Muktibodh

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Gopal Pradhan
हिंदी में छायावाद शायद भक्ति साहित्य के बाद सृजनात्मकता की दृष्टि से सर्वाधिक उर्वर साहित्यिक काल रहा है । नामवर सिंह ने अपनी किताब आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां’ के ‘छायावाद’ शीर्षक अध्याय में इस काल की सीमा तय करते हुए सुमित्रानंदन पंत के दो काव्य-संग्रहों के प्रकाशन वर्ष का उल्लेख किया है ।…
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मुक्तिबोध हिंदी कविता के प्रगतिशील व नई कविता आंदोलन से जुड़े कवि, आलोचक हैं |
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Awadhesh Tripathi
मुक्तिबोध हिंदी कविता के प्रगतिशील व नई कविता आंदोलन से जुड़े कवि, आलोचक हैं | 13 नवंबर, 1917 को मध्‍यप्रदेश में जन्‍मे मुक्तिबोध 20वीं शताब्‍दी के सबसे सशक्‍त कवि, आलोचक माने जाते हैं | वे ‘नया खून’ और ‘वसुधा’ के सहायक संपादक भी रहे | मुक्तिबोध को अपने जीवन काल में न तो बहुत पहचान मिली और न ही…
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