबे मोर बहू गइया के आवाज ल हो... |
|
|
कथाकार |
गइया के आवाज ल सुन ले दौना मांझर काकर गइया बारी म कूद देहे अउ जम्मो सेमी मन ल उजार करत हे दौना मांझर लउठी धर के खेदे ल जात हे, चंदा राहय तउन भांड़ी के तीर म समट जथे, एक बार दू बार तीन बार अइसन करके देखिस दौना मांझर के नींद पर गे तीसरइया घाटी ल हलाथे त लोरिक ह लउठी धर के बारी म जाथे |
|
|
रागी |
फेर आगे का होवत हे बंसकहार बतावत हे । |
|
|
गीत |
गइया जब खेदे बर भाई ग मोर लोरिक जब जावन लागे ना |
|
वही मेर के बूझ ल मोर चंदा जब धरे हो |
|
|
|
|
कथाकार |
चंदा बोलत हे लोरिक ल आज तंय रातभर सुते हस अउ मैं सावन भादो के महीना घपटे अंधियारी रात बिजली मारत हे बादल गरजत हे आज मय रउत जोड़ी ल वादा करे हवं कहिके डूढ़वा पीपर म चल देंव, अउ मय तोला आय कहिके काबा भर ठूड़गा ल पोटारे हंव, लेकिन तंय घर म सूते हस राउत, त उही मेर चंदा कथे आज तोर सेमी के मड़वा ल उजाड़ नई करतेंव त तोला पातेंव नहीं अउ तंय आते भी नहीं, तय गाय खेदे ल नी आतेस त तोला पातेंव नहीं। |
|
|
रागी |
पातेंव नहीं। |
|
|
कथाकार |
अब तोला नई छोड़व। |
|
|
|
|
This content has been created as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.