Premchand
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What are today called 'B-towns' or Tier-2 cities have the potential to become culture-towns, if they don't lose their way building malls and flyovers. As part of the series ‘Reading a City’, we explore how Abdul Halim Sharar gave readers a sense of the culture of Lucknow, along with its short…
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प्रेमचन्द का साहित्यिक आकर्षण उनके अनुवर्ती लेखकों पर इस कदर तारी है कि वे स्वयं को किसी न किसी रूप में उनकी परम्परा से जोड़ना चाहते हैं। इस लेख में सहपीडिया की कोशिश प्रेमचंद की इसी लेखकीय परम्परा को समझने की है। (Photo Courtesy: India Post, Government of India [GODL-India])
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A literary memoir on the raptures of discovering Urdu literature, this lyrical essay is the Pakistani-born, London-based writer’s eloquent and poignant testament of the mysterious and plural ways in which reading shapes one’s creative writing. The essay mentions the range of narrative…
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प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन का इतिहास प्रगतिशील लेखक संघ के संगठन संबंधी पहलुओं की उपेक्षा करके नहीं लिखा जा सकता| प्रगतिशील आंदोलन पर प्रकाशित चाहे स्वतंत्र समीक्षा कृतियाँ हों अथवा अनुसंधानपरक ग्रंथ हों, सभी इस दुर्बलता के कारण वैज्ञानिक विवेचन की वस्तुगत दृष्टि से रहित हैं| पहली बार यह…
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हिंदी में छायावाद शायद भक्ति साहित्य के बाद सृजनात्मकता की दृष्टि से सर्वाधिक उर्वर साहित्यिक काल रहा है । नामवर सिंह ने अपनी किताब आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां’ के ‘छायावाद’ शीर्षक अध्याय में इस काल की सीमा तय करते हुए सुमित्रानंदन पंत के दो काव्य-संग्रहों के प्रकाशन वर्ष का उल्लेख किया है…
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One of the most important front organizations of the Communist Party of India created for specific professional groups was, the All-India Progressive Writers’ Association (AIPWA). The Progressives were attempting to analyze literature socially and introduce scientific rationalism. They…
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