सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास की जन्मभूमि गिरौदपुरी महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में विख्यात है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 137 किलोमीटर दूर यह स्थान महानदी एवं जोगनदी के मध्य मनोरम पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।
यहां नजदीक में ही स्थित सोनाखान जंगल में स्थित छाता पहाड़ में छः माह की कठोर तपस्या के उपरान्त गुरु घासीदास को आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ था । उस ज्ञान के आधार पर उन्होंने सतनाम पंथ का प्रवर्तन किया।
उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल पंचमी, षष्ठी एवं सप्तमी को यहां बड़ा मेला लगता है, जिसमें करीब 12 से 14 लाख लोग उपस्थित होते हैं। यहां आए अनुयायी सहज योग, ध्यान, चिन्तन-मनन एवं गुरु-वाणियों का श्रवण कर कृतार्थ होते हैं। मेले के दौरान अनवरत पंथीगीत, पंथीनृत्य, मंगल-भजन, साधु-अखाड़ा, सत्संग प्रवचन एवं सहज योग-समाधि, ध्यान, गुरु-गद्दी, दर्शन-पूजन की क्रिया चलती रहती है।
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