Linguistics

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विमलेश घोडेस्वार (Vimalesh Ghodeswar)
ज़बान अवाम बनाती है, उनकी बसाहट से जैसे शहर तामीर[1] होता है, वैसे ही ज़बान भी।  ज़बान दरबारों से नहीं उसे बोलने वाले लोगों से हयात रहती है, उगती और हरहराती है। ये सिलसिला-ए-ज़बान-ए-भोपाली वहीं से शुरू होता है जब से यहाँ बररु के दरख़्त काटे गए और ये शहर-ए-गौहर भोपाल आबाद हुआ, ये बात सन् 1700 के आस-…
in Overview
विमलेश घोडेस्वार (Vimalesh Ghodeswar)
 इसमें खासतौर पर भोपाली उर्दू क्या है, वो कैसे बोली जाती है और वो कैसे तामीर हुई, इन सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश की गयी है| इस ज़बान में कौन-कौन सी भाषा शामिल होती चली गयी और अब उनके लफ़ज़ किस अंदाज़ और मायनों में इस्तेमाल किये जाते हैं, इसका भी विस्तार से ज़िक्र किया गया है| इसमें भोपाल की…
in Video
Pranjal Koranne
Introduction How can you make a computer understand, or process, or generate, human language? Natural Language Processing or Computational Linguistics is a field of research which deals with that question and other issues associated with it. The aim here is to understand the fundamentals of NLP,…
in Article
We are going out on an ‘archaeological digging’. ‘Archaeological digging’ is an alternative to history used by Michel Foucault for a specific reason. When we read a text, which is full of multiple discourses, we actually read these discourses according to their spatio-temporal contexts. Here we…
in Interview