छत्तीसगढ़

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प्रो.आभा रूपेन्द्र पाल
छत्तीसगढ़ में गांधीवादी आन्दोलन और महिलाएँ भारत का स्वाधीनता आन्दोलन बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। महात्मा गांधी के भारत आगमन के पश्चात् राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नया मोड़ लिया और उनके नेतृत्व में होने वाले आन्दोलनों ने भारतीय समाज सुधारकों के सपनों को साकार किया। नारी उत्थान…
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मुश्ताक खान
बस्तर के पारम्परिक आहार   हम सभी मानते हैं कि किसी भी प्रान्त का खान -पान वहां की भौगोलिक स्थिति , जलवायु और वहां होने वाली फसलों पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ एक वर्षा और वन बहुल प्रान्त है, यहाँ धान ,हरी भाजी -सब्जियां और मछली का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है और यही सामग्रियां यहाँ का मुख्य…
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आशीष सिंह
             1920: महात्मा गांधी का प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास   (दिसंबर १९२० में महात्मा गाँधी का   प्रथम  छत्तीसगढ़  प्रवास यद्यपि गाँधी वाङ्मय में उल्लेखित नहीं है ,किन्तु विभिन्न स्थानीय स्रोतों से पर्याप्त जानकारी मिलती है कि महात्मा…
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                                                                  महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ आगमन एवं यहाँ उनके द्वारा की गयी…
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अशोक तिवारी
                                                                                    जलपान…
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Team, Chhattisgarh Project
बांस गीत - लोरिक चंदा -छत्तीसगढ़ी  प्रस्तुति  गीत अरे भरका के भरेतिन सुमिरव,   डूमर के परेतिन ए न ए दे ठाकुर दिया ल सूमिरव,   मोर बोईर के चुरेलिन ए न    तरी हरी नाना, मोर नाना नाना ए भाई रे,    मोन नाना जंवरिहा मोर तरी…
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Mushtak Khan
चंदैनी का सारांश एवं चंदैनी गायक/कलाकार – रामाधार साहू का साक्षात्कार चंदैनी का सारांश :-   रामाधार साहू (रा.सा.): लोरिक एक गाय चराने वाला ग्वाला है। वह बहुत ही सुंदर और बलवान, राउत समाज का गौरव है। राजकुमारी चंदा जो बहुत ही सुंदर है, वह लोरिक के बांसुरी वादन से मोहित होकर उससे मन ही मन प्रेम…
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रामाधार साहू
  रामाधार  साहू द्वारा नचा शैली में लोरिक चंदा की कथा प्रस्तुति चंदैनी – प्रस्‍तुतिकरण हिंदी अनुवाद   लोरिक लोरिक हाथ में तेन्‍दू की लाठी, नौ हाथ की पगड़ी बांधे, ‘सेमर धरे’ (सेमल की रूई और चकमक पत्‍थर लिए) कम्‍बल और ‘खुमरी’ (बांस और पत्‍तों से बनी टोपी जिसे…
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Team, Chhattisgarh Project
This module is part of a series of modules on performing genres from Chhattisgarh. They seek to reflect the richness of oral epics and folklore traditions from this region, and the modes in which they are performed and recited. The focus is the documentation of the entire epic or tale known orally…
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