Raja Bharathari-ki-Katha: 1

in Audio
Published on: 21 April 2018

Madan Meena

Madan Meena is a visual artist and researcher. He has worked extensively with artists and craftspersons from Rajasthan. His doctoral dissertation from the University of Rajasthan was on the 'Art of the Meena Tribe'. He continues to work as a researcher with the women of the Meena tribe and has documented and exhibited their Mandana wall paintings across the country and abroad. He has published two books on the subject, 'Joy of Creativity' and 'Nurturing Walls'. As a practising visual artist, Madan has exhibited his own works extensively.

As a curator, he has designed an exhibition on brooms for Arna Jharna, the 'Desert Museum of Rajasthan’ of Rupayan Sansthan. For this he travelled throughout Rajasthan studying the broom-making communities, their socio-political and cultural issues. He was Associate Director for the film ‘Jharu Katha’ on the same subject.

His association with late Komal Kothari, one of India's leading folklorists and oral historians inspired him to start his independent research and documentation in eastern Rajasthan where he is based. He has been recording oral traditions among the rural communities for a long period. Madan received a grant from Cambridge University under the World Oral Literature Project (WOLP) to document Tejaji Ballad. Under the grant he has published a book ‘Tejaji Gatha’ and an audio DVD. His interest in languages has led him to start his work on the secret language of the nomadic and de-notified tribes residing in Rajasthan. For this he has received a fellowship from the Firebird Foundation for Anthropological Research, USA. As a state coordinator for Bhasha Research and Publication Centre, Baroda he edited the Hindi and English volumes of Rajasthani languages under the People’s Linguistic Survey of India project. He was also a state coordinator for ICSSR’s project of surveying the educational status of the nomadic and de-notified tribes of Rajasthan.

Madan has received a Senior Research Fellowship from CCRT-Department of Culture, Govt. of India to extend his work in folklore studies in Marwar (western Rajasthan). He is a Trustee of Bhasha Research and Publication Centre, Vadodara and Executive Member of Kota Heritage Society. As a visiting faculty he teaches traditional crafts at the Indian Institute of Crafts and Design, Jaipur. He currently works and lives in Kota, Rajasthan.

Banda-Rajasthan, October 2017, Audio File 1/7

 

आॅडियो फाईल नं॰ Bharathari- 1

 

जै-जै सुर बिन मिलै नही माता सुर सती गुरू बिन मलै नही ज्ञानऽऽ
ज्ञान भाईऽऽ!
जय-जय सुर बिन मिलै नही माता सुर सती गुरू बिन मलै नही ज्ञानऽऽ
ज्ञान भाईऽऽऽऽ!
या वो माता पुज द्यौ ज्वाला भगोटी में दुर्गा मैं धरू तेरो ध्यानऽऽ
घ्यान भईयाऽऽ!
बिना भाग मिलै नही रै लाडला ओ बिली बस्तु का भोगऽऽ
भोग भाईऽऽ!
बाग में दाख पकै जब है जा च काग कै कंठ मेंऽऽऽऽ रोगऽऽ
रोग भाईऽऽ!
ऐ!! धूप पड़ै च धरती तपै च उड़ै कसुमल रैतऽऽ
रैत भाईऽऽ!
अरेऽऽ! पाड़ा चालै राजा भरतहरी लख दिया च रै प्यारा ओ विधाता नैऽऽ
लैख भईयाऽऽ!

एक समय के माईनैऽऽ 
हम्मै भईया!
राजा इंद्र चा।
इंद्र चा भाई!
तो राजा इंद्र कैऽऽ
हम्मै!
सबै कै माईनैऽऽ
हम्मै भईया!
डोलक-पेटी की डुंकार उड़ै चीऽऽ सबह भरै चीऽऽ
भरै ची भाई!
तो सबह कै माईने कांई होओ चोऽऽ
कांई होऔ चो भाई!
इंद्र की पूरीयां र्नत करै चीऽऽ
करै ची भाई!
कोण करै ची नरतऽऽ
इंद्र की पूरीयां!
इंद्र की पूरीयां र्नत करै चीऽऽ
करै ची भईया!
तो एक दिन इंद्र की पूरीयां कांई खैह री चऽऽ
कांई खै री च भईयाऽऽ
राजा इंद्र काऽऽ
हम्मै भाई!
बेटा को नाम कांई चोऽऽ
कांई चो भाई?
गनरभसेनऽऽ
सेन भईया!
तो गनरभसेन बेटो चोऽऽ
बेटो चो भईया!
जै में खै च कै....थांका पिताजी की असी सबह जुड़ै चऽऽ
जुड़ै च भाई!
आप रूप!
हम्मे भाई! 
माया रूपी भगवान की कुदरत लीला होवै चऽऽ 
होवै च भाई!
षंकर भोला नाथ कीऽऽ
नाथ की भाई!
जै पेड़ का फूल खरै चऽऽ सबै कै माईनैऽऽ
माईनै भाई!
कवंड़ को पेड़ चो जी कै आसरै आर दब जाऔ च। कुणऽऽ 
राजा इंद्र को....बेटो!
हां भईया!
दो लटका तो करबे लाग गीऽऽ कठी ने राजा इंद्र कै ओड़ीऽऽ
हम्मे भाई!
दो लटका करबे लाग गी बेटा कैऽऽ 
तांई भाई!
बड़दाना दै दिया च राजा इंद्र नै सबह के माईने रैऽऽ खेर्यो च नै बेटा गनरभसेन से कांईऽऽ 
कांई भाई!
आज म्हारा ए बचना पै बेटा तू गद्धो बण ज्या जो रैऽऽ गद्धो तू बचन काड दिया च ई पिताजी नै आज सबह कैऽऽ
माईने भईया!
गुरू महाराज की कृपा हो जाऔ चऽऽ लाखा कुम्हार कै ताईनैऽऽ
ताईनै भाई!
लाख गद्धा च यामैं गद्धा में पैदा हो जाओ चऽऽ अवतार हो जाऔ च लेलै चऽऽ
लेलै च भाई!
अरे ज्या दिन भईया छोटा सूं बड़ो होग्यौ गधी को रेंगटोऽऽ
रेंगटो भाई!
तो भईया देखा न काई हैला पाड़वै लाग जाऔ च लाखा प्रजापत कैऽऽ
कांई भाई!
बोलै भरतहरी म्हाराज की जय.... 
होऽऽ!

देख भाई लाखा रैऽऽ सोवे जागे च रै डळकीऽऽ
ऐ! रातऽऽ अैर भाई लाखा रै सोवै जागै च रै डळकीऽऽ 
ऐ! रातऽऽ देख भाई लाखा रै सोवे जागै च रे डळकीऽऽ
रातऽऽ देख भाई लाखाऽऽ

आज भाई लाखा रैऽऽ खै दीजो कैह् दीजो रै राजा नैऽऽ
ऐ! जा‘रऽऽ अेर भाई लाखा रै कैह् दीजो कैह् दीजो रै राजा नैऽऽ
ओ जा‘रऽऽ अेर भाई लाखा रै कैह् दीजो कैह् दीजो रै राजा नैऽऽ
जा‘रऽऽ अेर भाई लाखाऽऽ!

देख भाई लाख रैऽऽ बाई परणाई देई म्हारेऽऽ
ऐ! बाईऽऽ अेर भाई लाख रै बाई परणाई देई म्हारेऽऽ
भाई परणूगों मै राजा की....पानदे बाई 
ऐ! बाईऽऽ अेर भाई लाख रै बाई परणूगों न पानदेऽऽ
बाईऽऽ अेर भाई लाखाऽऽ

भाई लाखा रैऽऽ कैह् दै कैह् दै नै राजा नैऽऽ
ऐ! जा‘रऽऽऽऽ अेर भाई लाखा रै कैह् दै नै कैह् दै नै राजा नऽऽ
जा‘रऽऽऽऽ अेर भाई लाखाऽऽ
हाँ प्यारेऽऽऽऽऽऽ
कैह् दी जो नै राजा नैऽऽ
ऐ! जा‘रऽऽऽऽ अेर भाई लाखा कैह् दी जोऽऽ 
कैह् दी जो रै लाखा नैऽऽ
जा‘रऽऽऽऽ अेर भाई लाखाऽऽ 

वाह प्यारोंऽऽऽऽ

ये बातांऽऽ

भरतहरी महाराज कीऽऽ 
जय होऽऽऽऽ! 

पेपावती नगरी कै माईनेऽऽ 
हम्मै भईयाऽऽ!!
लाखो कुम्हार बसै चोऽऽ
बसै चो भाईऽऽ!!
जीकी गधा नै आज जनम लै लियोऽऽ आधी रात पहर को तड़को हो जाऔ चऽऽ हैला पाड़बैऽऽ
लाग जा चऽऽ!!
आज लाखा कै दिन जै थारा तू राजा नगरी मंे जार मैहल कै माईनैऽऽ  
माईनै भईयाऽऽ!
उकी बाई च एक पानदे बाई जीकू म्हारै परणा दै कै च ई बिकट बनी कै माईनै चाहै उका षहर कैऽऽ
माईनै भाईऽऽ!

उणकी हिम्मत चालै च कै राजा सू जार मैहल में इषा कह दैऽऽ
कह दै भाईऽऽ!
राजो उणी खाल कड़वा दै।
कड़वा दै भईयाऽऽ! 
अरे राजो नगरी को गाँँव छुड़वा दैऽऽ नगरी छुड़वा दैऽऽ 
छुड़वा दै भाईऽऽ!
लाखा कुम्हार नै कुम्हारी सूँ केहबा लाग जाऔ च काई जवाब देबै लाग जाऔ च उकी घर वाड़ी सूँ लाखो प्रजापत कहबै काई जवाबऽऽ 
लागर्यो च भाईऽऽ! 

देख म्हारी कुम्हारी बना भाग मलै कोेनै बिली बस्तु का भोगऽऽ  
भोग भाईऽऽ!
बाग में यै दाख पकै जब है जा च कागला कैऽऽ
रोग भाईऽऽ!

देख म्हारी कुम्हारी रे आपां चल चालां नै री गाँँव कूँऽऽ 
ऐ! छोड़ऽऽ अेर म्हारी कुम्हारी रै आपां चल चालां न गाँँव नैऽऽ 
ऐ! छोड़ऽऽ अेर म्हारी कुम्हारी रे...
ये बात!
आपां चल चालां न गाँँव नैऽऽ 
छोड़ऽऽ अेर म्हारी कुम्हारीऽऽ!

आज म्हारी कुम्हारी रै आछौ रोषौ च री दीनाऽऽ
ऐ! नाथऽऽ अेर म्हारी कुम्हारी रै आछौ रोषौ च री दीना रीऽऽ
नाथऽऽ अेर म्हारी कुम्हारी रै आछौ रोषौ च री दीना रीऽऽ
नाथऽऽ अेर म्हारी कुम्हारीऽऽ 

लिखजो म्हारी कुम्हारी आपां यै चल चालां नै री मैहल कूँऽऽ
ऐ!! छोड़ऽऽ देख म्हारी कुम्हारी रै आपां चल चालां नै मैहल मैऽऽ
छोड़ऽऽ देख म्हारी कुम्हारी रै आपां चल चालां नै मैहल मैऽऽ
छोड़ऽऽ देख म्हारी कुम्हारीऽऽ

हाँ प्यारेऽऽ!
हैऽऽ म्हारा साँवराऽऽ!

बोले गुरू महाराज कीऽऽ 
जय होऽऽ!

आज म्हारी कुम्हारी आपां चल चालां नै गाँँव कूँ छोड़ नगरी कूँ छोड़ आपणा मैहल कूँऽऽ
छोड़‘र भाईऽऽ!
अरे म्हारी कुम्हारी आपणी गद्दया में अषौ कोई बब्बाल जन्मायौ आपणौ गाँँव छुड़ार्यौ च
छुड़ार्यौ च भाईऽऽ!
घर का ऐ! जा दिन डेरौ ढाण्डौ गूदड़ा ऐ! लद लै च गधा कै माळ 
माळ भाईऽऽ!
अरे जा दिन जार्यौ च लाखो प्रजापत ई गाँँव नै छोड़‘र
छोड़‘र भाई!

गाँँव नै छोडर जार्यो च रै जार्यो च नै बिगट बनी कैऽऽ
माईने भाईऽऽ!

आज म्हारा प्यारा वो मालम रहयगी च रै गाँँव का नैऽऽ  
ऐ!! आजऽऽ अेर म्हारा प्यारा वो रै मालम होगी च रै गाँँव का नैऽऽ
ऐ!! आजऽऽ अेर म्हारा प्यारा वो रै मालमं होगी च रै गाँँव का नैऽऽ
आजऽऽ अेर म्हारा प्यारा वोऽऽ

म्हारा प्यारा वौ रै जा दिन आवै च नै गाँँव काऽऽ  
ऐ!! यादऽऽ अेर म्हारा प्यारा वौ रै जा दिन आवै च नै गाँँव काऽऽ
आर्या चऽऽ गाँँव काऽऽ प्रजापत कू मनावैऽऽ लाखा कूँऽऽ कस्या मनार्या चऽऽ 
ऐ!! यादऽऽ अेर म्हारा प्यारा वौ रै जा दिन आर्या च नै प्रजापत कैऽऽ
ओ! द्वारैऽऽ अेर म्हारा प्यारा वौऽऽ

ये बात!

ऐ! र र र लाखा भाया कियाँ तो जार्यो च रैऽऽ  
ऐ!! लाखा भाया प्यारा रै कियाँ जार्यो च रैऽऽ
ऐ!! लाखा भाईया कियाँ तो जार्यो च रैऽऽ
ऐ!! लाखा भाया कियाँ तो जार्यो च रैऽऽ

हम्मैऽऽ

दुखड़ो जाणै काँई-काँई फरग्योऽऽ
ऐ!ऽऽ! दुखड़ो जाणै काँई-काँई फरग्यौ रैऽऽ
ऐ!ऽऽ! दुखड़ो जाणै काँई-काँई फरग्यौ रैऽऽ
दुखड़ो तोमै काँई-काँई पड़ग्यौ रैऽऽ

याकाँ तौ बतादै साँसा भैद आज मोनै याका तौ बतादे थाँका भैद भीऽऽ
नम्बर भैद भीऽऽ कह र्या च रै गाँव का आज भीऽऽ
भैदऽऽ

हाँ प्यारोंऽऽ!

अरे वा भई रंगीलाओंऽऽ!
 
हाँ प्याराओंऽऽ!

बोल श्री षंकर भगवान कीऽऽ
जय होऽऽ जय होऽऽ

हाँ लाखो प्रजापत कहबै लाग जाऔ च गाँव का पँच-पटैलाई कै ताई़ऽऽ
पँच-पटैल मनाबै आ गयाऽऽ लाखा!
हम्मै भाईऽऽ!
आज किषा जार्यौ च गाँव नै छोड़ तोमैं कांई दुखड़ो पड़ग्यौऽऽ तोमै अशौ कांई़ बखौऽऽ 
पड़ग्यो भाईऽऽ!
काई़ विपदा पड़गी भाई लाखा थारै तांईऽऽ
तांइनै भाईऽऽ!
तू गाँव नै छोड़ चल जाओगौ तौ मै काँई करेगां गाँव कै मांईनै...
रैरऽऽ
माईनै भाईऽऽ
कुंण कै सूँ तो मै मटक्यां ल्याउगांऽऽ कुण के सूँ मै हांड़ी-कूंण्डा ल्याउगांऽऽ मै कुण कै सूँ कांई....
ल्याउगां भाईऽऽ! 

जा दिन कहर्यौ च गाँव का पँच-पटैलां नै लाखो प्रजापत गाँव का पड़सा कै तांईंऽऽ 
काई रै भाईऽऽ
देखो भाई बस्तिकाऔ चल तौ चालूं पाछोऽऽ
हम्मै भाईऽऽ
षैहर कै माईनैऽऽ
माईनै भईयाऽऽ
पण एक र्यात म्हारा घरां थांकू सोनौ पड़ैऽऽ
पड़ैगो भाईऽऽ
अरे लाखा! असी काई बात कह दी र बोदी तनेऽऽ
हम्मै भाईयाऽऽ
एक रात नही तोकू तो तीन रात सोजावा थारा द्वारै मैऽऽ
द्वारै भाईऽऽ
तो गाँव का जा दिन भईया लाखा प्रजापत कै बारणै जार बैठ जाऔचेऽऽ कुण को सोबौऽऽ
हम्मै भाईऽऽ दुखि च वा तौऽऽ
लाखा प्रजापत को दुखड़ो मटाबा कै लियां चल जाओ चऽऽ
चल जा च भईया!
ये बात!

आज प्यारा ओ बैठा च नै गाँव का पंच-पटैल या दिन लाखा प्रजापत कैऽऽ
तांई रै भाईऽऽऽऽ
तांई बैठा च रै होवै च आधी र्यात पहर को तड़को म्हारा प्यारा वो लाखा प्रजापत का मैहल के!
माईनै भाईऽऽ!
अरे बौलै च बौलै च गधी को रेंगटो तो म्हारा प्यारा वौ रै बोलेऽऽ
ऐ!! बोलै रै गधी को रेंगटो म्हारा प्यारा वो रै बोलै...
लैग्या मौज म्हारा भाईयो!
बोलै रै गधी कोऽऽ 
ऐ!! रेंगटोऽऽ म्हारा प्यारा वो रै बोलैऽऽ बोलै रै गधी को रेंगटो म्हारा प्यारा वौऽऽ

सुण लै भाई लखा रै सोवै जागै चः डळकीऽऽ 
ऐ!! र्यातऽऽ अेर भाई लाखा रै सोवै जागै च रै डळकीऽऽ
ऐ!! र्यातऽऽ अेर भाई लाखा रै सोवै जागै च रै डळकीऽऽ
र्यातऽऽ अेर भाई लाखाऽऽ!
 
लिखजो भाई लाखा रै बाई परणाई देई राजा कीऽऽ
ऐ!! रातऽऽ अेर भाई लाखा रै बाई परणाई देई राजा कीऽऽ
ऐ!! रातऽऽ अेर भाई लाखा रै बाई परणाई देई राजा कीऽऽ
ओ प्यारे!
ऐ!! रातऽऽ अेर भाई लाखा!

देख भाई गाँव का वो कियाँ रैऽऽ रैवूं रै गाँव कैऽऽ
ऐ!! मांईऽऽ अेर भाई गाँव का ओ रै कियाँ रैवो रै गाँव कैऽऽ
ऐ!! मांईऽऽ अेर भाई गाँव का ओ रै कियाँ रैवो रै गाँव कैऽऽ
ऐ!! मांईऽऽ अेर भाई गाँव का वोऽऽ

देखा तो भाई!

चलबा दै!

हाँ प्यारा!

बोलै गुरू महाराज कीऽऽ
जय होऽऽ!
अतनी बाताँँ कहवै च लाखो प्रजापत ज्या दिन कांई जवाब देवै लाग जावै पँच पटैल गाँव काऽऽ षैहर काऽऽ नगरी काऽऽ म्हारा भाईयांेऽऽ 
भाइैयांे भाईऽऽ! 
भाई लाखा या हिम्मत तो म्हाकी भी कोनै मै राजा नै जार मैहल में कैहद्याँऽऽ
कैहद्याँ भाई!
हिम्मत कोनः
भाई देखां नै लाखा कुम्हार का कै गधी का रेंगटा कै राजा थारी छौरी परणा दैऽऽ थारी बाई परणा दैऽऽ
कुण कैह् राजा सूँ जार मैहल कै!
माईनै भाईऽऽ!
तो भाई मै भी चालेगाँ पँच-पटेल कहबै लाग जाओऽऽ  
गाँव छोड़‘र जाबा लाग जाओ चऽऽ नगरी कू सूनी छोड़ जाबा लाग जाओ चऽऽ
लाग जा च भाईऽऽ!
और लाखो प्रजापत पड़सा पै चल जाओ च देखां राजा पैपसिंह न मालम हो़ जाओ च आज गाँव खाँ जार्या च डैरो लद लदरऽऽ
लदर भाईऽऽ!
डैरो लद लै च जार्या च दखा नै या दुखड़ा कैऽऽ 
ताँई भाईऽऽ
काँई प्रकार सूँ जार्या च आगे काई बात बणै च म्हारा बीरौ आण्द लिया जाओऽऽ भारतहरी महाराज की कथा चालू हो चुकी च याऽऽ
हम्मै भईयाऽऽ!