Dr. Sudha Dhingra,
Traditional Tribal Textiles of Bastar
Textiles of a region provide a medium to showcase man’s journey in life, events and occasions. Many of the material, techniques and forms used from ancient times remain in use even today, both as an essential aspect of production in many regions…
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Dr. Sudha Dhingra
Textiles of a region reflect social cycles and life events. Many of the materials, techniques and forms used in ancient times for producing fabrics remain in use even today. In India, tribal or adivasi craft traditions reflect the distintiveness of cultures and regions to which…
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मुश्ताक खान
बस्तर के पारम्परिक आहार
हम सभी मानते हैं कि किसी भी प्रान्त का खान -पान वहां की भौगोलिक स्थिति , जलवायु और वहां होने वाली फसलों पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ एक वर्षा और वन बहुल प्रान्त है, यहाँ धान ,हरी भाजी -सब्जियां और मछली का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है और यही सामग्रियां यहाँ का मुख्य…
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मुश्ताक खान
पनका बुनकरों द्वारा बुने जाने वाले पैटर्न एवं मोटिफ्स
(यह आलेख गांव तोकापाल , बस्तर के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बुनकर सिंधुदास पनका सेअगस्त २०१८ में हुई चर्चा पर आधरित है )
बस्तर में कपड़ा बुनाई का काम पनका , माहरा , कोष्टा देवांगन ,चंडार और गांडा जाति के लोग करते थे। इनमें से…
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मुश्ताक खान
गुरुमांय: वाचिक परम्परा की संवाहिकाएं
आमतौर पर पूजा अनुष्ठानों का संचालन एवं संबंधित कथागायन पुरुष पुजारियों एवं कथा वाचकों द्वारा संपन्न किया जाता है परन्तु महाराष्ट्र के वर्ली आदिवासियों , ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बस्तर के भतरा, परजा एवं हल्बा आदिवासियों के साथ-साथ अन्य गैर…
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हरिहर वैष्णव
बस्तर अंचल में हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या), के साथ ही कृषि-चक्र आरम्भ हो जाता है। इसी के साथ कृषि-सम्बन्धी त्यौहारों और उत्सवों का सिलसिला आरम्भ होता है। यहाँ यह जगार उत्सव के रूप में माने-मनाये जाते हैं। जागर के चार प्रकार होते हैं- आठे जगार, तीजा जगार, लछमी जगार…
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मुश्ताक खान
बस्तर के अनुष्ठानिक दिये
विभिन्न प्रकार के सुन्दर एवं कलात्मक दीपक बनाने की परंपरा समूचे भारत में देखने को मिलती है। मिट्टी,लोहा,पीतल जैसे भिन्न .भिन्न माध्यमों में बनाए जाने वाले इन दीपकों की एक सुदीर्घ एवं समृद्ध श्रृंखला है। विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं के अवशेषों से भांति .भांति के दीपक…
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मुश्ताक खान
बस्तर के पारंपरिक लोह-शिल्प
यूंतो सारे बस्तर में ही लोहार फैले हुए हैं किन्तु कलात्मक सूझ-बूझ और तकनीकी कौशल की दृष्टि से कोंण्डागांव क्षेत्र के लोहार अत्यन्त उच्च श्रेणी में आते हैं । हालांकि लोक एवं आदिवासी कलाओं के व्यवसायिकरण ने बस्तर के लोहारों को भी प्रभावित किया है, और…
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मुश्ताक खान
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