Hindi

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रज़ीउद्दीन अक़ील
औपनिवेशिक काल की अंग्रेज़ी कट-दलीली को अगर नजरअंदाज कर दिया जाए, तो यह बात यकीन के साथ कही जा सकती है कि हिंदुस्तान में साहित्य-सृजन और इतिहास-लेखन की बहुआयामी परंपराएं प्राचीन-काल से मध्य-युग होते हुए आधुनिक दौर तक चली आती रही हैं| साहित्यक परंपराएं न केवल संस्कृत, तमिल और फारसी जैसी शास्त्रीय…
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दीपक सिंह
हिन्दी में दलित विमर्श की शुरुआत मोटे तौर पर अस्सी के दशक से मानी जा सकती है| पिछले लगभग तीस-पैंतीस वर्षों में इसने एक ठोस यात्रा तय की है| परंपरागत सामाजिक और साहित्यिक मूल्यों के साथ इसकी टकराहट ने वैचारिकी के क्षेत्र में गंभीर उथल-पुथल मचाई है| हिन्दी में बहुतेरे साहित्यिक आंदोलन हुए लेकिन संत…
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One of the most important front organizations of the Communist Party of India created for specific professional groups was, the All-India Progressive Writers’ Association (AIPWA). The Progressives were attempting to analyze literature socially and introduce scientific rationalism. They were trying…
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