घढ़वा धातु शिल्प

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मुश्ताक खान
जयदेव बघेल के घर की  बाहरी सज्जा ,यह घर उन्होंने १९८९ में बनवाया था। इसमें लगा सूर्य का मुखौटा और अन्य आकृतियां उनकी स्वयं की बनाई हुई हैं।      जयदेव बघेल भारतीय आदिवासी कला के उन अग्रणि कलाकारों में से एक थे जिन्होंने अपने क्षेत्र की अल्पज्ञात  कलाओं को देश एवं विश्व पटल पर प्रसिद्धी दिलाने में…
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मुश्ताक खान
      वर्तमान में इंटरनेट पर उपलब्ध विवरणों में बंगाल, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ के आदिवासी-लोक धातु शिल्प को ढोकरा धातु शिल्प कह कर संबोधित किया गया है । कुछ पुस्तकों में भी ढोकरा धातु शिल्प का संबोधन मिलता है । इस शब्द का प्रचलन संभवतः 1970 के दशक में आरंभ हुआ और जल्द ही आम बोल-चाल में आ गया । लेखिका…
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