Sahitya
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Dancers beautifully adapt poetry and literary works (sahitya) into Kathak choreography. But Kathak has Sahitya of its own as well, which is inherent to it. It does not come from an outside source, but is found within its own language.
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समाज की ही तरह साहित्य भी गतिशील होता है| साहित्य समाज में हो रहे परिवर्तन का साक्षी होता है| हमारा देश जितना विविधधर्मी है उसी के अनुरूप दलित साहित्य में भी विविधता है| दलित साहित्य की विकास यात्रा को एक नयी ऊँचाई मिल रही है| इसके ऐतिहासिक विकासक्रम पर अगर हम ध्यान केंद्रित करें तो पता चलेगा कि…
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हिन्दी में दलित विमर्श की शुरुआत मोटे तौर पर अस्सी के दशक से मानी जा सकती है| पिछले लगभग तीस-पैंतीस वर्षों में इसने एक ठोस यात्रा तय की है| परंपरागत सामाजिक और साहित्यिक मूल्यों के साथ इसकी टकराहट ने वैचारिकी के क्षेत्र में गंभीर उथल-पुथल मचाई है| हिन्दी में बहुतेरे साहित्यिक आंदोलन हुए लेकिन संत…
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