यह मॉड्यूल भोपाल में बोली जाने वाली भोपाली उर्दू पर केन्द्रित है| इसमें ख़ासतौर पर भोपाली उर्दू क्या है, वो कैसे बोली जाती है और कैसे तामीर हुई (बनी), इन सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश की गयी है| इस ज़बान में कौन-कौन सी भाषा शामिल होती चली गयी और अब उनके लफ़्ज़ किस अंदाज़ और मायनों में इस्तेमाल किये जाते हैं, इसका भी विस्तार से ज़िक्र किया गया है|
भोपाली पहली नज़र में सुनने वालों को एक मसालेदार और एक मज़ाहिया लहजा लिए हुई दिखाई दे सकती है, ये ज़ाहिर है कि आम बोल-चाल की ये ज़बान ग़ैर संजीदा है, पर ये अंदाज़े बयानी का फर्क है जो संजीदगी को भी मज़ाक का एक जामा पहना कर पेश कर देती है, और गहरी से गहरी बात लुत्फ़ो-अंदाज़ से कह देती है।