Pinki Biswas Sanyal
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Dr. Rajinder Singh
ग्रामीण क्षेत्रों में मेला, मड़ई की प्राचीन परंपरा रही है। विषेष तिथि में आयोजित होने वाले इन मेलों में देवी-देवता की पूजा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान होता है। इसके साथ-साथ बाजार, मनोरंजन, मेल-मिलाप, सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों से जुड़े विविध आयोजन होते हैं। जिसमें स्थानीय व क्षेत्रीय जनसमुदाय की…
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Fairs /mela are an ineluctable part of rural life. They provide recreation, are usually linked to auspicious cycles in the year, and induce economic activity. In Chhattisgarh in particular they are organized throughout the year, and in…
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Manan Kapoor
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इस लेख में गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त ने प्रारंभिक और समकालीन मड़ई उत्सव का जिक्र किया है। वह बुंदेलखंड के क्षेत्र में उत्सव का वर्णन करते है और त्यौहार का विवरण लाते है।
In this article Gupteshvar Dwarka Gupt juxtaposes the early and contemporary Madai Celebration. He emphaises its…
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राहुल कुमार सिंह
विविधतापूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न स्वरूप के मेलों का लंबा सिलसिला है, इनमें मुख्यतः उत्तर-पूर्वी क्षेत्र यानि जशपुर-रायगढ़ अंचल में जतरा अथवा रामरेखा, रायगढ़-सारंगढ़ का विष्णु यज्ञ- हरिहाट, चइत-राई और व्यापारिक मेला, कटघोरा-कोरबा अंचल का बार, दक्षिणी क्षेत्र यानि बस्तर के जिलों…
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राहुल कुमार सिंह
ग्रामीण क्षेत्रो के मेले जनसामान्य के मेल मिलाप का आयोजन एवं मनोरंजन स्थल तो होते ही हैं साथ ही वे व्यापर का महत्वपूर्ण अवसर भी होते हैं। अधिकांशतः मेले किसी पर्व , त्यौहार , पूजा अदि से सम्बद्ध होते हैं जिनका आयोजन पूर्व निर्धारित तिथियों एवं स्थान पर होता हैं। बस्तर…
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This content has been published as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural heritage of the state of Chhattisgarh.
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