Premchand

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Narayani Gupta
What are today called 'B-towns' or Tier-2 cities have the potential to become culture-towns, if they don't lose their way building malls and flyovers. As part of the series ‘Reading a City’, we explore how Abdul Halim Sharar gave readers a sense of the culture of Lucknow, along with its short…
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Dr Priti Tripathi
प्रेमचन्द का साहित्यिक आकर्षण उनके अनुवर्ती लेखकों पर इस कदर तारी है कि वे स्वयं को किसी न किसी रूप में उनकी परम्परा से जोड़ना चाहते हैं। इस लेख में सहपीडिया की कोशिश प्रेमचंद की इसी लेखकीय परम्परा को समझने की है। (Photo Courtesy: India Post, Government of India [GODL-India])     हिन्दी…
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Aamer Hussein
  A literary memoir on the raptures of discovering Urdu literature, this lyrical essay is the Pakistani-born, London-based writer’s eloquent and poignant testament of the mysterious and plural ways in which reading shapes one’s creative writing. The essay mentions the range of narrative…
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Dr Rekha Avasthi
  प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन का इतिहास प्रगतिशील लेखक संघ के संगठन संबंधी पहलुओं की उपेक्षा करके नहीं लिखा जा सकता| प्रगतिशील आंदोलन पर प्रकाशित चाहे स्वतंत्र समीक्षा कृतियाँ हों अथवा अनुसंधानपरक ग्रंथ हों, सभी इस दुर्बलता के कारण वैज्ञानिक विवेचन की वस्तुगत दृष्टि से रहित हैं| पहली बार यह…
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Gopal Pradhan
हिंदी में छायावाद शायद भक्ति साहित्य के बाद सृजनात्मकता की दृष्टि से सर्वाधिक उर्वर साहित्यिक काल रहा है । नामवर सिंह ने अपनी किताब आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां’ के ‘छायावाद’ शीर्षक अध्याय में इस काल की सीमा तय करते हुए सुमित्रानंदन पंत के दो काव्य-संग्रहों के प्रकाशन वर्ष का उल्लेख किया है…
in Overview
One of the most important front organizations of the Communist Party of India created for specific professional groups was, the All-India Progressive Writers’ Association (AIPWA). The Progressives were attempting to analyze literature socially and introduce scientific rationalism. They…
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