Guru Ghasidas
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रासलीला ही छत्तीसगढ़ी जनमानस में रहस कहलाती है। सतनामियों में रहस की परंपरा आरंभ से रही है। सतनामी रहस का प्रलेखन इस मायने में महत्वपूर्ण है की यह एक विलुप्त होती अनुष्ठानिक कला है, जिसमें गायन, वादन, नृत्य संगीत के साथ मूर्तिकला का भी समावेश होता है। मिट्टी से बनी यह मूर्तियां…
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सतनामी पंथी नृत्य
पंथी नृत्य सतनाम-पंथ का एक आध्यात्मिक और धार्मिक नृत्य होने के साथ-साथ एक अनुष्ठान भी है। यह एक सामूहिक अराधना है। यह वाह्य-स्वरूप में मनोरंजन एवं अन्तःस्वरूप में आध्यात्मिक साधना है।
आरंभ में यह भावातिरेक में निमग्न भक्तजनों की आनंदोत्सव में झूमने और थिरकने की क्रिया रही…
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सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास की जन्मभूमि गिरौदपुरी महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में विख्यात है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 137 किलोमीटर दूर यह स्थान महानदी एवं जोगनदी के मध्य मनोरम पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।
यहां नजदीक में ही स्थित सोनाखान जंगल में स्थित छाता पहाड़ में छः माह…
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This module presents devotional practices of the Satnamis of Chhattisgarh. Initiated by Guru Ghasidas in early 19th century, Satnampanth posed a challenge to caste hierarchy by rejecting the Hindu pantheon of gods and goddesses and the mediation of Brahman priest (purohit), thereby…
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